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पैरा मेडिकल सर्विसेज में करियर डॉक्टर तो नहीं पर कमाई में कम नहीं

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:20 Aug 2017 3:23 PM GMT

पैरा मेडिकल सर्विसेज में करियर   डॉक्टर तो नहीं पर कमाई में कम नहीं

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नरेंद्र कुमार

अब भी यह धारणा बहुत सारे लोगों के दिमाग में है कि मेडिकल क्षेत्र की सीमारेखा एमबीबीएस, एमडी या फिर दूसरी डिग्रियों से लैस डाक्टर तक ही सीमित है। लेकिन इस पर बिना किसी अतिरेक के कहा जा सकता है की यह गलत है,सच्चाई तो यह है कि मेडिकल की दुनिया की यहाँ से शुरुआत । इसके बाद इसकी बहुत बड़ी दुनिया है जो हाल के दशकों में बनी है और भविष्य में अभी और ज्यादा फले-फूलेगी। पैरा मेडिकल की दुनिया यही है जहाँ की अब भी अपार संभावनाएं हैं ।
खास बात यह है कि पैरामेडिकल क्षेत्र में कॅरिअर बनाने वाले युवा मेडिकल एवं सिविल दोनों तरह के अनुभवों का लाभ उठाते हैं। वैसे यह कोई नया क्षेत्र नहीं है,पैरा मेडिकल क्षेत्र भी इतना ही पुराना है जितना कि मेडिकल क्षेत्र । लेकिन पुराने समय में यह व्यवस्थित कॅरिअर नहीं माना जाता था,लेकिन आज है। मेडिकल के क्षेत्र में निरंतर विकास ने पैरामेडिकल की अवधारणा को भी विकसित किया और आज स्थिति यह है कि कोई भी अस्पताल पैरामेडिकल स्टाफ पर उतना ही निर्भर होता है जितना कि मेडिकल स्टाफ पर। पैरामेडिकल स्टाफ के बगैर डाक्टर कुछ करने की स्थिति में नहीं होता। उसे हर कदम पर पैरा मेडिकल से संबंधित स्टाफ की जरूरत पड़ती है। इसी जरूरत ने इस क्षेत्र को युवाओं के कॅरिअर बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण बना दिया है।
दरअसल रोग के निदान से लेकर मरीज की देखभाल तक की जिम्मेदारी पैरामेडिकल से जुड़े लोगों की होती है। चाहे बात चेकअप की हो या फिर आपरेशन की, हर स्तर पर पैरामेडिकल स्टाफ डाक्टर के कदम से कदम मिलाकर चलता है। अधिकाधिक सुविधाएं देने की होड़ में अस्पतालों में पैरा मेडिकल स्टाफ की भागीदारी का अनुपात बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में पैरा मेडिकल के क्षेत्र से जुड़े लोगों की भर्ती में आश्चर्यजनक उछाल आया है। चूंकि स्वास्थ्य सेवाओं को सर्वसुलभ एवं अधिकाधिक सुविधाजनक बनाने पर सरकारी एवं निजी, दोनों स्तरों पर जोर दिया जा रहा है इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं कि पैरामेडिकल स्टाफ की मांग में उत्तरोत्तर बढ़ोत्तरी ही होगी। इस लिहाज से देखा जाये तो इस क्षेत्र में बेहतर कॅरिअर बनाने की तमाम संभावनाएं मौजूद हैं।
पैरा मेडिकल सर्विसेज के विभिन्न रूप हैं। फिजियोथेरेपिस्ट, आक्यूपेशनल थेरेपिस्ट, साइकाट्रिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, प्रास्थेटिक एंड आर्थाटिक इंजीनियर्स, रेडियोग्राफर्स, मेडिकल लैब टेक्नीशियंस, डायटीशियंस, फूड सर्विस वर्कर्स, फार्मासिस्ट, डेंटल मैकेनिक्स, सैनिटरी इंजीनियर्स, इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशिंयस, माइाढाs बायोलाजिस्ट, सेफ्टी इंजीनियर्स, आप्टोमीट्रिस्ट, परफ्यूजन टेक्नोलाजिस्ट, मेडिकल लैब टेक्नोलाजिस्ट इत्यादि को पैरा मेडिकल क्षेत्र में शामिल किया जाता है। इन तमाम पदों पर काम करने वाले लोगों को डाक्टरों के दाहिने हाथ के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निभाना पड़ता है।
