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आरटीआई में हुआ खुलासा, सार्वजनिक जमीन पर बनी है अलीगढ़ की जामा मस्जिद

👤 Veer Arjun | Updated on:15 May 2022 5:12 AM GMT

आरटीआई में हुआ खुलासा, सार्वजनिक जमीन पर बनी है अलीगढ़ की जामा मस्जिद

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लखनऊ । यूपी (UP) के अलीगढ़ (Aligarh) स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद (Jama Masjid ) को लेकर विवाद (Controversy) हो गया है। दरअसल अलीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट केशव देव शर्मा ने जामा मस्जिद (Jama Masjid) को लेकर नगर निगम में आरटीआई दाखिल की थी, जिसके जवाब में नगर निगम (Municipal council) ने बताया है कि ऊपरकोट स्थित 300 वर्ष पुरानी जामा मस्जिद का निर्माण सार्वजनिक जगह पर हुआ है और यह मस्जिद ऐतिहासिक धरोहर है।

आरटीआई का जवाब मिलने के बाद केशव देव ने डीएम को पत्र लिखकर सार्वजनिक संपत्ति पर बनी मस्जिद को तोड़ने की मांग की है। भाजपा नेताओं का भी कहना है कि जो सार्वजनिक संपत्ति पर बना है, वो अवैध है और उसे टूटना चाहिए। वहीं सपा नेता इस मामले को लेकर बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं और कह रहे हैं कि ये जनहित के मुद्दों से लोगों को भटकाने की कोशिश है।

दरअसल अलीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट केशव देव शर्मा ने जून 2021 में जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नगर निगम से कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। जिसमें पूछा गया था कि जामा मस्जिद (Jama Masjid) किसकी जमीन पर बनी है? इसका कितना टैक्स जाता है? जामा मस्जिद जिस जमीन पर बनी है, उस जमीन का मालिकाना हक किसका है?

नगर निगम ने आरटीआई के जवाब में कही ये बात

इस पर नगर निगम ने आरटीआई का जवाब दिया कि जामा मस्जिद पर मालिकाना हक किसी का नहीं है और यह सार्वजनिक जमीन पर बनी हुई है। नगर निगम के जवाब के बाद केशव देव शर्मा ने 8 मई को जिलाधिकारी अलीगढ़ के साथ-साथ कमिश्नर अलीगढ़ मंडल, नगर आयुक्त नगर निगम अलीगढ़, उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर सरकारी सार्वजनिक भूमि से जामा मस्जिद (Jama Masjid) सहित अवैध कब्जा हटाने की मांग की। इसके लिए उन्होंने 15 दिन का समय दिया है और उसके बाद वह कोर्ट की शरण लेने की बात कह रहे हैं।

इस मामले के सामने आने के बाद बीजेपी की वरिष्ठ नेता व पूर्व मेयर शकुंतला भारती ने कहना है कि आरटीआई में अगर नगर निगम कह रहा है कि ये अवैध है तो फिर वो जामा मस्जिद हो या कोई और चीज, उसे टूटना चाहिए। हम इस बात को लेकर सरकार को पत्र लिखेंगे और सीएम को इस बात से परिचित करवाएंगे।

पूर्व सपा विधायक जमीर उल्लाह ने बीजेपी पर साधा निशाना

वहीं इस मामले में सपा के पूर्व विधायक जमीर उल्लाह का कहना है कि भाजपा के लोगों के पास कोई मुद्दा नहीं है। ये मस्जिद (Jama Masjid) जब 1728 में बनी, तब नगर निगम का नाम तक नहीं था और ना ही भाजपा का नाम था। उस दौरान साबित खान गवर्नर थे और उन्होंने ही यह मस्जिद बनाई।

जमीर ने कहा कि ये लोग पेपर मांग रहे हैं, नगर निगम कुछ दिखा रहा है। यह माहौल को खराब करने की सोची समझी साजिश है। इसमें बीजेपी के लोगों का कुछ मकसद है। अगर आरटीआई डालनी थी तो सरकार से ये पूछ लेते कि आपने नौकरियां कितनी दीं। कितने लोग डॉक्टर हैं।

उन्होंने कहा कि मैं हिंदू-मुसलमान समेत सभी से ये अपील करता हूं कि आप लोग एक साथ खड़े हों और देश को बचाएं। अगर यह लोग ऐसे ही करते रहे तो देश का हाल श्रीलंका जैसा होगा। इन लोगों से पूछे कि मंदिर-मस्जिद की राजनीति छोड़कर ये बताएं कि नौकरियां कहां हैं?

