फ्रेंच ओपन नडाल का रिकॉर्ड और जेलेना की परीकथा
?सारिम अन्ना
स्पेन के राफेल नडाल ने जब दो साल तक चोटों व खराब परफॉर्मेंस के चलते टेनिस की कोई फ्रमुख फ्रतियोगिता नहीं जीती तो उस समय खेल विशेषज्ञों ने रॉजर फेडरर, जो नडाल जैसी समस्याओं से जूझ रहे थे, के साथ नडाल के संदर्भ में भी भविष्यवाणी की थी कि वह अपने हिस्से का टेनिस खेल चुके हैं और अब कभी ग्रैंड स्लैम नहीं जीत पायेंगे। लेकिन इस साल इन दोनों ही लीजेंडस ने विशेषज्ञों की भविष्यवाणी को गलत साबित कर दिया कि क्लास का कोई विकल्प नहीं है, बढ़ती उम्र, अस्थाई खराब परफॉर्मेंस व शरीर की चोटें उन्हें धीमा तो कर सकती हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा पर पूर्ण विराम नहीं लगा सकतीं और यह सब उन्होंने अपने रैकेट के जरिए किया। फेडरर ने वर्ष का पहला ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रलियन ओपन जीत कर अपने एकल ग्रैंड स्लैम खिताबों की संख्या रिकॉर्ड 18 की और अब वर्ष का दूसरा ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन नडाल ने जीता है। पेरिस के रोलैंड गारो पर नडाल का यह रिकॉर्ड दसवा खिताब है और इसे मिलाकर वह अब तक 15 ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं। 11 जून को उन्होंने फ्रेंच ओपन के फाइनल में स्विट्जरलैंड के स्टैंन वावरिंका को सीधे सेटों में 6-2, 6-3 व 6-1 से पराजित किया।
'सुल्तान ऑफ क्ले' नडाल ने फ्रेंच ओपन में अपने खेल को अविश्वसनीय बुलंदियों तक पहुंचाया है। 2005 में पहली बार पेरिस के कोर्ट पर उतरने के बाद से उन्होंने 81 मैच खेलें हैं जिनमें से 79 में जीत हासिल की है। वह फ्रेंच ओपन के फाइनल में आज तक नहीं हारे हैं। लेकिन जिस तरह से वह अपने 10 वें फाइनल में पहुंचे वह आश्चर्यजनक था। 31 वर्षीय मल्लोर्कान ने 6 पों में एक भी सेट नहीं खोया और केवल 29 गेम्स ड्राप किये, जो जोर्न बोर्ग के 1978 के रिकॉर्ड से दो अधिक हैं जब उन्होंने फाइनल में गुइल्लेर्मो विलास को परास्त कर दिया था। कुछ यही हाल नडाल ने फाइनल में वावरिंका का किया कि मात्र 6 गेम्स ड्राप करके खिताब हासिल कर लिया। दूसरे शब्दों में नडाल ने 10 वें फ्रेंच ओपन को जीतने में एक भी सेट नहीं खोया।
लेकिन इस बार फ्रेंच ओपन में परी कथा लिखी गई महिला एकल वर्ग में। सेरेना विलियम्स (गर्भवती), मारिया शारापोवा (डोपिंग विवाद के कारण वाइल्ड कार्ड न मिलने) जैसी स्थापित खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में मैदान एकदम खुला हुआ था और इस कारण पहली बार सेमी फाइनल में ऐसी चार खिलाड़ी पहुंचीं जिनमें से पहले किसी ने भी फ्रेंच ओपन नहीं जीता था और केवल एक (सिमोना हलेप) ने फाइनल तक फ्रवेश किया था। सिमोना इस बार भी फाइनल में पहुंचकर रनर्स अप ही रहीं क्योंकि खिताब पर अपने निडर खेल से कब्जा किया लाटविया की जेलेना ओस्तापेनको ने। जेलेना ने सिमोना को 4-6, 6-4, 6-3 से हराकर सुजेन लेंगलेन ट्राफी अपने नाम की।
