सावधान! सर्दियां साइलेंट किलर होती हैं
र्दियों के आते ही खांसी-जुकाम और बुखार का सिलसिला तो शुरू हो ही जाता है इसके अलावा अस्थमा, हाई ब्लड फ्रेशर और ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की तादाद भी काफी ज्यादा बढ़ जाती है। इस मौसम में दिल के मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है इसलिए दिल के मरीज हैं तो आप बाकी लोगों से ज्यादा सावधान रहें। क्योंकि सर्दी का मौसम और वह भी सामान्य से ज्यादा सर्दी एक किस्म की साइलेंट किलर होती है। अतः सर्दी के मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक की आशंका सामान्य से 30 पतिशत तक ज्यादा हो जाती है। क्योंकि इस मौसम में धमनियों में सिकुड़न बढ़ जाती है। इससे शरीर में रक्तसंचार की सामान्य गति बाधित होती है। नतीजतन हार्ट अटैक के खतरे बढ़ जाते हैं, जो लोग हृदय रोग से पीड़ित हों उन्हें इस मौसम में अधिक थकान वाले काम करने से बचना चाहिए।
हृदय रोग के विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दियों में वह भी जब कई कई दिनों तक सूरज नहीं निकलता, ऐसे मौसम में दिल के दौरे पड़ने के मामले सामान्य से 30 पतिशत तक बढ़ जाते हैं। इस मौसम में सुबह के समय खासतौर पर सावधान रहना चाहिए। अगर आपकी उम्र 60 से ज्यादा है तब तो आपके लिए दूसरे मरीजों के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा सजगता की जरूरत है। दरअसल सर्दियों में सुबह का समय वृद्ध लोगों के बिलकुल अनुकूल नहीं होता। क्योंकि उस समय ब्लमड वेसल्स सिम्पेथेटिक ओवर एक्टिविटी के कारण संकुचित होती हैं। उस समय यदि वातावरण में धुंध भी छायी हो तो समझो करेले में नीम चढ़ा वाली स्थिति है। क्योंकि अगर वातावरण में धुआं हो तो जोखिम दोगुना हो सकता है। इसकी वजह यह है कि ऐसे मौसम में हवा की गति धीमी और नमी के लेवल में वृद्धि हो जाती है। इस कारण से धुएं की स्थिति खतरनाक हो जाती है। क्योंकि इससे फ्रदूषक तत्व हवा में नीचे बने रहते हैं, वे इधर-उधर फैल नहीं पाते।
किसी को यदि अस्थमा की समस्या है तो उसे इस मौसम में मॉर्निंग वाक के लिए बिलकुल अल सुबह नहीं जाना चाहिए। अगर वातावरण में धुंध हो तो जब तक बिलकुल उजली धूप न निकले बेहतर है बिस्तर में ही बै"sं या कमरे के अंदर हलकी फुलकी एक्सरसाइज करें। घूमने के लिए पार्क आदि धूप निकलने के बाद ही जाएं। साथ ही इन दिनों इस बात का भी ध्यान रखें कि बहुत गरिष्" और मात्रा में भी बहुत ज्यादा भोजन न खाएं। भले कहा जाता हो कि सर्दियों में सब कुछ हजम हो जाता है। लेकिन बीमारी का शिकार हों तो धारणाओं के इस सरलीकरण के पाव्यूह में न फंसें। सर्दी के मौसम में अस्थमा के अटैक अधिक होते हैं क्योंकि "ंडी और सूखी हवा के कारण श्वास नलियां सिकुड़ जाती हैं। इस कारण सांस लेना दूभर हो जाता है। इस मौसम में धूल, मिट्टी, धुआं आदि से विशेष सावधान रहना चाहिए।
खतरा सिर्फ घर के बाहर ही नहीं होता। खतरा घर के अंदर भी मौजूद होता है। इसलिए अगर अस्थमा के मरीज हैं तो घर में धुएं से बचाव का फ्रबंध करके रखना चाहिए। अगर संभव हो तो घर की रसोई से धुएं के व्यवस्थित निकास के लिए चिमनी लगवा लें। अगर संभव नहीं है तो सजग रहें कि घर में धुआं न हो। अगर सर्दी बहुत ज्यादा हो और कोई बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकलें। अगर निकलना जरूरी ही हो तो सिर, नाक, कान आदि को ढककर रखें। इस मौसम में दवा को लेकर जरा सी भी लापरवाही जानलेवा हो सकती है। कहने का मतलब यह की दवा बिलकुल रेग्युलर रखें। इन्हेलर हर समय अपने पास रखें।
दिल के मरीजों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों का सुझाव है कि अगर वातावरण में स्मॉग यानी धुंध या धुआं हो तो आंखों में लालिमा, खांसी या गले में जलन, सांस लेने में क"िनाई आदि समस्याओं की आशंका रहती है। चूंकि स्मॉग से तीव्र अस्थमा के दौरे पड़ सकते हैं, साथ ही यह दिल के दौरे, स्ट्रोक, एरिदमिया को भी बढ़ा सकता है। इसलिए बच्चे, बूढ़े, डायबिटीज, हार्ट और फेफड़ों की बीमारियों वाले रोगी विशेष रूप से स्मॉग के फ्रतिकूल फ्रभावों के फ्रति सजग रहें। क्योंकि यह स्थिति ऐसे लोगों को अतिरिक्त रूप से संवेदनशील बना देती है। जहां तक इस मौसम में खानपान सम्बन्धी सजगता की बात है तो इस मौसम में विटामिन 'सी' युक्त आहार लेना चाहिए।
वास्तव में विटामिन सी से युक्त भोजन हमारी रोग फ्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, जिससे हम इस मौसम में बहुत आसानी से होने वाली सर्दी जुकाम से बच जाते हैं। इस मौसम में बाजार में आंवला खूब होता है। इसे किसी भी रूप में सेवन करना चाहिए। यह विटामिन 'सी' का सबसे अच्छा स्रोत है। साथ ही इस मौसम में इनडोर की जाने वाली हल्की फुल्की एक्सरसाइज को भी जारी रखें। इससे शरीर गर्म और स्वस्थ रहता है। नींद भरपूर लें। तनाव बिलकुल न लें। सर्दी में सांस की अधिक समस्या हो तो कमरे में नमी बढ़ाने वाली मशीन का उपयोग कर सकते है। इस मौसम में लोग अकसर कम पानी पीने की गलती करते हैं। ऐसी गलती से बचना चाहिए यानी पानी खूब पीना चाहिए।