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इंटरनेट ऑ़फ थिंग्स के दौर में हर चीज में होगा कंप्यूटर

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:22 Oct 2017 5:30 PM GMT

इंटरनेट ऑ़फ थिंग्स के दौर में  हर चीज में होगा कंप्यूटर

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संजय श्रीवास्तव

आज इस बात की बस कल्पना की जा सकती है कि चीजें हमारे आदेश पर काम करने या दूर से नियंत्रित होने के लिये पहले से ही तैयार हों। वे अपना गुण, चरित्र, आकार, व्यवहार समय, आवश्यकता मांग और निर्देश के अनुसार और अनुरूप बदल सकें। लेकिन कल को ऐसी तमाम चीजें हकीकत में आ सकती हैं। ऐसी चीजें व्योहारिक सच्चाई बन सकती हैं मसलन कोई उपकरण जो मरीज को बिना कहे ही निर्धारित समय पर इंजेक्शन या दवा दे सकें। कार, टायरों तक खुद पहुँच जाएँ। सड़क गीली और फिसलन भरी हो तो टायर खुद इस बात को समझते हुए सड़क पर अपनी पकड़ बढा दें। अगर कोई बुजुर्ग जो घर के फर्नीचर को हिलाडुला कर इधर उधर करने की ताकत या रुचि नहीं रखता तो वह बस दूर से निर्देश देकर कमरे के फर्नीचर को अपनी तरह से सेट या व्यवस्थित कर सके। यह सब संभव होगा।
वास्तव में भविष्य में स्मार्ट मेटेरियल से बनी चीजों को जो इंटरनेट युक्त या कनेक्टेड होंगी उन्हें दूर से ही नियंत्रित किया जा सकेगा। फिलहाल इस क्षेत्र में तात्कालिक शोध और विकास जो इशारे कर रहे हैं उससे लगता है कि दो दशकों के भीतर ही इस तरह की सामग्री विकसित हो जायेगी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स की तकनीक आम होते ही, जिसके तहत सभी वस्तुएं इंटरने से कनेक्टेड होंगी, चलन आते ही इसको इस तरह गति मिलेगी कि अगले एक दशक में यह सर्वत्र व्याप्ति वाली तकनीक हो जायेगी। तब हमारे रोजमर्रा के जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र हो जो इससे अछूता रहे। तकनीक अवसंरचनाओं के द्वारा इनकी स्वीकार्यता तथा और इनकी वजह से बढी कार्यदक्षता कुशलता, उत्पाद, निर्माण इत्यादि के क्षेत्र में ाढांतिकारी परिवर्तन आयेगा।
ह्यूस्टन से हैदराबाद मंगाई गई एक खास कुर्सी जब डिलीवर की गयी तो एक चपटे पैक में थी, इसे डिब्बे से निकाला गया और इस शीट को पानी में डाला गया. बीस मिनट के भीतर उस तरह के डिजाइनर कुर्सी को पानी में से निकाल लिया गया जिसकी तस्वीर पैक पर बनी हुयी थी. यह चमत्कार उस सामग्री का था जिससे वह कुर्सी ना।मत थी. सामग्री तो वुड या लकड़ी कि ही थी पर कम्पोजिट वुड, उसके थ्रीड़ी प्रिंट निकालने से पहले उसके ग्रेन या एक एक दाने,रेशे को कस्टमाइज्ड किया गया था, अपने अनुसार ढाला गया था। उसके हर अंश इस बात के लिये तैयार था कि पानी के संपर्क में आने के बाद उसके मोड़ों को झुकाओं और जोड़ों को कैसा व्यवाहार करना है और किस आकार में साकार होना है। सच तो यह है कि हर सामग्री की एक भाषा होती है। अगर वैज्ञानिक उस भाषा को पढ समझ जायें तो फिर वह उनसे आसानी के साथ संवाद स्थापित कर सकते हैं। वैज्ञानिक इसी कोशिशों में हैं।
वैज्ञानिक खास सामग्री से वनी चीजों का थ्रीड़ी प्रिंटिग़ निकालकर इनका आकार बदल सकते हैं पर अब वे इसमें टाइम का डाइमेंशन और जोड़ कर वस्तुओं के गुण भी बदलने के प्रयास में हैं। सामग्री और उनसे बने उत्पाद प्रीप्रोग्राम्ड भी हो सकते हैं और बात इससे भी आगे जा सकती है, यह भी संभव हो सकता है कि संबंधित सामग्री के गुण ,चरित्र और उसने बनी वस्तु का आकार और डिजाइन भी दूर से नियंत्रित की जा सके, बदली जा सके। हो सकता है कि एक दिन हम ऐसी सामग्री से बनी वस्तुओं का निर्माण करने में सफल हो जायें जो बिना किसी इंटरनेट अथवा बाहरी निर्देश के बिना भी प्रतिािढया देने के लिये प्री-प्रोग्राम्ड हों।
