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रजनीकांत

👤 manish kumar | Updated on:24 Nov 2019 5:05 PM GMT

रजनीकांत

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गर कोई कहे कि एक व्यक्ति ने आसमान की तरफ गेंद उछाली और वह गेंद कभी धरती पर लौटी ही नहीं तो यह गेंद उछालने वाला व्यक्ति सिर्फ, सिर्फ और सिर्फ रजनीकांत ही हो सकते हैं। रजनीकांत दरअसल मजाक में ही सही, चुटकुलों में ही सही, गप्पबाजी की महफिलों में ही सही, मगर वे असंभव के विलोम हैं। असंभव की कोई दुर्लभ से दुर्लभ कल्पना, रजनीकांत के व्यक्तित्व के सामने "हर नहीं पाती। यही रजनीकांत की ताकत है और यही उनकी कमजोरी है।

बहरहाल दक्षिण भारत में, विशेषकर तमिलनाडु में भगवान की तरह पूजे जाने वाले और 100 से ज्यादा अपनी मूर्तियों के मंदिर वाले रजनीकांत को भारत सरकार ने आगामी 20 से 28 नवंबर 2019 तक गोवा में आयोजित होने वाले `इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया' (आईएफएफआई) के गोल्डन जुबली समारोह में `आइकन ऑफ गोल्डन जुबली' अवार्ड से सम्मानित करने का फैसला किया है। उन्हें यह सम्मान सिनेमा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जायेगा। इसके तहत उन्हें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का एक स्वर्ण जयंती फ्रतीक दिया जाएगा।

रजनीकांत अपनी फिल्मों में जितने दुर्लभ और नाटकीय नायक हैं, उतनी ही दुर्लभ और नाटकीयता से भरी उनकी अपनी जीवनगाथा है। उनका जन्म 12 दिसंबर,1950 को बंग्लुरु हुआ था। उनका असली नाम है शिवाजी राव गायकवाड़। रजनीकांत का जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़, हवलदार थे। चार भाई-बहनों में रजनीकांत सबसे छोटे थे। मां जीजाबाई की मौत से उनका परिवार बिखर गया था। घर की माली हालत "ाrक न होने के कारण रजनीकांत ने बहुत कम उम्र में ही कुली का काम करना शुरू कर दिया। साथ ही पैसा कमाने के लिए वह बढ़ई का काम भी करते थे। जैसा कि तमाम कालजयी कहानियों में होता है, एक बड़े आदमी के घर में उन्होंने बढ़ई का कुछ काम किया। उनके काम से वह बड़ा आदमी बहुत खुश हुआ और उन्हें बंग्लुरु परिवहन सेवा (बीटीएस) में बस कंडक्टर की नौकरी लगवा दी। एक मायने में तब कि रजनीकांत के लिए यह बहुत बड़ी कामयाबी थी, एक छलांग लगाने वाली कामयाबी के माफिक। क्योंकि कोई व्यक्ति मजदूर से सीधे सरकारी बस का कंडेक्टर बन जाए यह कोई छोटी बात नहीं होती।

लेकिन कामयाबी की कालजयी कथा लिखने वाले नायक छोटी छोटी सफलताओं में नहीं रूकते। रजनीकांत भी नहीं रूके। एक दिन जब वे सवारियों के टिकट काट रहे थे, एक युवती उन्हें लगातार घूर रही थी। उन्होंने सोचा शायद उसने टिकट नहीं लिया तो वह टिकट देने के लिए उसके पास पहुंचे और लड़की ने कंडेक्टर को बिल्कुल अपने पास खड़े देख कहा, `दिखने में तो बिल्कुल हीरो जैसे लगते हो। कंडेक्टर की नौकरी क्यों कर रहे हो?' बदले में रजनीकांत ने क्या कहा था इसका तो बस अब अनुमान ही लगाया जा सकता है, लेकिन उन्होंने एक मंच में अपनी यह कहानी सुनाते हुए बताया था कि उसी पल से उनके दिलोदिमाग में हीरो बनने का भूत सवार हो गया। बस कंडेक्टर की नौकरी करते हुए उन्होंने 1973 में मद्रास फिल्म संस्थान में दाखिला लेने के लिए अप्लायी कर दिया और यह संयोग नहीं भविष्य में लिखे जाने वाली कामयाबी की बड़ी कहानी थी कि उन्हें एफटीटीआई मदास में एडमिशन मिल गया।

फिल्मी सफर की शुरुआत

अभिनेता के रूप में रजनीकांत ने अपनी शुरुआत राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड विजेता फिल्म अपूर्व रागंगल (1975) से की, जिसके निर्देशक के. बालाचंदर थे। यह भी एक भाग्यवान संयोग था कि रजनीकांत को अपनी पहली फिल्म में ही के बालाचंदर जैसे कालजयी निर्देशक का साथ मिला और यह साथ इतना मजबूत हुआ कि उन्होंने बालाचंदर को अपना गुरु मान लिया। अपने हैरान कर देने वाले एक्शन और विशिष्ट किस्म की संवाद अदायगी के चलते रजनीकांत कुछ ही दिनों में बेहद लोकफ्रिय हो गए। तमिल फिल्मों के अपने सफर के शुरुआती चरण में उन्होंने फ्रतिनायक की भूमिकाएं निभायी, लेकिन उनकी किस्मत तो हीरो होना लिखना था, सो जल्द ही किसी संयोग के चलते हीरो बनें और एक बार बने तो फिर पलटकर पीछे कभी नहीं देखा। 68 साल की उम्र में भी वो 28 साल के नयनतारा के साथ हीरो बनकर आते हैं।

