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खरीदारी का अनुभव अब रोचक ही नहीं, रोमांचक भी होगा

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:17 Jun 2018 5:30 PM GMT

खरीदारी का अनुभव  अब रोचक ही नहीं, रोमांचक भी होगा

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संजय श्रीवास्तव

तकनीक खरीदारी के अनुभव को बेहद सहज, सरल और पहले से ज्यादा रोचक रोमांचक बनाने वाला है और यह सब महज पांच साल की दूरी पर है।

तकनीकी खरीदारी की दुनिया को शुरू से ही फ्रभावित करते आयी है, 1952 में जब बार कोड की तकनीक आयी तो अचानक ही भुगतान की भीड भरी लाइन और इंतजार में भारी कमी आयी। दुकानदारों द्वारा ग्राहकों को आकर्षित करने, संपर्क करने, आकर्षित और फ्रभावित करने के साथ साथ सामन की पैकेजिंग करने और उन्हें पहुंचाने के अलावा भुगतान करने की जो सुविधाएं आज विकसित हैं वे सब नयी तकनीक की देन हैं, इन तमाम तकनीक ने खरीदारी के अनुभव को बेहद बदल दिया है। अब आगे इसमें बड़े बदलाव नजर आने वाले हैं, दशक के भीतर ही खरीदारी या कहें खुदरा अथवा रिटेल के क्षेत्र में एक ाढांति सी आने वाली है और इसकी वाहक होगी नयी तकनीक।

ई-कामर्स, स्मार्टफोन और दूसरे मोबाइल डिवाइस स्मार्ट ग्लासेस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रोबोटिक्स और ड्रोन डिलिवरी सिस्टम तथा स्मार्टफोन, व्यवहार विश्लेषण, बिग डाटा, डायनेमिक फ्राइस रणनीति, आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस, आपूर्ति और डिलीवरी का तेज नेटवर्क और नयी फ्रविधि तथा अलग-अलग प्लेटफार्म, चैनल, सब कुछ लेकर खरीदारी के अनुभव को पहले से बिल्कुल बदल देंगे। आने वाले वर्षों में दुकानदार और वस्तु पेता, निर्माता को पता होगा कि उसका संभावित ग्राहक कहां मौजूद है, यह जीपीएस तकनीक के जरिये लोकेशन के निर्धारण से संभव होगा, इंटरनेट या वेब द्वारा विश्लेषण के जरिये उपभोक्ताओं के व्यवहार खास तौरपर खरीदारी और खपत एवं उपभोग के बारे में उनके इतिहास और आदतों के बारे में जानकारी लेकर कंपनियां ग्राहकों तक न सिर्फ सीधे पहुंचेंगी बल्कि सोशल मीडिया के तहत उनके हित मित्रों के बीच भी पै" बनाएंगी।

यह फ्रवृत्ति पहले भी थी, लोग कुछ खास खरीदने से पहले आसपास पूछ परख करते थे, अब लोग बकायदा रिसर्च करते हैं और यह पास पड़ोस नहीं वैश्विक स्तर पर, अब इंटरनेट की कृपा से किसी एक सामान के बारे में उसकी सैकड वैराइटी, हजारों पेता और दर्जनों ऑफर, दसियों खूबियों खामियों के साथ पलक झपकते सामने हैं। भविष्य में इस ममले में व्यापक और उल्लेखनीय बदलाव आने वाले हैं। खरीदारी से पहले अमूमन, यह सवाल पैदा होता है कि यह कहां मिलेगा, तो बहुत सी जगहों पर लेकिन सबसे नजदीक कहां, अब नजदीक है तो है लेकिन क्या भरपूर वैराइटी भी मिलेगी, दाम वाजिब है? सामान भरोसेमंद कंपनी का है कि नही? या फिर स्टोर या दुकान की कितनी विश्वसनीयता है इसका पता कैसे चले। इन सारे सवालों का जवाब भविष्य में आपके गूगल असिस्टेंट के पास होगा। यह एक ऐसे साथी की तरह काम करेगा जो ग्राहक को शॉपिंग के बारे में हर तरह की सूचना के साथ एक स्थानीय और विशेषज्ञ मित्र की तरह हर कदम पर सहायक की तरह मौजूद होगा।

