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एराउंड द वर्ल्ड

👤 manish kumar | Updated on:6 Jan 2020 11:21 AM GMT

एराउंड द वर्ल्ड

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दिसंबर की रात सबसे पहले दुनिया के जिन हिस्सों में दस्तक देती है, उनमें ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी भी शामिल है। इस दिन सिडनी के विश्व पसिद्ध हार्बर ब्रिज और ओपेरा हाउस में मानो ऑस्ट्रेलिया ही नहीं पूरी दुनिया उमड़ आती है। यहां लाखों लाख लोग इकट्"s होते हैं जो देश ही नहीं दुनिया के सबसे बड़े आतिशबाजी कार्पाम का हिस्सा बनते हैं। लेकिन इस रात आतिशबाजी का यह इंदधनुष अकेला सिडनी के आसमान में नहीं दिखता। नीदरलैंड के एक शहर रोटर्डम में भी आतिशबाजी का ऐसा ही नजारा देखने के लिए यूरोप, अमेरिका, एशिया और कहना चाहिए पूरी दुनिया के लोग इकट्"ा होते हैं। यूरोप के चुनिंदा व्यापारिक नगरों में से एक रोटर्डम, जो कि अपने पाकृतिक बंदरगाह के चलते दुनिया के सबसे समृद्ध शहरों में से एक है, इस दिन जश्न का स्वर्ग बन जाता है।

गुजरते साल की आधी रात और आते हुए साल की शुरुआती घड़ियों में रोशनी से नहाया रोटर्डम दुनिया की सबसे खूबसूरत तस्वीर लगता है। दक्षिणी हालैंड में राइन-म्यूज-शेल्ट नदियों के डेल्टा में बसा यह शहर जब से गॉर्गियन कैलेंडर का अस्तित्व है, तब से ही नये साल के अपने जश्न के लिए मशहूर है। यूरोप के सबसे पुराने शहरों में भी रोटर्डम की गिनती होती है। कुछ लोगों का यह माना है कि नये साल के आधुनिक किस्म का जश्न यही से शुरु हुआ। बहरहाल इसमें दुनिया एकमत नहीं है। लेकिन यह ऐतिहासिक सच है कि रोटर्डम में नये साल मनाने की परंपरा 14वीं शताब्दी से मौजूद है। इस रात यह शहर एक पल को भी आंख नहीं झपकाता। पूरे शहर में नये साल के आगमन को लेकर खुशियां ही खुशियां बिखरी होती हैं।

भले दुनिया की हर संस्कृति का अपना दिन हो, नया साल हो, लेकिन यह भी सच है कि 20वीं शताब्दी के मध्यार्ध यानी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से नया साल मनाना करीब करीब पूरी दुनिया की संस्कृति का हिस्सा हो चुका है। आज कट्टर से कट्टर मुस्लिम देश में भी नये साल का जश्न मनाया जाता है। जिस सऊदी अरब और मध्यपूर्व के कई देशों में पहले नया साल बिल्कुल भी नहीं मनाया जाता था, अब वहां भी इसकी रौनक देखते ही बनती है। लेकिन आज भी दुनिया के नक्शे में नये साल की सबसे खूबसूरत झांकियां यूरोप और अमरीका से ही निकलती हैं। यूं तो जर्मनी ऐसी किसी भी परंपरा को लेकर अतिरिक्त रूप से सजग रहता है, जो उसकी संस्कृति और इतिहास से रिश्ता न रखती हो, लेकिन नया साल मनाने को लेकर ये सारी वर्जनाएं और सारी सजगताएं टूट जाती हैं। बर्लिन भी दुनिया के उन गिने चुने शहरों में से है, जहां नया साल बेहद धूम धड़ाके से मनाया जाता है। क्वाड्रिगा स्कल्पचर, जो कि ब्रांडेनबर्ग गेट में स्थित है, के इर्दगिर्द मानो पूरा बर्लिन इकट्"ा हो जाता है और दूसरे विश्व युद्ध में फांसीवाद की पराजय का जश्न मनाता है।

गौरतलब है कि इसी गेट में रूसी की लाल सेनाओं ने हिटलर के अपराजेय सैन्य कारवें को धूल धूसरित किया था। बात जश्न की हो, रात की हो, रोशनी की हो और न्यूयार्क का नाम न आये ऐसा हो ही नहीं सकता। जी, हां! न्यूयार्क दुनिया में जश्न की आधुनिक परंपरा का पोस्टर है। ऐसे में यहां का नये साल का जश्न तो यादगार होना ही होता है। न्यूयार्क सिटी स्थित टाइम स्क्वायर इस जश्न का गढ़ माना जाता है। यहां पूरी दुनिया से लोग 31 दिसंबर की रात आकर जुटते हैं और भूमंडलीकरण को नये अर्थ देते हैं। सही मायनों में न्यूयार्क ग्लोबलाइजेशन का सबसे जीवंत मुहावरा है। यहां 31 दिसंबर की शाम से ही जश्न की शुरुआत हो जाती है और यह जश्न 1 जनवरी की सुबह तक जारी रहता है। जैसा कि हम सब जानते हैं जब भारत में लोग नये साल का जश्न मनाकर गहरी नींद में सोये होते हैं, अगले दिन सुबह जल्दी जगने की परवाह किये बिना अमेरिका में नया साल तब दस्तक देता है।

इस तरह न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया से जिस नये साल के आगमन की शुरुआत होती है, सबसे अंत में वह अमेरिका पहुंचता है और जैसा कि अमरीकी लोग मानते हैं, वहीं रूक जाता है। इसीलिए अमरीकी पूरे साल जश्न मनाते हैं। वर्षांत के जश्न की यह परंपरा यूरोप में वियना में भी धूमधाम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में नये साल के स्वागत के लिए शहर के लोग शाम के पहले ही शहर के मध्य में स्थित विशाल मैदान में इकट्"ा हो जाते हैं, खाते, पीते, नाचते गाते ये लोग जोर जोर से अपने नये साल का रिज्योल्यूशन या संकल्प भी सबको साक्षी मानकर ले रहे होते हैं और पुराने साल में संकल्प लेने के बाद वह जो नहीं कर पाये होते उसकी माफी मांगते हैं, किसी और से नहीं अपने आपसे।

माना जाता है कि इस दिन हर वियनावासी इतनी बियर पीता है, जितनी वह अगले एक महीने में नहीं पीता। हाल के सालों में बढ़ते ध्वनि पदूषण से सचेत इस शहर में अब पूरी रात बजाये जानेवाले हॉर्न पर पाबंदी लगा दी गई है। लेकिन ढोल, नागाड़े, पिपहरी और बीनों पर को कोई पतिबंध नहीं है, इसलिए 31 दिसंबर की रात वियना रंगबिरंगी सिटी में तब्दील हो जाता है। कहा जाता है कि इस रात यहां के लोग इतने मस्ती में और इतने नशे में धुत होते हैं कि किसी को नहीं पता होता कि वह किसके साथ क्या खा रहा है, क्या पी रहा है या क्या कर रहा है? नये साल के जश्न की लहर यूरोप से टोरंटो तक एक जैसी है।

टोरंटों में भी नये साल की आखिरी रात में खूब धूम-धड़ाके और रोशनी का जलवा होता है। इसी के नक्शे कदम पर स्कॉटलैंड, रोम, वेनिश, शंघाई, लंदन, पेरिस, हांगकांग, मुंबई, गोवा यानी पूरी दुनिया जश्न में डूबी होती है। हाल के सालों में दिल्ली, लाहौर, मास्को भी इस जश्न का तरबतर हिस्सा बन चुके हैं।

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