जमीर ने बीजेपी पर लगाया असल मुद्दो से ध्यान भटकाने का आरोप

जमीर ने कहा कि बीजेपी के वो लोग पागल हैं, जो कह रहे हैं कि इस मस्जिद (Jama Masjid) को तोड़ना चाहिए। उनकी सोच गंदी है और उनको अक्ल नहीं है। इन लोगों की बातों पर कोई ध्यान ना दें। उनको यह भी नहीं मालूम कि ये जामा मस्जिद सरकार के संरक्षण में है। किला और जामा मस्जिद सरकार के गजट में है। यह हमारी धरोहर है। यह हमारे हिंदुस्तान की खूबसूरती है। इन लोगों से पूछो कि क्या तुमने जिंदगी में कुछ किया है। कुछ तो मुल्क के लिए कर लो। ये सिर्फ मुख्य समस्याओं से ध्यान भटकाने का मामला है।

नगर आयुक्त ने इस मामले में कही ये बात

वहीं इस मामले में नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा कि हमें किसी पार्टी विशेष से कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। आरटीआई के माध्यम से जून 2021 में एक क्वेरी आई थी। उसमें यह पूछा गया था कि जो शहर की जामा मस्जिद है वह किसकी जमीन पर है। कौन इसका मालिक है और उससे संबंधित दो-तीन सवाल और थे। उसके संबंध में नगर निगम द्वारा इसका भी जवाब दिया गया और सही जवाब दिया गया था। उसमें 128 हेक्टेयर का रकवा है और जो सार्वजनिक भूमि पर स्थित है। अभी किसी भी धार्मिक स्थल पर शहर में कोई भी कार्यवाही के लिए ना तो कोई विचार है ना ही प्रत्याशित है। यह जो गलत अफवाह है, हम इसकी निंदा करते हैं। हम यह स्पष्ट करना चाहेंगे कि नगर निगम केवल और केवल अतिक्रमण अभियान पोखर की भूमि से अवैध कब्जे और सफाई व्यवस्था करने के लिए चला रहा है।

अलीगढ़ के ADM सिटी ने कही ये बात

अलीगढ़ के एडीएम सिटी से जब इस मसले पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है और ना ही हम कोई जांच कर रहे हैं। कल जब मामला संज्ञान में आया, जैसाकि नगर आयुक्त महोदय ने भी अब अपना बयान दिया है कि 300 साल पुरानी मस्जिद है शहर की मस्जिद। उसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं है और ना ही कोई शिकायत आई है।

उन्होंने कहा कि पता नहीं क्या मामला है और किस तरह की चीजें सामने आई हैं। आरटीआई में किसी ने सूचना मांगी थी और उन्होंने वह दी है। प्रशासन के पास अपने रिकॉर्ड होते हैं और हमें अगर मिलता है, तो हम भी चेक कर लेंगे। बिना जाने हम कुछ नहीं कहेंगे।

उन्होंने कहा कि भ्रामक खबर यह है कि आरटीआई में लिखा है कि सार्वजनिक जमीन है, जोकि हमें मीडिया के माध्यम से मालूम पड़ा। यह बहुत पुरानी मस्जिद है। 300 साल से भी ज्यादा पुरानी मस्जिद। इसमें प्रशासन से किसी ने शिकायत नहीं की है और ना कोई आरटीआई मांगी है।

वहीं आरटीआई का जवाब देने के बाद नगर निगम और प्रशासन बैकफुट पर है। नगर निगम ने खुद जवाब में लिखकर दिया है कि यह मस्जिद सार्वजनिक जमीन पर है, और जब सार्वजनिक जमीन पर उसी चीज को तोड़ने की बात कुछ लोग कर रहे हैं तो नगर निगम और प्रशासन मामले पर अपनी सफाई दे रहा है। आने वाले दिनों में मस्जिद का ये विवाद तूल पकड़ सकता है।

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