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उधमसिंहनगर जिले में वर्ष 2018 में पॉस्को के केवल 16 प्रतिशत मुकदमें में हुई सजा

👤 Veer Arjun Desk 3 | Updated on:2 May 2019 1:34 PM GMT
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देहरादून/काशीपुर, वीर अर्जुन संवाददाता। उधमसिंह नगर में वर्ष 2018 में बाल यौन उत्पीड़न सम्बन्धी विशेष कानून पॉस्कां के कुल 45 मुकदमों का फैसला हुआ लेकिन केवल 16 प्र्रतिशत 7 मुकदमों में ही सजा हुई जबकि 84 प्रतिशत मुकदमों में रिहाई हुई। जबकि कुल अपराधिक मुकदमों में सजा का प्र्रतिशत 93 रहा है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत उत्तराखंड के अभियोजन निदेशालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड अभियोजन निदेशालय के मुकदमों में सजा व रिहाई सम्बन्धी विवरणों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में अभियोजन निदेशालय के लोक सूचना अधिकारी/ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी के.एस.राणा ने अपने पत्रांक 183 दिनांक 12 मार्च 2019 के साथ सजा व रिहाई सम्बन्धी विवरणों की सत्यापित फोटो प्र्रतियां उपलब्ध करायी है। श्री नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 6400 मुकदमों में सजा हुई है तथा कुल 511 मुकदमों में रिहाई हुई है। बालकों के यौन अपराधों के मुकदमों का फैसला करने वाले विशेष न्यायालयों में पॅास्को में सजा का प्रतिशत केवल 15 रहा है। इसमें 7 मुकदमों में सजा तथा 39 मुकदमों में रिहाई हुई है। इसमें भारतीय दण्ड संहिता का 1 मुकदमा भी शामिल है। हत्या, लूट, बलात्कार, डकैती जैसे गंभीर अपराधों के मुकदमों का फैसला करने वाले सत्र न्यायालयों में भारतीय दंड संहिता हत्या, लूट,, बलात्कार, डकैती जैसे गंभीर अपराधों के केवल 27 मुकदमों में ही सजा हुई है जबकि 90 मुकदमों में रिहाई हुई है। सजा का प्र्रतिशत 23 रहा है। नशीले पदार्थों सहित अन्य अधिनियमों के गंभीर अपराधों के 753 मुकदमों मे ंसत्र न्यायालयांं द्वारा 2018 में सजा दी गयी है जबकि 54 मुकदमां में रिहाई हुई है। इनमें सजा का प्रतिशत 93 है। अन्य कम गंभीर अपराधों के मुकदमों का फैसला करने वाले उधमसिंह नगर जिले के अधीनस्थ न्यायालयों ने वर्ष 2018 में भारतीय दंड संहिता के 337 मुकदमों में सजा सुनाई है जबकि 240 मुकदमों में रिहाई के आदेश दिये है। जबकि अन्य कानूनों में दंडनीय अपराधों के मुकदमों में 5279 मुकदमों में सजा सुनाई है तथा 126 मुकदमां में रिहाई के आदेश दिये है। अधीनस्थ न्यायालयों के आई.पी.सी. के मुकदमों में सजा का प्र्रतिशत 58 तथा अन्य कानूनों के मुकदमों में सजा का प्रतिशत 98 रहा है। वर्ष 2018 में 274 अपराधिक मामले सुलह के आधार पर समाप्त हुये जो सभी भारतीय दंड संहिता में दंडनीय अपराधां में अधीनस्थ न्यायालयों (मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों) में चल रहे थे। इसके अतिरिक्त 234 केस दाखिल दफ्तर/ क्वैश करके समाप्त किये गये है जिसमें 29 केस सत्र न्यायालयों के शामिल है। अधीनस्थ न्यायालयों (मजिस्ट्रेटों के न्यायालयों) मे 205 मुकदमें दाखिल दफ्तर या क्वैश कर दिये गये इनमेंं 119 मुकदमें भारतीय दंड संहिता के तथा 86 मुकदमें अन्य कानूनों के शामिल है।



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