मराठा के मनमोहक जात्रा गीतों में कृष्ण और गोपियां
समीर चौधरी
शब्द 'कृष्ण' का अर्थ है- आकर्षण व कांति। ऐसा पुराणों में कहा गया है। इसलिए यह स्वाभाविक था कि हर कोई सांवले, हैंडसम युवा ब्रज के चरवाहे से प्रेम करता, जिसे कृष्ण कहते थे। कृष्ण की छेड़छाड़ दोनों पार्टियों को ही आनंदित करती थी; क्योंकि वह उत्पीड़नशील नहीं थी बल्कि मासूम शरारतों से भरी हुई थी। चम्पक फूल की तरह गोरी, जवान व सुंदर गोपियां चाहती थीं कि कृष्ण उनके साथ खेलें। आखिरकार किशोरावस्था में कदम रखने वाले कृष्ण इतनी मनमोहक बांसुरी बजाते थे कि उन्हें प्यार न करना क"िन था।
लगभग 2000 वर्ष पूर्व मरा"ाr लोक कवि प्रेम के दिलकश व शरारती गीत गाया करते थे। ये कृष्ण की प्रशंसा में गाए गए सबसे प्राचीन प्रेम गीत हैं। पै"ान के एक सतावाहन शासक ने लगभग 700 गाथा एकत्र कीं जोकि महाराष्ट्र की प्राकृत भाषा में हैं। यह पहली या दूसरी शताब्दी ईस्वी की बात है। इस संग्रह को गाथा सप्तशती कहते हैं। इन्हीं में से एक गाथा में राधा का नाम पहली बार भारतीय साहित्य में आता है। यह गाथा स्वयं शरारत व दिलचस्प हास्य से भरी हुई हैं। उदाहरणार्थ एक गाथा में कहा गया है कि जब सुंदर गोपियों का एक समूह माता यशोदा के पास शिकायत करने के लिए पहुंचा कि उनका बेटा कृष्ण उन्हें छेड़ता है, तो माता यशोदा ने कहा, "यह असंभव है, मेरा बच्चा तो अभी छोटा लड़का है, वह तो वास्तव में बहुत मासूम बच्चा है।''
जब गोपियों के समूह ने यह बात सुनी तो उन्होंने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरायीं, लेकिन इस तरह से कि माता