बेकअप

👤 manish kumar | Updated on:23 Dec 2019 12:00 PM GMT

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च्चीस साल की उम्र के बाद हमारे दोस्त हमसे अलग होने लगते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (इंग्लैंड) फिनलैंड और आल्टो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक अध्ययन के अनुसार, `रिश्तों को निभाना हमेशा से ही एक चुनौतीभरा काम रहा है। लेकिन एडल्ट फ्रेंडशिप के बने रहने और टूटने से हमारी रातों की नींद इसलिए खराब नहीं होती, क्योंकि आज हम डिजिटल एज में हैं। हमारी टाइम लाइम भले ही यह शो करें कि हमारे एक हजार दोस्त हैं। लेकिन हकीकत में हम धीरे-धीरे अपने दोस्त खोते जाते हैं।

वह जमाना गुजर गया जब कॉलेज में पढ़ने वाली फ्रेंडस की शादी थोड़े-थोड़े अंतर में होती थी और सबके साथ एक जैसी चीजें होती थीं। दोस्तों के बीच कम्युनिकेशन लगातार बना रहता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब कॅरियर के पेशर में कम्युनिकेशन गैप तो होता ही है, सबके जीवन में भी बदलाव आने से दोस्त एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। मास्टर कोच मेलिडि विल्डिंग ने कुछ समय पहले फोर्ब्स में लिखा था, `वयस्क अवस्था में दोस्ती खत्म क्यों हो जाती है? नौकरी की बढ़ती जरूरतों के कारण आपसी मेल मिलाप कम हो जाता है, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में यह लोगों की जिंदगी का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। इस तरह का अचानक आने वाला बदलाव फ्रिक्शन पैदा करता है। नौकरी में निरंतर आगे बढ़ते हुए दोस्तों के बीच पाथमिकताओं में बदलाव हो जाता है और हमारे जीवन मूल्य भी पुराने बंधनों को खत्म कर देते हैं।'

आजकल लोगों के कॅरियर में भी बदलाव होता है और उनकी व्यस्तताएं बढ़ जाती हैं। यदि एक के पास समय होता है तो दूसरे के पास नहीं होता। इससे दोनो में फ्रिक्शन होता है और लोग एक दूसरे से मिल नहीं पाते। ऑक्सफोर्ड में हुए अध्ययन कहते हैं कि 25 के बाद हम दोस्त इसलिए खो देते हैं; क्योंकि 20 और 30 साल की उम्र के बीच हम कॉलेज यूनिवर्सिटी से निकलकर वर्कप्लेस पर आ जाते हैं और जीवन के संबंध में हम अपने अपने स्तर पर निर्णय लेते हैं जिससे हम एक दूसरे से अलग होने के लिए बाध्य हो जाते हैं।

प्यार दोस्ती को खत्म करता है

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में इविल्यूशनरी एंथ्रापोलोजी के पोफेसर रॉबिन डनवार का कहना है, `उनके अध्ययन के अनुसार हर किसी की लाइफ में एक निश्चित समय के बीच पांच लोग उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। उनमें अगर एक भी प्यार में गिरफ्तार हो जाए तो यह पा बदल जाता है। इसमें फिर दो ही लोग रह जाते हैं। कुछ भी हो, एक दूसरा अध्ययन यह भी कहता है कि दोस्ती का सर्कल कम होना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।'

हम इसमें इनवेस्ट नहीं करते

वयस्क अवस्था में दोस्ती टूटने की एक सबसे बड़ी वजह है हम इस पर अपना कुछ खर्च नहीं करते। इसके लिए काफी हद तक मीडिया को भी जिम्मेदार "हराया जा सकता है। फेसबुक और इंस्टाग्राम हमें इस भ्रम में रखते हैं कि हमारे दोस्त हमारे करीब है, हम उनके डेली अपडेट्स देखते हैं, उन पर कमेंट करते हैं और हम उनसे मिलने के लिए कोई पयास नहीं करते। सोशल मीडिया से पहले दोस्तों से मिलना मिलाना मस्ती करना होता था। ऑफ लाइन रिश्तों में समय, ऊर्जा और पयास खर्च करने की जरूरत होती है। किसी भी जगह पर किसी का सदेह उपस्थित होना और एक दूसरे के साथ अपने भावनाओं का आदान पदान ही असली दोस्ती है। अब ऐसा नहीं है। संक्षेप में अब दोस्ती के बीच में एक दीवार है, जहां संवाद नहीं है और कोई पतिस्पर्धा नहीं है और हमें एक दूसरे की कोई फा इसलिए नहीं है कि हम एक दूसरे से मिलते ही नहीं हैं।

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे जीवन से दोस्ती का महत्व भी कम हो जाता है। वो दोस्त जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक खुराक का काम करते हैं, वो अब हमें नहीं मिलते। हमारा जीवन अपने परिवार के इर्दगिर्द केंदित हो जाता है और हम अपनी जिम्मेदारियों के बीच अपने आपको पूरी तरह भूल जाते हैं। यह हमारे जीवन के रस को सोख लेता है। दोस्तों के बीच हम बहुत सारी गतिविधियां करते हैं। उनके बीच अपने सुख दुख बांटते हैं, जिससे हमें खुशी मिलती है। विभिन्न अध्ययन तो यहां तक कहते हैं कि जिन लोगों के दोस्त नहीं होते, वो कई किस्म की गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं, वो उन लोगों की तुलना में कम खुश रहते हैं, जिनके काफी दोस्त होते हैं।

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