पैरामेडिकल स्टाफ का काम जिम्मेदारी के लिहाज से डाक्टरों से किसी भी सूरत में कम नहीं है। इसलिए इस क्षेत्र में भी डाक्टरी पेशे की तरह तकनीकी रूप से पूरी तरह प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता होती है। मेडिकल की तरह ही पैरा मेडिकल स्टाफ के लिए भी मेडिकल शिक्षण संस्थानों द्वारा अनेक पाठ्पाम संचालित किए जाते हैं। काम की प्रकृति के हिसाब से तमाम पदों के लिए अलग-अलग पाठ्पाम उपलब्ध हैं। ज्यादातर पाठ्पाम बीएससी डिग्री के रूप में उपलब्ध हैं। पैरामेडिकल के क्षेत्र में डिग्री एवं डिप्लोमा दोनों तरह के कोर्स उपलब्ध हैं। ग्रेजुएट पाठ्पाम तीन वर्ष का है जबकि पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्पाम एक एवं दो वर्ष की समयावधि का होता है।
पैरामेडिकल के डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी को साइंस (बायो) विषयों के साथ इंटरमीडिएट होना जरूरी है। कुछ संस्थानों में प्रवेश अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है तो कुछ संस्थान राज्यस्तरीय प्रवेश परीक्षा के जरिए प्रवेश देते हैं। पैरा मेडिकल से जुड़े पाठ्पामों का प्रशिक्षण देने के लिए अनगिनत संख्या में निजी शिक्षण संस्थान भी अस्तित्व में आ गये हैं। इन संस्थानों में प्रवेश लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाना चाहिए कि संस्थान को आल इंडिया काउंसिल आफ टेक्निकल एजूकेशन, संबंधित राज्य की टेक्निकल यूनिवर्सिटी एवं अधिकृत काउंसिल से मान्यता मिली हुई है या नहीं। यदि संस्थान इन तमाम संस्थाओं से मान्यता प्राप्त नहीं है तो ऐसे संस्थान में प्रशिक्षण लेना बेकार है, ऐसे प्रशिक्षण की कोई मान्यता नहीं है। इसलिए पाठ्पाम में एडमिशन लेते समय इन तमाम बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
पाठ्पाम की पढ़ाई करने के बाद पैरा मेडिकल के क्षेत्र में रोजगार की कोई कमी नहीं है। जिस तरह से फाइवस्टार कल्चर के अस्पताल बनाने का प्रचलन चल निकला है, उससे तो इस क्षेत्र में शानदार कॅरिअर बनाने की संभावनाओं को चार चांद लग गये हैं। एक नये अस्पताल में ही सैकड़ों की तादाद में पैरामेडिकल क्षेत्र के लोगों की आवश्यकता पड़ती है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के अलावा निजी क्षेत्र में पैरा मेडिकल स्टाफ की भारी मांग है। अस्पतालों, क्लिनिकों, नर्सिंग होम के अलावा संबंधित क्षेत्र में रिसर्च अथवा अध्यापन कार्य किया जा सकता है। पैरा मेडिकल को स्वरोजगार के तौरपर भी अपनाया जा सकता है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर काम किया जा सकता है।
प्रमुख संस्थान-
-सफदरजंग अस्पताल डिपार्टमेंट आफ रिहैबिलिटेशन, अंसारी नगर, नई दिल्ली 110 016
-गुरु जंभेश्वर यूनिवर्सिटी, डिपार्टमेंट आफ फार्मास्युटिकल साइंसेज, हिसार- 125 001, हरियाणा
-डिपार्टमेंट आफ फार्मास्युटिक्स, इंस्टीट्यूट ऑ़फ टेक्नोलाजी, बीएचयू, वाराणसी - 221 005
-एस एन मेडिकल कालेज, आगरा 282 002, उप्र
-जीएसपीएम मेडिकल कालेज, कानपुर-208002, उप्र
-लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज, नई दिल्ली 110 001
-डिपार्टमेंट आफ फार्मेसी, कुमायूं यूनिवर्सिटी, नैनीताल-263 001
-गुरु तेगबहादुर हास्पिटल, शाहदरा, दिल्ली
-एलएलआरएम मेडिकल कालेज, मेरठ 250 102
-हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्रीनगर, उत्तरांचल

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