कई चमचमाती उपलब्धियें का साल
स साल 25 अगस्त का दिन भारतीय खेलों के लिहाज से सुपर रहा। भारत ने टेस्ट चैंपियनशिप के अपने पहले मैच में वेस्टइंडीज को 318 से पराजित करके 60 अंक अर्जित किये। लेकिन इससे भी बढ़कर उपलब्धि यह रही कि ब्रासेल (स्विट्जरलैंड) में पीवी सिंधु ने इतिहास रचा। वह बैडमिंटन की विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली भारत की पहली शटलर बनीं। विश्व चैंपियनशिप में सिंधु का यह पांचवां पदक है, इससे पहले वह दो रजत व दो कांस्य पदक जीत चुकी थीं। इस स्वर्ण पदक को सिंधु ने अपनी मां के लिए उपहार के रूप में स्वीकार किया क्योंकि 25 अगस्त को उनकी मां का जन्मदिन था। यह विश्व चैंपियनशिप भारत के लिए इस लिहाज से भी विशेष रही कि 36 वर्ष के अन्तराल के बाद साईं फ्रणीत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने। उनसे पहले फ्रकाश पादुकोण ने भी पुरुष वर्ग में कांस्य पदक ही जीता था।
एमसी मैरी कोम का अर्जुन की तरह बस लक्ष्य पर निशाना था और उन्हें रिकॉर्ड-तोड़ आ"वां विश्व चैंपियनशिप पदक हासिल हो गया। यह शानदार उपलब्धि तीन वेट वर्गों में फ्राप्त हुई है- पिन-वेट (45 किलो), लाइट-फ्लाईवेट (48 किलो) और अब फ्लाईवेट (51 किलो)। वह पहले ही सर्वश्रेष्" महिला मुक्केबाज थीं कि आयरिश लीजेंड केटी टेलर के छह पदकों को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने पिछली बार अपना सातवां पदक जीता था और अब उन्होंने क्यूबा के हैवीवेट मुक्केबाज फेलिक्स सवोन के सात पदकों को भी पीछे छोड़ दिया है, जो सवोन ने अपने 20 वर्ष के गैर पेशेवर मुक्केबाजी करियर में जीते थे। उलन-उडे (रूस) में अक्टूबर 2019 में आयोजित विश्व महिला बॉक्सिंग चौंपियनशिप्स में छह बार की विश्व चैंपियन मैरी कोम ने कांस्य पदक के रूप में अपना आ"वां पदक जीता। छह स्वर्ण पदकों के अतिरिक्त उनके पास एक रजत पदक भी है।
लंदन ओलंपिक 2012 में कांस्य पदक जीतने वाली मैरी ने 2001 में अपना पहला पदक (रजत) जीता था, जो विश्व चैंपियनशिप का पहला सत्र था। उसके बाद उन्होंने अगले पांच सत्रों- 2002, 2005, 2006, 2008 व 2010 में स्वर्ण पदक जीते। दिल्ली 2018 से पहले उनका आखिरी स्वर्ण पदक ब्रिजटाउन 2010 में आया था। ािढकेट इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही खिलाड़ी ने आईसीसी के तीनों फ्रमुख पुरस्कार- सर गारफील्ड सोबर्स ािढकेटर ऑफ द इयर, टेस्ट प्लेयर ऑफ द इयर और आईसीसी ओडीआई प्लेयर (पुरुष) ऑफ द इयर- एक ही वर्ष में जीतते हुए क्लीन स्वीप किया है। वर्ष 2018 के लिए यह अफ्रत्याशित कारनामा किसी और ने नहीं बल्कि भारतीय ािढकेट टीम (टेस्ट, ओडीआई व टी20) के कप्तान और असामान्य फ्रतिभा के बल्लेबाज विराट कोहली ने कर दिखाया है। कोहली का मैदान पर बल्ला ही नहीं बल्कि आंकड़े भी बोलते हैं कि वह इस समय सर्वकालिक श्रेष्" बल्लेबाज बनने के मुहाने पर खड़े हैं बल्कि कुछ विशेषज्ञ तो उन्हें कम से कम ओडीआई के संदर्भ में ब्रैडमैन व महानतम बल्लेबाज कहने लगे हैं।
टेस्ट में भारतीय ािढकेट के लिए यह वर्ष ऐतिहासिक रहा। 71 वर्ष की रोमांचक ािढकेट फ्रतिद्वंदिता के दौरान यह पहला अवसर है जब टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घर में पराजित किया है। विराट कोहली की टीम ने चार मैचों की टेस्ट श्रृंखला में 2-1 से जीत दर्ज की। सिडनी में चौथा टेस्ट बारिश के कारण ड्रा रहा, हालांकि उसमें भी भारत की स्थिति बहुत मजबूत थी कि ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 322 रन से पिछड़ने के बाद फॉलोऑन कर रही थी। भारत ने पहला व तीसरा टेस्ट मैच जीता, जबकि ऑस्ट्रेलिया ने दूसरे में जीत दर्ज की। इस फ्रकार भारत ने बॉर्डर-गावस्कर ट्राफी को अपने पास रखा। अब भारत ने दक्षिण अफ्रीका को छोड़कर सभी टेस्ट खेलने वाले देशों से उनकी ही धरती पर सीरीज जीतने का गौरव फ्राप्त कर लिया है।