प्री-प्रोग्राम्ड मेटेरियल या फिर स्मार्ट मेटेरियल का जमाना अब बहुत दूर नहीं रह गया है। ऐसी सामगी जो किसी कंप्यूटर की तरह पहले से ही प्रोग्राम्ड हो और जब उसे कमांड दी जाये तो वह उसके हिसाब से व्यवहार करे। अब वह चाहे आपका बिस्तर या पढने की मेज हो या अथवा फ्रिज, आटा, दाल तेल मसाले रखने वाली अलमारी हो या फिर रेजर। बात अचरज की लगती है कि पर ऐसा तो प्रकृति में भी जाने कब से होता आया है। सूरजमुखी के पौधे को ही लीजिये वह सूरज की दिशा की ओर अपना मुंह करने को प्रोग्राम्ड है। उसमें मौजूद प्रोटीन के अणु अपने आसपास के वातावरण के अनुसार जटिल संरचना वाले ािढस्टल का निर्माण करते हैं इनमें यह गुण पहले से मौजूद होता है यानी कि सूरज के अनुरूप गति करने के लिये ये पहले से ही प्रोग्राम्ड होते हैं। अगर इसी तरह उस सामग्री विशेष के अणुओं को कार्य विशेष के प्रोग्राम्ड किया जा सके और उसे इंटरनेट से जोड़ा जा सके तो हर वस्तु एक कंप्यूटर में तब्दील हो सकती है और उसको मनचाहे निर्देश दे कर काम कराया जा सकता है या उससे आवश्यक सूचना पायी जा सकती है।
इस तरह की सामग्री से बनी वस्तुयें अपने आसपास के वातावरण, परिवेश और परिस्थितियों के अनुरूप प्रतिािढया व्यक्त करते हुए खुद में आवश्यक बदलाव कर लेंगे. जैसे एक ही शर्ट कश्मीर में गर्म रहेगी और छत्तीसगढ में ठंडी। कभी यह अहसास जरूर हुआ होगा कि अगर इंटरनेट पैक या डाटा प्लान खत्म हो जाये अथवा ऑफिस या घर का इंटरनेट कनेक्शन या फिर वाई फाई काम करना बंद कर दे तो कितनी बेचैनी होती है, दुनिया थम सी गयी लगती है। कितने काम रुक गये से जान पड़ते हैं। घर में रहे तो मोबाइल स्मार्ट फोन पर। ऑफिस में गये तो कंप्यूटर, लैपटाप के जरिये, असल में लगातार कनेक्ट रहना हमें आवश्यक लगता है,हमें अब इसकी आदत सी पड़ती जा रही है, निकट भविष्य में यह लत बन जाने वाली है। पर लत पड़ने से पहले इसका मुकम्मल इलाज हो चुका होगा क्योंकि तब इंटरनेट केवल लैपटॉप कंप्यूटर स्मार्ट फोन या टेबलेट इत्यादि तक ही सीमित नहीं होगा। यह जीवन से जुड़े तकरीबन हर चीज में मौजूद होगा।
स्मार्ट मेटेरियल को इंटरनेट से जोड़ना इस पूरी प्रािढया का बहुत आसान पहलू है। यह सामग्री विशेष तरह की लकड़ी से बनी हो या प्लास्टिक, कार्बन अथवा कपडे, चमड़े, धातु से। स्मार्ट मेटेरियल से इंटरनेट हर किसी में व्याप्त हो सकता है। स्मार्ट मेटेरियल से बने रोजमर्रा के काम आने वाली प्रीप्रोग्राम्ड वस्तुये इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़कर जीवन के तमाम पहलुओं को बदल देंगी। एक बार यह तकनीक चलन में आ गई तो फिर इसके अनुप्रयोगों की भरमार होगी। फिलहाल तो वैज्ञानिक इन खास समार्ट मेटेरियल के मूलभूत गुण दोषों से परिचित हो चुके हैं अब इनसे उत्पादों, उनकी डिजाइन और उनको बाजार तक पहुंचाने के अलावा वे इस्तेमाल के दौरान कैसी प्रतिािढया व्यक्त करेंगे इस पर निर्णायक काम जारी रखे हुये हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ ही दशकों में उनकी सफलता रोजमर्रा का जीवन बदल देगी।

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