Home » रविवारीय » कैलाश मानसरोवर यात्रा यात्राएं खोलती हैं जीवन का रहस्य

कैलाश मानसरोवर यात्रा यात्राएं खोलती हैं जीवन का रहस्य

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:15 Oct 2017 5:29 PM GMT

कैलाश मानसरोवर यात्रा  यात्राएं खोलती हैं जीवन का रहस्य

Share Post

समीर चौधरी

"बेटा उठो! तैयार होने व दूसरों से मिलने का समय हो गया है," बुज़ुर्ग व्यक्ति ने अपनी लम्बी दाढ़ी में हाथ फेरते हुए और मुझे जगाने की कोशिश करते हुए कहा। हम से कहा गया था कि हम सुबह 3ः30 तक तैयार हो जायें, लेकिन हमें लग रहा था कि अभी अभी तो हम बिस्तर में घुसे हैं। मैंने अंगड़ाई ली, मैं जागा और उठा। मुझे अपना गाइड सुभाष कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने उसे तलाशने की कोशिश की।
23 साल का सुभाष कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए मेरा पोर्टर था। वह एमए के दूसरे साल में था और यह उसका गा।मयों का जॉब था। मेरे गाइड ने मुझे बताया कि उत्तराखंड में काली नदी के पास वाला यात्रा रास्ता पिछले 200 साल से अधिक से काम में आ रहा है और यह भारत व नेपाल के बीच की सीमा भी है। दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग ने मुझसे कहा कि मैं उनके साथ बाहर निकलूं। "सुभाष कहां है?" मैंने बुज़ुर्ग से मालूम किया। मुझे सुभाष की आदत सी पड़ गई थी; वह पिछले दो दिन से मेरा गाइड व पोर्टर था।
हमारा दूसरा मेडिकल परीक्षण गुंजी में हुआ था, जहां से हमने 'ऊंचे पर्वत' ट्रेक को दो दिन पहले आरम्भ किया था। "लोतुम यहां आ गये," बुज़ुर्ग व्यक्ति ने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा। वह इतने सभ्य व सुशील थे कि मैं ख़ामोशी से, बिना कोई सवाल किये, उनके निर्देशों का पालन करने लगा। उन्होंने कहा, "मैं पिंडारी ग्लेशियर को देखने गया था और आज सुबह ही लौटा हूं। आओ मैं तुम्हें काली नदी के स्रोत तक ले जाता हूं।" "यह नदी कालापानी के मन्दिर से शुरू होती है, बहुत मामूली अंदाज़ में। यह गोरी गंगा से मिल जाती है और फिर सरयू जाती है, जो कि मेरा जन्मस्थल है। वहां यह कर्नाली से मिल जाती है और फिर दोनों अपनी बड़ी बहन गंगा से मिलती हैं।"
बुज़ुर्ग ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, "जब तक यह गंगासागर पहुंचती है, यह बहुत शांत रहती है और बहन गंगा से इसका बहुत शानदार सम्बंध रहता है। मेरे सैंकड़ों भक्त व अनुयाई वहां जाते हैं और जश्न मनाते हैं जब गंगा ख़ामोशी से समुद्र में मिल जाती है, अपनी सभी चिकित्सीय गुणों के साथ जिन्हें वह पहाड़ों से एकत्र करती है। एक तरह से यह गंगा व उसकी सभी बहनों के लिए घर वापसी है।" "आखिरकार, जब मैं छोटा था तब सागर सिमट गया और हिमालय बन गया। जीवन पा पूर्ण हो जाता है या यहां मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इसलिए आश्चर्य नहीं है कि अधिकतर सभ्यताएं नदियों के किनारे विकसित हुईं ।"
मुझे ताज्जुब हुआ कि बुज़ुर्ग व्यक्ति ने कितनी आसानी से मुझे पृथ्वी ग्रह पर हमारे जीवन पा को समझा दिया था। मैं अभी इसी ज्ञान की मस्ती में ही था कि मेरे कानों में आवाज़ आयी,"उठो, उठो! हमें देर हो रही है, जल्दी करो।" यह सुलक्षना थी, जो मुझे उठाने का प्रयास कर रही थी। मेरा सपना टूट गया। हम जल्दी से तैयार हुए, और हमारी वाक सुबह 3ः30 पर आरम्भ हो गई ताकि हम समय से सीमा पर पहुंच जायें। सुभाष हमारे साथ ही था। जिस पार्टी ने हमसे पहले तिब्बत के भीतर अपना ट्रेक समाप्त किया था, उसे पहले 'क्लियर' किया जाना था, तभी दूसरी तरफ के अधिकारी हमें अंदर प्रवेश करने की अनुमति देते।
रास्ते में सुभाष ने अनेक गुफाओं के बारे में जानकारी दी, उनके धा।मक महत्व को समझाया। उसने हमें बताया कि लगभग 5000 वर्ष पूर्व 'महाभारत' के भाष्यकार ऋषि व्यास नेपाल में दमौली नामक जगह में जन्मे थे। वह मन्दिर के बहुत पास वाली गुफा में रहा करते थे। "इसलिएइस घाटी को व्यास घाटी कहते हैं," सुभाष ने समझाया। रास्ता अत्याधिक ढलान वाला होता जा रहा था। खतरनाक रास्ते पर मुझे सहारा देने के लिए सुभाष ने हल्के से मेरा हाथ पकड़ लिया। सुभाष ने सावधान करते हुए कहा, "हर साल रास्ता बारिश में बह जाता है। लेकिन प्रकृति माँ तीर्थयात्रियों को कैलाश पर्वत तक का रास्ता तलाश करने में मदद कर ही देती है। आप बहुत ध्यानपूर्वक अपना पैर रखें, आहिस्ता, आहिस्ता, संभल संभलकर।"
इस चेतावनी के बावजूद थोड़ी देर बाद ही मेरा पैर टेढ़ा पड़ा, मैं लडखडा गया, नीचे गिरने को ही था कि मुझे लगा किसी ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया है, मुझे गिरने से बचा लिया है...दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग का चेहरा मेरी आँखों के सामने था...आओ मैं तुम्हें ले चलता हूं...मुझे किसने संभाला था? मैंने सुभाष से कहा कि मुझे एक दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग का चेहरा दिखाई दिया था, वह मेरे सपने में भी आए थे... सुभाष बोला, "गुरु या मार्गदर्शक सभी रूपों में आते हैं। वह ब्रह्मा हैं, वह विष्णु हैं, वह महेश्वर हैं। गुरु ही सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं। गुरु के समक्ष झुक जाओ। वेदांत में आत्मा ही मुख्य सिद्धांत है, सत्य आत्म है, व्यक्ति का मूल है। मोक्ष प्राप्ति के लिए मानव को आत्म ज्ञान हासिल करना चाहिए, जिसका उद्देश्य यह एहसास करना है कि व्यक्ति की आत्मा ही अपने में ब्रह्मा है।"
युवा गाइड ने बहुत गहरी बात सरल शब्दों में समझा दी थीं। मैं सोचने लगा कि मेरा गाइड सुभाष कहीं स्वयं व्यास तो नहीं है...और वही दाढ़ी वाले बुज़ुर्ग, हां व्यास, का चेहरा मेरी आंखों के सामने आ गया। कैलाश जाते हुए मुझे जीवन का रहस्य और शायद उद्देश्य भी मालूम हो चुका था...अब सिर्फ मैं था और कोई दूसरा नहीं था...ईश्वर एक है, एक ही है।

Share it
Top