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लोगों के बीच में खुलकर कैसे बोलें
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जी.एस.नंदिनी
पब्लिक स्पीकिंग का तात्पर्य है समूह में लोगों को संबोधित करना। यह लोग आपके परिचित या अपरिचित दोनो हो सकते हैं। पारिवारिक उत्सवों में अपरिचितों की भीड़ को संबोधित करना, थोड़ा अलग है। कॉलेज में या वर्कप्लेस पर अपने सहयोगियों के बीच खुलकर बोलना, अपने विचारों को अभिव्यक्त करना यह एक ऐसी स्किल है, जिसकी कॉलेज में ही नहीं बल्कि वर्कप्लेस पर भी जरूरत होती है। इस स्किल के जरिये ही आप अपने बॉस को अपने निर्णय से अवगत करा सकते हैं और खुलकर उनके सामने अपनी बात कह सकते हैं।
कॉलेज में हो या वर्कप्लेस पर अपने सहयोगियों के साथ समूह में खड़े होकर कभी-कभी बोलना पड़ता है। जिन लोगों को इसका अभ्यास होता है, वो आत्मविश्वास के साथ इस स्किल में दक्षता हासिल कर लेते हैं। इसके विपरीत कई स्टूडेंट नर्वस हो जाते हैं और पहली बार क्लास में अपने साथियों के साथ स्पीच देते समय उन्हें घबराहट होती है। इस तरह लोगों के बीच बोलना भी एक ऐसी स्किल है, जिसमें पारंगत होना जरूरी है। कुछ ऐसे केंद्र बिंदु है, जिन्हें दूसरों के बीच बोलते हुए ध्यान रखना जरूरी है।
श्रोता कौन है?
दूसरों के बीच बोलने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप किनके बीच बोल रहे हैं। अपने विचारों को अभिव्यक्त करने से पहले अपने श्रोताओं को जानें। जिनके साथ आप बात करने जा रहे हैं, इसी के द्वारा आप उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं।
संक्षेप में बोलें
अकसर लोग किसी एक चीज पर ज्यादा समय तक अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। दूसरों के सामने बोलते समय इस बात का ध्यान रखें कि संक्षेप में बोलें और विषय से हटकर न बोलें।
अपने प्वाइंट पर फोकस रहें
बोलते समय अपने विषय पर केंद्रित रहे और श्रोताओं को भी केंद्रित रखें। एक साथ कई तरह के विचार को अभिव्यक्त करने में श्रोता किसी एक पर फोकस नहीं कर पाते, इसलिए बोलने के लिए एक विचार दिमाग में रखें और इसके पहले नोट्स बनायें और अभ्यास करें। ताकि जो आपको सुने वह आपको और आपके विचार को याद रखें।
समस्या पर फोकस करें
जिन लोगों के बीच में आप अपने विचार रख रहे हैं, आपका विषय क्या है? जिस समस्या पर आपको बोलना है उसके विषय में शुरुआत से कहें ताकि आपका श्रोता आपकी बात समझकर, आपसे अपेक्षाएं रखे।
समस्या का समाधान भी दें
यदि आप श्रोताओं के सामने किसी समस्या का पा करते हैं तो उन्हें अलग और मजेदार समाधान भी सुझाएं। समस्या के समाधान के लिए ही तो सब आपको सुनना चाहते हैं।
शुरुआत अच्छी करें
किसी भी विचार को व्यक्त करने में पहले 30 सेकेंड और अंतिम 30 सेकेंड बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अपनी स्पीच के शुरुआती हिस्से को आकर्षक, तरोताजगी से भरा और दिमाग को झकझोर देने वाला बनायें ताकि श्रोता का आखिर तक ध्यान आपमें रहे।
प्रेजेंटेशन का अंत हो अच्छा
हर भाषण की शुरुआती और अंतिम हिस्से के बारे में लोगों की अलग राय होती है। उनका ध्यान बीच में भटक जाता है, इसलिए अपने स्पीच का आखिरी संदेश और उसका शुरुआती हिस्सा ऐसा होना चाहिए, जो सबको झकझोर दे।
दृश्य माध्यम के द्वारा समझाएं
सुनने की बजाय देखने से चीजें, लंबे समय तक याद रहती हैं, इसलिए अगर विजुअल माध्यम का इस्तेमाल किया जाये तो अपने क्लासमेट के सामने प्रभावी प्रजेंटेशन दे सकते हैं, जिसमें बैकग्राउंट में स्लाइड पर आपके मेन आइडिया को दिखाया जाता है।
उदाहरण दें
अपनी स्पीच को नीरस न बनायें। कॉलेज लेवल पर स्टूडेंट को लेक्चर सुनना अच्छा नहीं लगता। अपनी स्पीच को रूचिकर और प्रभावी बनाने के लिए अपने श्रोताओं को उदाहरण द्वारा समझाएं।
सवाल पूछें
अपने विचारों को दूसरों से जोड़ने के लिए ऐसी स्पीच दें जिसमें सवाल हों, उनसे जवाब पूछें। उनके सवालों के जवाब एक साथ न दें।
लोगों के सामने आपको खड़े होने से डर लगता है। भीड़ में खड़े होकर कुछ बोलने में आप नर्वस फील करते हैं। बहुत सारे लोगों के साथ ऐसा होता है। यहां तक बड़े-बड़े वक्ता भी लोगों के बीच बोलने में कई बार घबरा जाते हैं। इसलिए अपने लिए एक प्रभावी स्पीच लिखकर पहले अभ्यास करें और उसे सही तरीके से लोगों के साथ शेयर करें।
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