टेस्ट क्षेत्र में नये फ्रवेश करने वाले दो देशों में से अफगानिस्तान में मैच आयोजित होते नहीं और आयरलैंड से मुकाबला हुआ नहीं है। इसके अतिरिक्त भारत ने दक्षिण अफ्रीका व बांग्लादेश पर अपने घर में लगातार चार टेस्ट मैचों में पारी की रिकॉर्ड जीत दर्ज की। 22 नवम्बर से कोलकाता में भारत ने अपना पहला डे-नाईट टेस्ट पिंक गेंद से बांग्लादेश के विरुद्ध खेला। इस साल से शुरू हुई टेस्ट चैंपियनशिप में भारत के अब 360 अंक हैं और वह शीर्ष पर है। हालांकि इंग्लैंड व वेल्स में खेले गये विश्व कप 2019 में जीत की फ्रबल दावेदार होने के बावजूद सेमी फाइनल में न्यूजीलैण्ड से एक रोमांचक मुकाबले में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी, लेकिन इस फ्रतियोगिता में जो तीन यादगार गेंदें फेंकी गई हैं, उनमें से दो का श्रेय भारतीय खिलाड़ियों को जाता है। ये गेंदें लापरवाह संदर्भ से भी तुरंत ही दिमागी रील को सािढय कर देती हैं और खेल का पूरा सीन आंखों के सामने आ जाता है। ये तीन गेंदें हैं- मुहम्मद शमी की अंदर आती हुई गेंद जिसने शाई होप को बोल्ड किया, मिट्चेल स्टार्क की योर्कर जिसने बेन स्टोक्स को बोल्ड किया और कुलदीप यादव की फ्लोटिंग ब्यूटी जिसने बाबर आजम को चकमा देते हुए बोल्ड किया। इन तीनों गेंदों में से सबसे अच्छी कौन सी थी? यह तय कर पाना क"िन है, इसलिए इन्हें कोई ाढम नहीं दिया गया है। हां, इतना तय है कि तीनों ही हमेशा याद की जाने वाली यादगार गेंदें हैं। जब भी जेवलिन थ्रो की चर्चा होती है तो सिर्फ नीरज चोपड़ा की ही बातें होती हैं। जैसे जैसे चोपड़ा की उपलब्धि सूची लम्बी होती गई- अंडर-20 विश्व खिताब, एशियन खिताब, राष्ट्रकुल खेल व एशियन गेम्स का गोल्ड मैडल और डायमंड लीग प्लेसिंग- तो दूसरे खिलाड़ी जनता की यादों में हाशिये पर चले गये।
लेकिन अफ्रैल में दोहा में हुई एशियन चैंपियनशिप में 23 वर्षीय शिवपाल सिंह ने रजत पदक के लिए 86.23 मी की थ्रो की और अपने आगमन की खबर दी। यह फ्रयास तायपेई के एशियन रिकॉर्ड धारक चाओ सुन चेंग से कम रहा, लेकिन भारतीय जेवलिन इतिहास में यह चोपड़ा के बाद सबसे अच्छी थ्रो रही। चोपड़ा का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 88.06 मी का है। अगर आप अपना पहला ग्रैंड स्लैम खेल रहे हों और पहले ही मैच में मुकाबला 20 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन रोजर फेडरर से हो तो आपको कैसा महसूस होगा? इस फ्रश्न का उत्तर वही दे सकता है, जिसने यह अनुभव किया हो और वह हैं भारत के उभरते हुए युवा टेनिस खिलाड़ी 22 वर्षीय सुमित नागल। वाइल्ड कार्ड एंट्री के रूप में नागल को 27 अगस्त को यूएस ओपन में अपना पहला मैच फेडरर के खिलाफ खेलने को मिला। हालांकि वह 6-4, 1-6, 2-6, 4-6 से हार गये, लेकिन उन्होंने निराश नहीं किया, और इस फ्रािढया में वह फेडरर से एक सेट जीतने वाले पहले भारतीय बने और नागल का यह फ्रदर्शन काफी चर्चा का विषय रहा। जहां तक एथलेटिक्स की बात है तो नापोली में आयोजित ग्लोबल फ्रतियोगिता वर्ल्ड यूनिवर्सिएड में 100 मी. का स्वर्ण पदक दुतीचंद ने जीता। वह किसी भी अंतर्राष्ट्रीय फ्रतियोगिता में 100 मी. का गोल्ड जीतने वाली भारत की पहली महिला एथलीट हैं। इस साल हिमा दास ने भी यूरोप की फ्रतियोगिताओं में पांच स्वर्ण पदक जीते।