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जांच का विषय : नेताओं की सुरसा-सी बढ़ती सम्पत्ति

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:21 April 2019 6:05 PM GMT
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प्रेम शर्मा

भारत के लगभग 80 प्रतिशत नेताओं की सम्पति में बेतहाशा वृद्धि होना इस बात का प्रमाण है कि राजनीति अब सेवा नहीं कमाई का जरिया बन गई है। क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने एनजीओ लोक फ्रहरी द्वारा दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए जनफ्रतिनिधियों की आय और सम्पत्ति की निगरानी का स्थाई तंत्र बनाने पर अपने फैसले पर अभी तक अमल न हो पाने पर नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। पिछले साल माननीय अदालत ने जनफ्रतिनिधियों की सम्पत्ति पर निगरानी रखने लिए सरकार को एकाधिक कदम उ"ाने का आदेश दिया था। न जाने कितने सांसद हैं जो एक कार्यकाल में ही अफ्रत्याशित तरीके से अमीर हो जाते हैं। लगभग ऐसी ही स्थिति विधायकों के मामले में भी देखने को मिलती है। जब ऐसे विधायक या सांसद दिन दूनी रात चौगुनी आर्थिक तरक्की करते हैं तब कहीं अधिक संदेह होता है जो न तो कारोबार ही करते हैं और न ही सियासत के अलावा और कुछ करते हैं। हाल में सामने एक आंकड़े के मुताबिक 2014 में फिर से निर्वाचित हुए 153 सांसदों की औसत सम्पत्ति में 142 फ्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह फ्रति सांसद औसतन 13.32 करोड़ रुपए रही। यह आंकड़ा यह भी कहता है कि भाजपा के 72 सांसदों की सम्पत्ति में 7.54 करोड़ रुपए की औसत से उछाल आई और कांग्रेस के 28 सांसदों की सम्पत्ति में औसतन 6.35 करोड़ रुपए की। क्या इसे सामान्य कहा जा सकता है?

जिस देश में 26.3 करोड़ लोग कृषि क्षेत्र में लगे, इनमें से आधे कृषि मजदूर है वो भी 2011 की जनगणना के अनुसार देश का 7.06 करोड़ लोग बेहद गरीबी यानि दो जून की रोटी को मोहताज हो वहां के जनप्रतिनिधियों की सम्पत्ति में कई गुना इजाफा होना वाकई बड़ी जांच का मामला है। हालांकि कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने शपथपत्र में कहा कि स्थाई तंत्र विकसित करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श और परामर्श करने की जरूरत है। ऐसे में समय लगना तय है। इस मामले को लेकर गंभीर सरकार है। लिहाजा अदालत से अनुरोध है कि इसके लिए कुछ और समय दिया जाए। आंकड़ों के अनुसार लोकसभा के 430 सांसद (479 में जिनका विश्लेषण किया) करोड़पति हैं। कृषि क्षेत्र से जुड़े 19 प्रतिशत सांसद भी सालाना 12.64 लाख रुपए किसानी से कमाते हैं। केंद्र के जवाब से तय है कि इस बार चुनाव लड़ रहे नेताओं की सम्पत्ति में बेहिसाब वृद्धि की जांच के लिए कोई तंत्र उपलब्ध नहीं होगा। कई नेताओं ने जो शपथपत्र दिए हैं उसमें उनकी सम्पत्ति में कई गुना वृद्धि सामने आई है। ताजा मामले में गाधीनगर से भाजपा प्रत्याशी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सम्पत्ति में 7 सालों के दौरान 3 गुना बढ़ोत्तरी हुई। अभी उनके पास 38.81 करोड़ रुपए की कुल सम्पत्ति है।

साल 2012 में यह 11.79 करोड़ रुपए थी। पिछले दिनों बिहार सरकार की वेबसाइट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी समेत सभी मंत्रियों के सम्पत्ति का ब्यौरा अपलोड किया गया है। दी गई जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार से ज्यादा धनी उनके बेटे निशांत हैं। नीतीश कुमार के पास हाथ में कैश सिर्फ 46566 रुपए हैं. इसके अलावा उनके पास 11 लाख की एक गाड़ी है। सीएम नीतीश 9 गाएं और 7 बछड़े भी पाल रखे हैं। अगर चल सम्पत्ति की बात करें तो नीतीश कुमार के पास कुल 1623571 रुपए हैं तो वहीं उनके बेटे की चल सम्पत्ति एक करोड़ 18 लाख 44 हजार 837 रुपए है। वहीं, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की बात करें तो वो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ज्यादा अमीर हैं, मगर उनसे भी ज्यादा अमीर उनकी पत्नी हैं। सुशील मोदी के पास हाथ में 42600 रुपए हैं तो वहीं बैंक बैलेंस की बात करें तो सुशील मोदी के खाते में 4654764 रुपए जमा हैं। उनकी पत्नी के खाते में 7328280 रुपए हैं. इसके अलावा सुशील मोदी की पत्नी के पास 12.60 लाख रुपए के आभूषण भी हैं। नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा अमीर मंत्री नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा हैं। सुरेश शर्मा के पास 3.60 करोड़ तो इनकी पत्नी के पास 3.18 करोड़ की आवासीय एवं व्यवसायिक सम्पत्ति है।