शायद उनकी लोकपियता पहले से ही लिखी पिप्ट की तरह है, जल्द ही वह न केवल एक स्थापित अभिनेता बनकर उभरे बल्कि कुछ ही सालों के भीतर वह पहले तमिल सिनेमा के महान सितारे बने और फिर देखते ही देखते तमिल संस्कृति के सर्वकालिक महान फ्रतिमान बन गये। बिलकुल किसी चमत्कार की तरह अपनी पहली ही फिल्म की समीक्षा में रजनीकांत ने `द हिंदू' जैसे गंभीर अखबार से न सिर्फ अपने अभिनय के लिए तारीफ पायी बल्कि द हिंदू ने यह भी लिखा कि `नवागंतुक रजनीकांत सम्मानजनक और फ्रभावशाली हैं।' अपने पदार्पण के तीसरे साल यानी 1978 में रजनीकांत ने 20 फिल्मों में अभिनय किया था। इन फिल्मों में तमिल के साथ-साथ तेलगू और कन्नड़ फिल्में भी थीं। रजनीकांत ने अच्छी खासी संख्या में हिंदी फिल्मों में भी की हैं। वह भारत के सबसे ज्यादा पारिश्रमिक पाने वाले अभिनेता हैं। फिल्म शिवाजी द बॉस के लिए उन्हें 26 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला था। पारिश्रमिक के मामले में उनकी एशिया में सिर्फ जैकी चेन से ही तुलना हो सकती है। क्योंकि एक जैकी चेन ही है जिन्हें रजनी से थोड़ा ज्यादा पारिश्रमिक अपनी कुछ फिल्मों के लिए मिला है।

रजनीकांत के कई घर हैं, जहां वे संत की तरह रहते हैं। उनके जीवनचर्या के बारे में जो कहानियां छनकर बाहर आती हैं, उनके मुताबिक वह अपने रिजॉर्ट जैसे घर में एक कुश के आसन में बै"कर चार घंटे तक पूजा करते हैं। रजनीकांत का पहला ऐसा लग्जरी घर चेन्नई के सबसे महंगे इलाके पोयस गार्डेन इलाके में है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह किसी 7 स्टार होटल के जैसा है। लेकिन उनका उससे भी अच्छा एक घर पुणे में भी है।

शायद मरा"ियों की भद सांस्कृतिक नगरी में अपना शानदार घर रखना उनके अंदर के मजबूत मरा"ाr कनेक्शन का नतीजा हो। बहरहाल इस घर के बारे में भी जो तमाम बड़ी इंटीरियर डिजाइन वाली पत्रिकाओं में छपा है, उसके मुताबिक उनके पुणे के घर का फर्नीचर और समूचा इंटीरियर राजसी अंदाज वाला है।

लोगों का प्यार

जैसा कि हम उनकी लोकपियता के अचंभित कर देने वाले किस्से सुनते हैं, तमिलनाडु में लोग उन्हें भगवान् की तरह मानते हैं। 5 मई 2018 को तमिलनाडु पुलिस के पास 6 बजकर 27 मिनट पर एक कॉल आयी। फोन करने वाले शख्स ने कहा कि वह रजनीकांत के घर बम लगा देगा। यह धमकी सुनकर तमिलनाडु पुलिस के हाथ पांव फूल गए। जब मीडिया के जरिये यह बात रजनीकांत के फैंस को पता चली तो इस खबर के पसारित होने की एक घंटे के भीतर कई हजार लोग उनके घर के बाहर इकट्"s हो गये, जो यह कह रहे थे कि वह 24 घंटे घर की निगरानी करेंगे और कोई परिंदा भी उनकी मौजूदगी में रजनी के घर नहीं घुस सकता।

हिंदी फिल्में

बॉलीवुड में भी रजनीकांत ने काफी फिल्में की हैं हालांकि उन्हें लोगों का वह प्यार हिंदी वालों की दुनिया से नहीं मिला, जो प्यार दक्षिण की तमिल, कन्नड़ और तेलगू की दुनिया से मिला है। उनकी हिंदी फिल्में हैं-`मेरी अदालत', `जान जॉनी जनार्दन', `भगवान दादा', `दोस्ती दुश्मनी', `इंसाफ कौन करेगा', `असली नकली', `हम', `खून का कर्ज', `ाढांतिकारी', `अंधा कानून', `चालबाज', `इंसानियत का देवता'। हाल ही में उनकी फिल्म 2.0 ने भी हिंदी की दुनिया में बॉक्स ऑफिस सफलता के झंडे गाड़े थे।

अवार्ड्स

रजनीकांत को 2014 में छह तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड्स से नवाजा गया जिनमें से चार सर्वश्रेष्" अभिनेता और दो स्पेशल अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्टर के लिए थे। रजनीकांत को साल 2000 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 45वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (2014) में सेंटेनरी अवॉर्ड फॉर इंडियन फिल्म पर्सनैल्टी ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया था।

वैवाहिक जीवन

रजनीकांत जी ने लता रंगाचारी से 26 फरवरी 1981, तिरुपति, आंध्र फ्रदेश में शादी की। लता रंगाचारी उस समय इतिराज कॉलेज की एक छात्रा थीं, उन्होंने उनका कॉलेज की पत्रिका के लिए साक्षात्कार किया था। इसी दौरान दोनो को पहली नजर का प्यार हो गया था।

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