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युद्ध इतिहास की सबसे साहसी कहानी जिसे दुनिया ने साजिशन भुला दिया
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एन के अरोड़ा
अगर आपसे बिलकुल एक सपाट सवाल पूछा जाय की दूसरे विश्व युद्ध में किस देश की सेना ने सबसे जांबाज प्रदर्शन किया था तो बिना किसी दुविधा के इस सवाल का आप जवाब दे सकते हैं-सोवियत संघ र् जी,हाँ ये सोवियत संघ की लाल सेना ही थी जिसने नाज़ियों की कमर तोड़ दी थी र् हम जर्मनी, अमेरिका के सैनिकों को या युद्ध के अंतिम दौर में लड़नेवाले जापान के सैनिकों को भी जांबाज सैनिकों का मुकुट पहना सकते हैं र्
लेकिन अगर हम चाहें तो इस सवाल पर दूसरे नजरिये से भी सोच सकते हैं र् वह होगा कि द्वितीय विश्व-युद्ध में किस देश के सैनिक और नागरिक सबसे ज्यादा मारे गएर् क्योंकि युद्ध में बहादुरी की एक व्याख्या कुर्बानी भी होती है इस लिहाज से द्वतीय विश्व युद्ध में मारे गए सैनिकों व नागरिकों की देशवार अनुमानित संख्या इस प्रकार हैः
इटलीः 3,19,200
यूनाइटेड किंगडमः 4,50,900
संयुक्त राज्य अमेरिकाः 4,19,400
फ्रांसः 6,00,000
जापानः 25 लाख
जर्मनीः 69 लाख
लेकिन इन दोनों ही जवाबों और आंकड़ों के इतर भी द्वतीय विश्व-युद्ध की एक हैरत अंगेज कहानी है जिसे न सिर्फ पश्चिम की सरकारों बल्कि वहां के इतिहासकारों ने भी भुला दिया या फिर जानबूझकर अनदेखी की र् जी,हाँ शायद यह सब इसलिए हुआ क्योंकि जांबाजी की इस कहानी का रिश्ता हिन्दुस्तान से थर् द्वतीय विश्व युद्ध के परिदृश्य में देखें तो हिन्दुस्तान तब एक ऐसा देश था,जिसकी युद्ध में हिस्सा लेने की कोई बाध्यता नहीं थी र् क्योंकि हिन्दुस्तान गुलाम था और यह महायुद्ध सम्प्रभुताओं की दावेदारी का युद्ध था र्
फिर भी हिन्दुस्तान के सैनिकों ने ही नहीं यहाँ की अवाम ने ने भी युद्ध में हिस्सेदारी की भागीदारी निभायी र् हिन्दुस्तानी सैनिक मित्र देशों के गठबंधन की तरफ से युद्ध लड़ा और हमारे सैनिकों की वीरता का सबने लोहा माना र् यही नहीं जहाँ बलिदानों का सवाल है तो इस महायुद्ध के चलते या इससे उत्पन्न परिस्थतियों के चलते लगभग 1 करोड़ हिन्दुस्तानी नागरिक मारे गए जिसमें सबसे बड़ी भूमिका ब्रिटेन की उस युद्ध नीति की थी जिसके चलते उसने सारा अनाज या तो अपनी फौजों के लिए सुरक्षित कर लिया था या उसे ब्रिटेन भेज दिया था ताकि युद्ध के दौरान रसद संकट न पैदा हो र्
जबकि दूसरी तरफ इस अनाज के अभाव में बंगाल में मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदी घटित हुई और महाअकाल में 95 लाख से ज्याद लोग मारे गए र् भारत ने आधुनिक काल के इस सबसे बड़े युद्ध में लड़ने के लिए सबसे अधिक स्वयंसेवकों को भेजा र् भारतीय सैनिकों ने इस युद्ध में ब्रिटिश, अमेरिकी और सोवियत सेनाओं के साथ
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