गौरतलब है कि साल 2005 में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद यह परंपरा शुरू की थी, जिसमें मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों की सम्पत्ति का ब्यौरा आम जनता के सामने पेश करना था। अब बात कर ले 2014 के दौरान कुछ नेताओं की सम्पत्ति का जो खुलासा हुआ था वह भी चौंकाने वाला था। पांच साल का वक्त एक आम शख्स के लिए सम्पत्ति बनाने के लिहाज से कुछ खास नहीं होता। लेकिन हमारे नेताओं और मंत्रियों के मामले में ऐसा नहीं है। पांच साल के दौरान उनकी सम्पत्ति में 200 फ्रतिशत से लेकर करीब 1500 फ्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो जाती है। मनमोहन सरकार में मंत्री पद पर काबिज रहे नेता इसकी मिसाल हैं। एक तरफ जहां कमलनाथ की सम्पत्ति में पांच साल के दौरान 1471 फ्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई वहीं किसी की सम्पत्ति में 400 फ्रतिशत तो किसी की 300 फ्रतिशत। कुल मिलाकर देखें तो मनमोहन सरकार के मंत्रियों की सम्पत्ति में औसतन 280 फ्रतिशत का इजाफा हुआ है। इस दौरान कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं की सम्पत्ति का जो खुलासा सामने आया था वह इस प्रकार था। कमलनाथ 2009 में सम्पत्ति 14 करोड़ तो 2014 में 206 करोड़ यानि 1471 फ्रतिशत बढ़ोत्तरी, गिरिजा व्यास 2009 में सम्पत्ति 87 लाख जो 2014 में 2.34 करोड़ बढ़ोत्तरी 268 फ्रतिशत, मल्लिकार्जुन खड़गे 2009 में 5 करोड़ 2014 में 9.49 करोड़ यानि 189 फ्रतिशत बढ़ोत्तरी, जितेंद्र सिंह 2009 में 6 करोड़ 2014 में 9.96 करोड़ बढ़ोत्तरी 146 फ्रतिशत, कपिल सिब्बल 2009 में 30 करोड़ 2014 में 114 करोड़ यानि 358 फ्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। अब 2019 में जो एडीआर की रिपोर्ट आएगी वह और चौंकाने वाली होगी। बसपा प्रमुख मायावती से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, मुलायम सिंह सहित शिवसेना के नेताओं की बात करें या फिर अन्य दलों के बड़े नामों की इनकी सम्पतियों तो ऐसा इजाफा हुआ मानों कुबेर का आशीर्वाद इन्हीं नेताओं को मिल गया हो। यह तो बात हुई केवल मंत्री, सांसद और विधायकों की हम अगर निचले स्तर पर ग्राम प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, प्रमुख और नगर निगम के पार्षद, कारपोरेटर आदि की बात करें तो इनकी आय भी पद पाने के पांच के अंदर कई सौ गुनी बढ़ जाती है। हालाकि केंद्र सरकार ने गत दिवस ही सुफ्रीम कोर्ट में स्वीकार किया कि नेताओं की बढ़ती आय का पता लगाना मुश्किल है। इसके लिए स्थाई तंत्र विकसित करने में समय लगेगा इसलिए कुछ और मोहलत दी जाए। अवमानना नोटिस के जवाब में दिए हलफनामे में सरकार ने यह बात कही है। कानून मंत्रालय के विधायी विभाग ने शपथपत्र में कहा कि पिछले वर्ष नवंबर माह में राज्यसभा के सभापति की अध्यक्षता में बै"क की गई थी। इसमें राज्यों और विधायी निकायों के फ्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। इसमें दो भिन्न मत निकलकर आए कि क्या यह संस्थागत जांच तंत्र राज्यों के विधायी विभागों के अधीन हों या यह अलग मांडल पर हो जिसमें ज्यादा स्वायत्तता और निष्पक्षता हो। शीर्ष अदालत ने निजी संस्था 'लोकफ्रहरी' के अध्यक्ष एसएन शुक्ला द्वारा नेताओं की आय में बेतहाशा वृद्धि को लेकर दायर अवमानना याचिका पर पिछले माह केंद्र को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने पूछा था कि दो सप्ताह में बताया जाए कि सरकार ने नेताओं की सम्पत्ति की जांच का तंत्र विकसित करने के लिए क्या कदम उ"ाए हैं। सरकार ने कहा कि उसने राज्यसभा के महासचिव से दोबारा बै"क बुलाने को कहा है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह मंत्रालय को देखना चाहिए क्योंकि उसके पास सभी जानकारियां उपलब्ध हैं। ऊपरी सदन के इस जवाब के बाद इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार किया जाएगा। इसलिए सरकार को और समय दिया जाए।

2018 में सुफ्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि कानून मंत्रालय नेताओं की सम्पत्ति में बेतहाशा वृद्धि की वजह जानने वाली फ्रणाली तैयार क्यों नहीं कर पाया। सरकार इसकी जांच के लिए स्थाई तंत्र बनाए। कोर्ट का कहना था कि नेताओं की सम्पत्ति में कई गुना इजाफा उन्हें अयोग्य "हराने का अच्छा आधार बन जाता है। निश्चित तौर पर जिस देश में बेरोजगारी, भुखमरी और किसानों की बेहाली का आलम हो उस देश में जनप्रतिधियों की सम्पत्ति का यह इजाफा शर्मनाक ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का प्रमाण है।

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