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स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त आहार बच्चों को देने से करें इंकार

👤 Admin 1 | Updated on:17 Jun 2017 5:52 PM GMT

स्वास्थ्य के लिए अनुपयुक्त आहार  बच्चों को देने से करें इंकार

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?नीलम अरोड़ा

स्वस्थ रहने की बात आते ही हम तमाम किस्म के आहार नजरंजदाज करने की बात करते हैं। खासकर बात जब बच्चों की हो तो जरा भी लापरवाही हम बर्दाश्त नहीं करते। यही वजह है कि हम फ्राइड स्नैक्स और मी"s से बच्चों को दूर रखने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए और भी कई आहार हैं, जिन्हें बच्चों को नहीं देना चाहिए। यहां हम ऐसे ही दस ऐसे अनुपयुक्त आहार की बात करेंगे जिन्हें बच्चों को देने से इंकार करना आवश्यक है।

फ्रूट स्नैक्स- फलों की बात आते ही हम आंख मूंदकर उन पर भरोसा कर लेते हैं और बच्चों को हर फल खिलाने की कोशिश करते हैं। लेकिन फलों से बना हर उत्पाद स्वास्थ्य के लिए बेहतर हो, यह जरूरी नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फ्रूट स्नैक्स बच्चों को नहीं देना चाहिए। इसकी वजह है इसमें मौजूद शूगर का स्तर। असल में एक कैंडी में जितना शूगर पाया जाता है, उतना ही फ्रूट स्नैक्स में भी होता है। यही नहीं फ्रूट स्नैक्स खाने से दांतों में कैविटीज़ होने का खतरा भी बढ़ जाता है। दरअसल फ्रूट स्नैक्स दांतों में फंस जाते हैं और आसानी से नहीं निकलते। नतीजतन कैविटीज़, दांतों की सड़न आदि होने का खतरा बना रहता है।

फ्रेंच फ्राइज़- इसमें कोई दो राय नहीं है कि तेल युक्त आहार कम से कम लेना चाहिए। खासकर जब बात बच्चों की हो। फ्रेंच फ्राइज़ में न सिर्फ ज्यादा वसा होती है वरन इसमें कैलोरीज़ भी अधिक मात्रा में होती है। विभिन्न अध्ययन भी इस बात का खुलासा करते हैं कि तले भुने खाद्य पदार्थ बच्चों को स्वाद लगते हैं और वह इसके स्वाद के इतने आदी हो जाते हैं कि उनकी दूसरी सब्जियों के प्रति रूचि कम होने लगती है, उन्हें सब्जियां बेस्वाद लगती हैं। लेकिन फ्रेंच फ्राइज बच्चों की सेहत पर बुरा असर डालती हैं। इन्हें जितना हो सके बच्चों से दूर रखें।

मी"s अनाज- यह कहने की जरूरत नहीं है कि मी"s अनाज में फाइबर कम मात्रा में पायी जाती है। जबकि मी"s अनाज कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं। अतः मी"s अनाजों से बच्चों को दूर रखें। यदि मी"s अनाज बच्चों को देना ही है तो बेहतर है कि जिस दाल में 10 ग्राम से कम शुगर मौजूद हो, उसे ही चुनें। यह भी ज़हन में रखें कि मी"s अनाज में कम से कम तीन ग्राम फाइबर आवश्यक रूप में हो।

प्रोसेस्ड रेड मीट- प्रोसेस्ड रेड मीट मसलन हाट डाग, बोलोग्ना आदि डायबिटीज की आशंका को बढ़ा देते हैं। अतः बच्चों को इन्हें देने से पहले जरूर सोचें, क्योंकि प्रोसेस्ड रेड मीट हृदय सम्बंधी बीमारियां, कोलोन कैंसर आदि के रिस्क भी बढ़ाता है। असल में हाट डाग जैसे आहार में वसा, सोडियम, नाइट्रेट आदि काफी मात्रा में होता है। ये तमाम तत्व कैंसर से लिंक रखते हैं। कोशिश करें कि बच्चों को सिर्फ चिकन ही दें। यदि आप प्रोसेस्ड रेड मीट खरीदते हैं तो ध्यान रखें कि उसमें सोडियम की मात्रा कम हो।

कोल्ड ड्रिंक- लगभग सभी प्रकार के कोल्ड ड्रिंक बच्चों के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। कोल्ड ड्रिंक एक स्वाद के रूप में शुरु होता है और बदकिस्मती से मोटापे पर जाकर खत्म होता है। कोल्ड ड्रिंक के रूप में जिस सोडे का बच्चे सेवन करते हैं, उससे टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा रहता है। कोल्ड ड्रिंक से कैविटीज भी होती है। कोल्ड ड्रिंक के साथ फ्रूट ड्रिंक भी स्वास्थ्य के लिए कोई बेहतर पेय नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि फ्रूट ड्रिंक सौ फीसदी फलों से बनाया गया हो तो वह सोडा से भी बुरे साबित होते हैं।

चॉकलेट- चॉकलेट किस हद तक दांतों को प्रभावित कर सकते हैं। इस बात को हम सभी जानते हैं क्योंकि यह दांतें में चिपककर मसूड़ों को सड़ा देता है। यही नहीं चॉकलेट ज्यादा खाने से शुगर स्तर बढ़ने की भी आशंका रहती है। विशेषज्ञों की मानें तो चॉकलेट का सेवन बच्चों को कम करना चाहिए।

स्पोर्ट्स ड्रिंक- ािढकेट या बैडमिंटन में ताकत लगाने के बाद बच्चे अकसर पानी की बजाय स्पोर्ट्स ड्रिंक को तरजीह देते हैं। लेकिन स्पोर्ट्स ड्रिंक किसी भी मायने में स्वस्थवर्धक नहीं है। स्पोर्ट्स ड्रिंक की बजाय चॉकलेट मिल्क का सेवन किया जा सकता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मौजूदगी होती है।

शहद- जब तक आपका शिशु एक साल का न हो जाए तब तक उन्हें शहद पिलाना सही नहीं है। दरअसल शहद में जीवाणु पाए जाते हैं। इसके सेवन से शिशु का गला सूख सकता है, उल्टी हो सकती है, स्वास लेने में परेशानी हो सकती है। यहां तक शहद खिलाने से शिशु को पैरालिसिस तक हो सकता है। चूंकि शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे शहद को आसानी से हजम नहीं कर सकते। सो उन्हें शहद कतई न दें।

पैकेज्ड नूडल्स- नूडल्स में न सिर्फ पौष्टिकता की कमी होती है बल्कि इनमें बहुतायत में सोडियम पाया जाता है। दो से तीन साल तक के बच्चों को प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम सोडियम से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। जबकि 1200 मिलीग्राम से अधिक सोडियम 8 साल तक के बच्चों के लिए हानिकारक है। दरअसल पैकेज्ड नूडल या पास्ता में जरूरत से ज्यादा सोडियम मौजूद होता है।

चीज़- बच्चे ही नहीं बड़ों के लिए भी चीज़ की अधिकता खतरनाक होती है। दरअसल चीज़ खाने से अकसर पेट भरे का एहसास होता है। नतीजतन शरीर में पौष्टिकता की कमी हो जाती है। हालांकि चीज़ को कैल्शियम और प्रोटीन का बेहतरीन साधन माना जा सकता है। लेकिन 4 से 8 साल तक के बच्चों को रोज़ाना ढाई कप दुग्ध उत्पाद देने की सलाह दी जाती है। बहरहाल चीज़ के सेवन से मोटापा बढ़ सकता है हृदय सम्बंधी बीमारी बढ़ने की आशंका होती है।

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