Home » रविवारीय » अमरत्व के नजदीक है इंसान

अमरत्व के नजदीक है इंसान

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:4 March 2018 4:13 PM GMT

अमरत्व के नजदीक है इंसान

Share Post

संजय श्रीवास्तव

मनुष्य अमरत्व की ओर बढ़ चुका है । इस सदी में पैदा हुये लोग इस अमर फल को चखने की उम्मीद बांध सकते हैं। संभवतः यह आखिरी पीढी हो जो उम्र बढ़ने से मरे।
इन पंक्तियों को पढ़ने वाले युवा पा"क खासे खुश हो सकते हैं कि शायद उनको अमरत्व हासिल हो जाये। मतलब वे कभी नहीं मरेंगे बशर्ते अगले कुछ बरसों में किसी मारक दुर्घटना या फिलहाल लाइलाज समझी जाने वाली किसी बीमारी के शिकार न हो जायें। इस तरह देखा जाये तो यह संभवतः आखिरी पीढी होगी जो उम्र के अधिक होने के चलते या बुढ़ापे से मरेगी। वैज्ञानिकों ने अमरत्व के लक्ष्य को हासिल करने की समय सीमा 2050 नियत की है लेकिन इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों और फ्रविधियों के विकास को देखते हुये लगता है कि यह लक्ष्य कम से कम तीन दशक और आगे जा सकता है पर 2080 तक इसकी संभावनाएं सुनिश्चित हो जायेंगी।
इसका अर्थ यह हुआ कि जो भी इस सदी की शुरुआत में जन्मा है, वह 2080 में 80 साल का होगा। अगर सारे अनुमान सही रहे तो उसके अमरत्व पाने की संभावना फ्रबल है। यह अलग बात है कि शुरुआती दौर में यह सुविधा केवल महा अमीरों को ही हासिल हो सकेगी। मनुष्य मौत की गुत्थी सुलझाने और इस पर विजय पाने के लिये सदियों से फ्रयत्नशील है। वह चाहता है कि सदियों तक जिये या कभी न मरे। पर आज भी मौत को मात देना उसके लिये संभव नहीं हो सका है मगर फ्रयत्नशील तो है। पारस पत्थर के खोजी ग्रीक रसायनज्ञ से लेकर मृत संजीवनी विद्या के फ्रणेताओं के बाद अब अमरत्व का भरोसा दिलाने वाले वैज्ञानिक समूह इस फ्रयास में हैं। उनका मानना है कि उन को मनुष्य को हमेशा के लिये जिंदा रहने की कूव्वत पैदा करने वाली कुंजी मिल गई है। हम अमरत्व तक बस पहुंचना ही चाहते हैं।
सदी की शुरुआत में पैदा व्यक्ति जो 90 साल का हो चुका है, वह इस वय में अमरत्व नहीं चाहेगा। अमरत्व वही चाहेगा जो चिर युवा रह सके। इसके लिये जैव तकनीकी और मेडिसिन के क्षेत्र में नये फ्रयोग व फ्रविधियां और औषधियां विकसित करने में लगे हैं जो मनुष्य की कोशिकाओं अंगों को लगातार पुनर्जीवित करते रहें, उसे युवा बनाये रखें, युवावस्था या कम से कम चालीस के पहले उम्र की बढ़त को रोक लें। ऐसे में यह संभव है कि अमरत्व की इच्छा पनपे। इसलिये अमरत्व से पहले उम्र की बढ़त या वार्धक्य रोकने के सफलीभूत फ्रयास सबसे पहले होंगे। आयु को रिवर्स गियर में करने के लिये वैज्ञानिक जीवित मानव कोशिकाओं से बने थ्रीडी फ्रिंटेड मानवीय अंग और दूसरे जेनेटिक अभियांत्रिकी फ्रयोग कर रहे हैं।
बुढ़ाते अंगों को बदल देने और नया खून फ्रवाहित करने में सफलता मिल चुकी है, अगले ही दो दशक के भीतर इसके आम होने की संभावना है। वैज्ञानिकों का अमरत्व के बारे में दावा क्या महज विज्ञान की फंतासी फिल्मों का विषय वस्तु बना रहेगा या फिर यह कभी सच्चाई की धरातल पर भी उतरेगा। आर्टीफीशियल इंटीलीजेंस, बायोनिक्स, रोबोटिक्स, सेंसर्स और नैनो टेक्नोलॉजीज के अलावा तकरीबन दर्जन भर फ्रमुख तकनीक विधाओं का मिला जुला फ्रयास तो यह कहता है कि महज पचास साल बाद ऐसी सूरत दिखाई देने लगेगी कि मनुष्य अमरत्व की ओर पुख्ता कदम बढ़ा चुका है और अगले दो दशकों में वह अमरत्व पा लेगा फिर इसके आम होने में एक डेढ दशक से ज्यादा नहीं लगेगा। यह सब विकास मिलकर मनुष्य के अमरत्व की पूर्व पी"िका रखेंगे।