अमेजन का नया स्टोर इस बात पर नजर रखता है कि किसी ग्राहक ने सामान की अलमारी या सेल्फ से क्या क्या उ"ाया, उसे कितनी देर देखा और फिर उसे वापस सेल्फ में रखा या बास्केट में। यह भी नजर रखता है कि आपने किन सामानो का बिल अदा किया। नहीं यह जासूसी नहीं है और न ही आपकी किसी चोरी पर नजर रखने की नीयत है। असल में स्टोर तो यह जानना चाहता है कि आपने जिन चीजों को देखा परखा उसमें से किस मूल्य और किन गुणवत्ता वाले कितना बड़ा-छोटा, कम-ज्यादा और किस ब्रांड का कितना सामान खरीदा। सियेटल के नजदीक अमेजन के हेडक्ब्वार्टर के पास स्थित यह स्टोर इस बात पर भी निगाह रखता है कि ग्राहक स्टोर के भीतर घुसने के बाद पहले कहां किस तरफ जाता है, उसकी फ्राथमिकता क्या रहती है।

यहां यह भी सुविधा है कि अगर ग्राहक स्टोर के एप्प से जुड़ा है तो उसको बिल का भुगतान काउंटर पर करने की आवश्यकता नहीं। उसने उ"ाया और खरीदने के लिये चयन कर लिया बस उसका भुगतान उसके निर्दिष्ट खाते से हो जायेगा। फिलहाल अभी यह सामान्य ग्राहकों के लिये उपलब्ध होने और दूसरे देशों में इस तरह की फ्रणाली को अपनाने में कुछ और देर लगेगी। अभी इस स्टोर से अमेजन के कर्मचारी ही खरीदी कर सकते हैं क्योंकि यह फ्रविधि अभी परीक्षण के स्तर पर है, चार पांच महीने बाद यह आम ग्राहकों ले लिये लागू हो जायेगी और अगर यह फ्रयोग सफल रहा तो अमेरिका, ब्रिटेन के बाद पहले कतिपय यूरोपीय देशों में और उसके बाद चीन और भारत जैसे देशों में आयेगा क्योंकि यहां का बाजार बहुत बड़ा है।

दर्जनों शॉपिंग एप और दूसरी तकनीकी विधाएं निकट भविष्य में खरीदारी का समूचा संसार बदल देने वाली हैं। अब महज कॉफी शॉप में ही रोबोट हों ऐसा नहीं है, शॉपिंग मॉल्स में भी यह चप्पे-चप्पे पर घूमते मिलेंगे। ग्राहकों की सहायता के लिये ऐसा रोबोट विकसित कर लिया गया है जो हजारों आइटम में से आपका इच्छित आइटम कहां रखा है उस तक पहुंचने में मदद करेगा, अगर कोई वस्तु ग्राहक के लिये अनजानी है या इस पर किसी दूसरी भाषा में विवरण लिखा है तो यह खरीदार के लिये उसका विवरण उसकी भाषा में फ्रस्तुत कर देगा। उधर वर्चुअल रियलिटी ने ट्राई ऑन मॉडल विकसित कर लिया है जिससे कोई भी परिधान, जूते इत्यादि खरीदने से पहले अपने ऊपर जंच रहा है या नहीं, वह फिट आयेगा अथवा नहीं यह जांच सकता है।

यह परख वह अपने वर्चुअल अवतार पर कर सकेगा, मतलब ग्राहक अवास्तविक तौरपर एक मॉडल के तौरपर साकार रहेगा, सो सामान के अनफिट होने अथवा नापसंद होने का अब फ्रश्न ही नहीं, मीमॉडल, मेटाइल, जैसे कार्पाम ग्राहक का सटीक थ्रीडी मोडल या फ्रारूप रचते हैं, यह सुविधा ऑनलाइन और दुकानदार के वहां दोनो जगह मौजूद होगी। इनके जरिए महज 15 सेकेंड में पता चल जायेगा कि कौन सा ब्रांड, स्टाइल, फैशन, डिजाइन, रंग और साइज का परिधान आप पर सूट कर रहा है और कौन सा नहीं इसके लिये कपड़े उतारने की जरूरत नहीं। ग्राहक के शरीर और उसकी चमड़ी की नमी से निकले कमजोर से संकेत ही उसका परिमाप और ढांचा बता देंगे। इसी तरह किसी के स्किन की क्या टोन है, उसके चेहरे और बाकी शरीर की रंगत में क्या अंतर है उसे किस रंग के फ्रसाधन उपयुक्त होंगे यह बिना फ्रयोग किये पता लग जायेगा वह भी बिना कहीं जाये।

