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आओ बच्चों को इन छुट्टियों में सिखाएं पक्षियों की परवरिश
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नीलम अरोड़ा
इंसानों में पक्षियों को दाना डालने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह एक ऐसी आदत है जिसका हमारे दिल और दिमाग की सेहत से सीधा रिश्ता है। इससे स्वास्थ्य पर पॉजिटिव असर पड़ता है। साथ ही हम अपने आसपास के पर्यावरण को भी इससे बेहतर बना सकते हैं; क्योंकि पक्षी रहेंगे तो इकोलॉजी संतुलन बना रहेगा।
गौरतलब है कि हर साल लाखों पक्षी पांरपरिक फलदार पेड़ों के अभाव में भूख से मर जाते हैं। दरअसल इन दिनों ऐसे फलदार पेड़ों की बजाय लोग आर्थिक दृष्टि से फायदा देने वाले पेड़ों को लगाते हैं, जिनमें न सुगंध होती है, न फूल-फल जोकि पक्षियों के जिंदा रहने के लिए जरूरी हैं। इसी तरह नदियों में बढ़ते प्रदूषण के कारण झीलों का आकार भी सिकुड़ रहा है, नतीजतन नम भूमि को अधिकांश जगहों पर सड़कों में बदल दिया गया है। इससे पक्षियों के लिए पीने के पानी का भी बहुत अभाव हो गया है। ऐसे में यह हम तमाम इंसानों का फर्ज बन जाता है कि पक्षियों के लिए दाना, पानी की व्यवस्था करें ताकि इन गर्मी के दिनों में उनकी भूख और प्यास से अकाल मौत न हो।
आमतौर पर पक्षियों को दाना डालने का काम घर के बड़े सदस्य करते हैं उन्हें यह आदत बच्चों में भी डाली चाहिए। छुट्टियों में बच्चों को इलेक्ट्रोनिक डिवाइसेस से थोड़ी दूरी बनाकर, उन्हें पक्षियों की परवरिश करनी सिखानी चाहिए। टीवी और इंटरनेट से दूर पक्षियों की यह रंगबिरंगी दुनिया, बच्चों के लिए ज्ञानवर्धन का भी जरिया बनेगी साथ ही इससे उनका प्रकृति के साथ सीधा रिश्ता भी जुड़ेगा। प्रकृति के साथ इस तरह का नाता उन्हें अपने इर्दगिर्द के पर्यावरण को जानने और समझने की सहूलियत देता है। पक्षियों को दाना-पानी देने के साथ ही बच्चे इन छुट्टियों के दिनों में अपने गार्डन के पौधों की सिंचाई व देखरेख करना भी सीख जाएंगे।
बच्चे पक्षियों को कैसे पहचानें
पक्षियों के लिए दाना-पानी डालने के तुंरत बाद पक्षी नहीं आते। उन्हें दाना-पानी डालकर कुछ दूरी पर जाकर छिप जाना चाहिए, तभी वे उस जगह पर आते हैं। घर के किसी बड़े सदस्य को इस सबमें बच्चों की मदद करनी चाहिए। उन्हें पक्षियों के नाम बताने चाहिए और अगर उनके बारे में वह कुछ और जानते हों तो वह भी बताना चाहिए। एक बार बच्चों का पक्षियों से सीधा परिचय कराकर फिर विस्तार से उनके बारे में जानने के लिए इंटरनेट के जरिये जानकारी हासिल करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसा करना न सिर्फ शारीरिक रूप से सािढय रहना है बल्कि इससे मानसिक कसरत भी होती है और साथ ही रूचि भी परिष्कृत होती है।
कैसे तैयार करें पक्षियों का दाना-पानी
आमतौर पर लोग गेहूं, चावल, कच्चा या पक्का मक्का या फलों के छोटे टुकड़े या खाने की कोई और चीज खुले मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में डालकर रखते हैं। अगर जगह है तो स्थायी रूप से काम आने वाले 'बर्ड फीडर' भी बनाये जा सकते हैं। क्योंकि कई पक्षी जमीन पर रखा दाना चूंगते है तो कई फल खाना पसंद करते हैं। कुछ पक्षी ऊंचाई पर पेड़ पर लटके फलों से ही भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए अपने बालकानी या घर के आंगन में आने वाले पक्षियों की खाने की आदतों को जानने के बाद ही उनके लिए बर्ड फीडर तैयार करना चाहिए।
कहां रखें ये दाना-पानी
बर्ड फीडर को अगर ऊपर रखना हो तो खिड़की से कम से कम एक मीटर की दूरी पर इसे रखना चाहिए ताकि पक्षी बिना डरे दाना पानी ले सकें। घर में अगर कोई दूसरे पालतू जानवर हैं तो बर्ड फीडर को उनकी पहुंच से दूर रखें। इस बात का ध्यान रखें कि किस पक्षी को कौन सा भोजन पसंद है उसी के अनुसार ही उसके लिए लिए दाना बनायें। बेहतर होगा अगर बाजारा, चना, दाल, चावल या ब्लैक ऑयल सनफ्लावर शीट्स को मिलाकर इन्हें एक साथ रखा जाए।
बर्ड फीडर को साफ रखें
जिस तरह खाना खाने के बाद हम अपने बर्तन साफ करते हैं, उसी तरह पक्षियों के लिए दाना पानी रखने के पात्र को भी नियमित सफाई की जरूरत होती है। उसे अच्छी तरह रगड़कर साफ करें और थोड़ी देर धूप में सुखाएं उसके बाद उसमें दाना डालें, यह काम बच्चे से कराएं। इन छुट्टियों में बच्चों को नेचर पार्क या अपने आसपास स्थित चिड़ियाघर में लेकर जाएं और वहां उनका पक्षियों से परिचिय कराने के साथ-साथ पक्षियों की खाने की आदतों से भी परिचय कराएं।
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