1933 के बाद से यह पहला अवसर है जब किसी अनसीडेड खिलाड़ी ने फ्रेंच ओपन जीता हो। 20 साल की जेलेना ग्रैंड स्लैम जीतने वाली लाटविया की पहली खिलाड़ी हैं। फुटबॉल खिलाड़ी जेव्गेंजिस ओस्तोपेनको व जेलेना जकोवलेना की बेटी जेलेना ओस्तोपेनको का जन्म 8 जून 1997 को रीगा, लाटविया में हुआ था। टेनिस से उनका परिचय 5 वर्ष की आयु में हुआ और बढ़े होते हुए उन्होंने सेरेना विलियम्स को अपना आदर्श माना। फ्रारम्भ में जेलेना को उनकी मां ने कोच किया और पिता ने फिटनेस ट्रेनर की भूमिका निभाई। रुसी, लाटवियन और अंग्रेजी भाषाएं बोलने वाली जेलेना ने जुलाई 2014 में भी, जब वह 17 साल की थीं, एक सेट पिछड़ने के बाद ािढस्टीना स्च्मिएद्लोव को 2-6, 6-3, 6-0 से हराकर जूनियर विंबलडन खिताब अपने नाम किया था। यही कथा उन्होंने फ्रेंच ओपन के फाइनल में दोहराई, जिसके बारे में सिमोना का कहना है कि कभी कभी तो उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे फाइनल में वह मात्र दर्शक हैं।
एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस दिन जेलेना का जन्म (8 जून 1997) हुआ था उसी दिन ब्राजील के गुस्ताव कुर्तेन ने फ्रेंच ओपन में अपना पहला कॅरियर खिताब जीता था। इसी का अनुसरण करते हुए जेलेना ने भी फ्रेंच ओपन को ही अपना पहला खिताब बनाया है। 2015 से ग्रैंड स्लैमों में हिस्सा ले रही जेलेना अब तक तीसरे पा (ऑस्ट्रलियन ओपन 2017) से आगे नहीं पहुंचीं थीं। फ्रेंच ओपन में उनका यह दूसरा साल था, 2016 में वह पहले पा में बाहर हो गईं थीं और 2017 में सबसे कम आयु की चैंपियन बन गईं। इससे मालूम होता है कि उनके खेल में बहुत तेजी से सुधार आया है और जो जलवे उन्होंने पेरिस में दिखाए हैं उससे यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि मोनिका सेल्स की शैली में खेलने वाली और सेरेना विलियम्स का जुझारूपन फ्रदर्शित करने वाली जेलेना आगे और भी ग्रैंड स्लैम जीतेंगी। जिस फ्रकार का उनका खेल है, वह घास पर तो और घातक हो जायेगा, इसलिए 47 से 12 वीं विश्व रैंकिंग पर पहुंचने वाली जेलेना विंबलडन में खिताब की फ्रमुख दावेदार होंगी। उनका लक्ष्य चारों ग्रैंड स्लैम जीतना है और अगर वह अपने अनफोर्स्ड एरर्स में कटौती करने में सफल हो जाती हैं, तो यह सम्भव भी है। पेरिस में उन्होंने सिमोना के 10 अनफोर्स्ड एरर्स की तुलना में 54 अनफोर्स्ड एरर्स किये थे, लेकिन फिर भी विजयी रहीं क्योंकि 8 के मुकाबले में 54 विनर्स भी लगाये थे।
जेलेना के सामने अपने देश की सानिया मिर्जा ने कुछ युगल मैच खेले हैं (विंबलडन 2016 व इंडियन वेल्स 2017), जिनमें सानिया विजयी रही थीं, लेकिन तब भी सानिया को जेलेना में समय के साथ बड़ी खिलाड़ी बनने की फ्रतिभा नजर आ रही थी। सानिया कहती हैं, "इस साल अफ्रैल में चार्ल्सटन में एक दिन हवाएं तेज चल रही थीं, हर किसी को बॉल टाइम करने में परेशानी हो रही थी, लेकिन जेलेना मन चाहे विनर्स मारते हुए हम से गेम छीन ले गई। तब मुझे एहसास हुआ कि वह स्पेशल है और एक टेनिस प्लेयर के रूप में परिपक्व हो गई है।'
बहरहाल, फ्रेंच ओपन से भारतीयों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि आखिरकार 37 वर्षीय रोहन बोपन्ना ने (गब्रिएला डब्रोव्सकी के साथ) कड़ी मेहनत व लगन से अपना पहला ग्रैंड स्लैम (मिश्रित युगल) जीत लिया और लिएंडर पेस, महेश भूपति व सानिया मिर्जा की कतार में खड़े हो गए।