मतदान के बाद सभी राजनैतिक दल कर रहे अपने जीत के दावे
ललितपुर। लोकसभा चुनाव के लिए आज हुए मतदान में सभी प्रत्याशियों का भाग्य इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कैद हो गया है। उनके भाग्य का फैसला 23 मई को होने वाली मतगणना में होगा। आज मतदान के दौरान किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनती नजर नहीं आयी। मतदाता चुपचाप अपना मतदान कर वापस लौट गये। ग्रामीण क्षेत्रों में जरूर मतदाताओं में राजनैतिक दलों के प्रति रुझान देखने को मिला। किन्हीं क्षेत्रों में गठबंधन की साइकिल तेज दौड़ी, तो कहीं कांग्रेस का पंजा, तो कहीं फूल ने भरी ऊंची उड़ान। हालांकि सभी दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। अब तक जो रुझान मिले हैं उससे इस चुनाव में त्रिकोंणीय संघर्ष की स्थिति दिखायी पड़ रही है। लोकसभा चुनाव का डंका बजते ही जिले में राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गयी थीं। सभी राजनैतिक दल मतदाताओं को रिझाने में जुट गये थे। मतदान से पहले तक जिले में कांग्रेस, सपा-बसपा गठबंधन, भाजपा के बीच जोर आजमाइश चल रही थी। सभी राजनैतिक दल अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। सभी राजनैतिक दलों के समर्थकों ने पूरे जिले में अपना जाल फैला लिया था और प्रत्येक मतदाता से वह निरंतर सम्पर्क में थे। वहीं पार्टी के परम्परागत कुशवाहा समाज के वोट बैंक पर उनकी नजर थी। राजनैतिक दलों के नेताओं का दावा है कि इस चुनाव में पार्टी को जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्रों में व्यापक जन समर्थन मिला है और वह लोकसभा चुनाव में ललितपुर जिले से भारी बढ़त हासिल करेंगे। सपा-बसपा गठबंधन पूर्व एमएलसी श्याम सुन्दर सिंह यादव को मैदान में उतारा है। इसके अलावा कुशवाहा, मुस्लिम व अन्य बिरादरियों के वोट बैंक पर भी गठबंधन की नजर थी। तो वहीं केन्द्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने उद्योगपति अनुराग शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस को इस चुनाव में भ्रष्टाचार, घोटालों के आरोपों के चलते व्यापक फायदा मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। लोगों का कहना है कि बाबूसिंह कुशवाहा पर भले ही एनआरएचएम के घोटाले का आरोप अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है, जिसके उनके भाई शिवशरण कुशवाहा को जातिगत वोटों को देखते हुये चुनावी मैदान में उतारा है। यह रुझान तो राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों का था, लेकिन वास्तविकता यह है कि मतदान के दौरान किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनती नजर नहीं आयी। मतदाता चुपचाप मतदान कर अपने घर वापस लौट गया। भीषण गर्मी और आग बरसती धूप की वजह से गम्बदें भी नहीं जमी। जिसमें चुनावी चर्चा के बाद कुछ रुझान निकलकर सामने आते। भ्रमण के दौरान जो स्थिति नजर आयी उससे सपा-बसपा गठबंधन, कांग्रेस का पंजा, या भाजपा के फूल के अलावा अन्य प्रत्याशी चुनावी परिदृश्य से बाहर दिखे। कुल मिलाकर जिले में आज हुए मतदान में किसी भी दल की स्थिति स्पष्ट नजर नहीं आ रही है तथा चुनाव में आमने-सामने की टक्कर नहीं बल्कि त्रिकोणीय संघर्ष दिखायी दे रहा है। सभी को अब 23 मई का इंतजार है। देखना है कि मतगणना के बाद ऊंट किस करवट बैठता है।