रिटेल का मतलब अब बस यही भर नहीं रह गया है कि सस्ता खरीदकर महंगा बेंच लिया, अब निर्माता से उपभोक्ता तक जितनी जल्दी उसको पहुंचाया जा सके यह भी उसके अंतर्गत आता है। ऑनलाइन या फिर शॉपिंग स्टोर जा कर सामान खरीदने के बाद ग्राहक के पास सामान जल्द से जल्द न पहुंचे तो यह पूरी फ्रािढया की बड़ी खामी गिनी जायेगी। पहले अमूमन दो दिन से सप्ताह भर इसके लिये इंतजार करना पड़ता था, पर अब ड्रोन डिलिवरी इसको खरीदारी के दिन या अगले कुछ घंटों में घर तक पहुंचाने में सक्षम है। कई बार तो किसी माल से खरीदारी के बाद घर पहुंचने के वक्फे के भीतर ही। अमेजन तो 30 मिनट ड्रोन डिलिवरी सिस्टम लागू करने वाला है। जब तक खरीदारी के क्षेत्र में यह ाढांति आयेगी तब तक ड्रोन डिलिवरी सिस्टम खुदरा बाजार, व्यापार के क्षेत्र में सबसे बड़ी मुसीबत यानी सामान को सही समय पर घर तक पहुंचाने की जहमत को ड्रोन के जरिये लगभग हल कर चुकी होगी। ग्राहक शॉपिंग माल्स कम ही जायेगा, तो खरीदा सामान अपने साथ लाये ही इसकी जिम्मेदारी उसकी नहीं होगी। न ही पेता के पास इस बात को ले कर समस्या कि शहर में जाम से जूझते हुये सही समय पर सामान को ग्राहक को उसके घर पहुंचने से पहले कैसे पहुंचाये। हालांकि ड्रोन से सामान पहुंचाने के रास्ते में अभी कुछ नियमन बाधा हैं पर नियमों ढील और ड्रोन को निरापद बनाने की कोशिशें काफी हद तक रंग ला चुकी हैं, बस पांच साल इसको व्यवहार में लाने के लिये पर्याप्त हैं।

आपके फ्रिज और कॉफी मशीन और अगर खाने की फ्रतिकृति बनाने वाला थ्रीडी फ्रिंटर रखते हैं या फिर सेवा फ्रदान करने वाली कोई दूसरी मशीन यहां तक कि सामान रखने के खास पात्र या डिब्बे तक वह सब इंटरनेट से जुड़ा होगा और जिस सामान, खानेपीने की चीजें, पालतू जानवर का भोजन या फिर इन मशीनों के पुराने पड़ते कलपुर्जे की आवश्यकता होगी उसकी जरूरत के बारे में वह आपको समय रहते खुद सूचित करेगी अगर आपने उसकी सूचना पर सकारात्मक रुख दिखाया तो उस वस्तु का आर्डर पहले से निर्दिष्ट दुकान या मॉल अथवा संस्थान तक चला जायेगा। समय के अनुरूप सामान आपके दरवाजे पर होगा। ग्राहकों की सुविधा के लिये छोटे-छोटे शॉपिंग सेंटर कार पार्क में होंगे, जहां ग्राहकों की अमूमन आवाजाही होगी, सामान खरीदने और उसको ढो कर ले जाना आसान होगा।

यह सुविधाजनक व्यवस्था विदेशों में ज्यादा संभव है जहां कार पार्किंग बड़े हैं और जगह की ज्यादा किल्लत नहीं है। ऑटोमेटेड परचेज और सबपिप्शन परचेज जैसी नयी चलन विकसित होंगे, ऑटेमेटेड परचेज के तहत कुछ ऐसी चीजें जो ग्राहक हर महीने या खास अंतराल पर खरीदता ही खरीदता है जैसे चावल, दाल, तेल, मसाले और जिसमें बहुत विविधता नहीं होती उन वस्तुओं को किसी भी स्टोर से ऑटोमेटेड परचेज पर डाल देने के बाद ग्राहक की चिंता खत्म। एक निश्चित समय पर ग्राहक के पास सूचना आयेगी और यदि वह उस पर हामी देता है तो सारा सामान उसके घर पहुंचा दिया जायेगा। इसी तरह सबपिप्शन परचेज में किसी भी रोजमर्रा या नियमित इस्तेमाल होने वाले सामान का सदस्यता या सबपिप्शन लेने पर सामान बेहद सस्ता उपलब्ध हो जाता है और सीधे निर्माता से ग्राहक के घर तक पहुंचता है।

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