2070 तक सबको अमरत्व हासिल हो जायेगा कम से कम इलेक्ट्रानिक अमरत्व तो मिल ही जायेगा। भले ही यह अमरफल बहुत महंगा हो और शुरुआत में उसे कुछ लोग ही चख सकें पर 2100 के बाद एक समय ऐसा आयेगा जब यह इतना आम होगा कि सामान्य जन भी कह सकेंगे हां, जीवन खरीद सकेंगे। हो सकता है कि ऐसी स्कीम भी आये जिसमें लोग किश्तों पर अमरत्व खरीद सकें। अमरत्व के लिये दो आवश्यक तत्व हैं एक कार्यशील शरीर और दूसरा इसको संचालित और नियंत्रित करने वाला दिमाग। अगले पचास सालों के भीतर मनुष्य को यह सुविधा हासिल होगी कि अपना दिमाग क्लाउड पर रख सके और मस्तिष्क की सारी चेतना वहां संग्रहित कर सके। जहां जब चाहे तब उसका इस्तेमाल कर सके।
अगर किसी की मौत दुर्घटना अथवा ऐसी बीमारी से हो जाती है, जो उस कालखंड में भी असाध्य है तो चिंता की बात नहीं होगी क्योंकि इस नश्वर शरीर का विकल्प एंड्रायड बॉडीज के रूप में मौजूद होगा। सन 2050 तक ऐसी स्थिति आ सकती है कि दिमाग और मशीन का तादम्य पूरी तरह स्थापित हो जाये और दिमाग या याददाश्त को उस रूप फ्रारूप में हासिल और अपलोड किया जा सके जिस तरह कंप्यूटरीकृत फाइलें या मेमोरी होती हैं। सबब यह कि किसी का अपलोड़ किया दिमाग, किसी भी दूसरे शरीर के साथ जोड़ दें तो उसका इस्तेमाल हो सकेगा। यह परकाया फ्रवेश जैसा फ्रयोग होगा।
दिमाग को हर समय आनलाइन रखने की सुविधा मौजूद होने के बाद कोई भी व्यक्ति जब तक चाहे आभासी दुनिया में विचार सकता है। निस्संदेह तब भी कल्पना वाली आभासी दुनिया वास्तविक दुनिया से बेहतर और ज्यादा मजेदार होगी वहां जो चाहे किया जा सकता है, हर मनचाही इच्छा पूरी की जा सकती है, बिलकुल बिन मरे स्वर्ग जैसे स्थिति होगी फिर आभासी दुनिया को तजकर लोग मुश्किल से ही वास्तविक दुनिया में आयेंगे। यह भी हो सकता है कि कुछ डिजिटल ब्रेन आपस में साझा किये जाएं ऐसे में कोई भी व्यक्ति अपने मस्तिष्क के साथ दूसरे का दिमाग भी हासिल कर सकता है। दिमाग के ऑनलाइन होने का एक लाभ यह भी होगा कि लाखों लोगों से कोई भी अपने दिमाग को लिंक कर सकता है।
बाजार में अभी जो सेक्स डॉल मौजूद हैं यह देखने में बेहद खूबसूरत और असली औरत सरीखी दिखती हैं अगले पांच दशकों में यह और भी मानवीकृत हो जायेगी, इसी तरह एंड्रायड बॉडीज तैयार होंगी जो मानवीय कार्यों में सक्षम होंगीं, उनमें जीवित मानवीय अंग लगे होंगे इसमें नष्ट हुये शरीर के डिजिटल ब्रेन को जो क्लाउड या किसी कंप्यूटर में सुरक्षित है, डाउनलोड करने के बाद व्यक्ति विशेष को फिर से जिंदा किया जा सकता है। नये शरीर धारण करने वाले की इच्छा पर निर्भर है कि वह महिला का शरीर चाहता है या पुरुष का जवान का अथवा फ्रौढ का।
सबके लिये ये क्लाउड में धरा डिजिटल ब्रेन और बनी बनाई एड्राएड बॉडी तैयार मिल सकती है और क्लाउड पर ब्रेन रखने की सुविधा और एंड्रायड बॉडी खरीदने के लिये लोन भी। हालात यहां तक पहुंच सकते हैं कि एक व्यक्ति अपना शरीर नष्ट होने की आशंका में पहले से ही कई तरह के पसंदीदा शरीर खरीद कर रखे। हो यह भी सकता है कि अलग-अलग शरीर में एक ही जैसे कई मस्तिष्क की कॉपी काम कर रही हो या फिर खरीदा हुआ अथवा मिश्रित दिमाग भी। फिल्मों में दिखाई जाने वाली दोहरी तिहरी भूमिका यहां सच होती दिखेगी। जब दिमाग ऑनलाइन मौजूद हो तो एक ही शरीर के हर जगह उपस्थित रहने की क्या आवश्यकता। मनुष्य तब अध्यात्मिक संतों की तरह एक ही काल में कई जगहों पर एक साथ उपस्थित हो सकता है। समस्या यह खड़ी हो जायेगी तब जनसंख्या पर कोई रोक नहीं रहेगी ऐसे में हो सकता है कि व्यवस्थापिका एक व्यक्ति एक शरीर अथवा उनकी संख्याओं को सीमित करने के लिये कोई नियंत्रणकारी कदम उ"ाये क्योंकि यह पर्यावरण और आर्थिकी के लिये बड़ी समस्या का कारण बन सकते हैं।

Share it
Top