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पुंभ से पहले पयाग का कायाकल्प हो

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:7 Sep 2018 5:35 PM GMT
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श्याम कुमार

पिछले अनेक दशकों से मैं केंद्र एवं पदेश की सरकारों को यह सुझाव दे रहा हूं कि जब पयागराज का महापुंभ समाप्त हो तो उसके तुरंत बाद वहां आयोजित होने वाले अर्धपुंभ की तैयारी शुरू कर दी जाए तथा जब अर्धपुंभ समाप्त हो तो उसके तुरंत बाद वहां पर होने वाले आगामी महापुंभ की तैयारी आरंभ कर दी जाए। वर्तमान में इतने विलंब से तैयारी शुरू होती है कि विश्व के सबसे विशाल मेले का काम पूरा करने के लिए सिर्प अक्तूबर से दिसम्बर तक मात्र तीन महीने का समय मिल पाता है। परिणाम यह होता है कि हर काम हड़बड़ी में होता है और उसकी गुणवत्ता जांचने का समय ही नहीं रहता है तथा मेला भ्रष्टाचार व घोटालों की भेंट चढ़ जाता है। उस समय सिर्प यह पयास रहता है कि किसी पकार उक्त महापर्व कुशलतापूर्वक निपट जाए। मेरा दृष्टिकोण इसके बिल्कुल विपरीत रहा है। मेरी मान्यता है कि पुंभ एवं अर्धपुंभ के बहाने इलाहाबाद का पूरी तरह उद्धार एवं कायाकल्प किया जा सकता है। हड़बड़ी में तीन महीने में मेले की जो तैयारियां होती हैं, उनमें केवल तात्कालिक कामों पर ध्यान केंद्रित हो जाता है तथा शहर के विकास एवं सुंदरीकरण के जिन कार्यों में लंबे समय की अपेक्षा होती है, वे बिल्कुल उपेक्षित हो जाते हैं। पयागराज के पिछले महापुंभ के सिलसिले में मैंने उत्तर पदेश शासन के तत्कालीन मुख्य सचिव जावेद उस्मानी को महीनों पहले से इस बात के लिए घेरा था कि महापुंभ के बहाने इलाहाबाद को देश का सर्वश्रेष्" नगर बना दिया जाए। मैंने उन्हें तमाम सुझाव लिखकर दिए थे तथा उन्होंने उन सुझावों को कार्यान्वित करने का मुझे वचन दिया था। लेकिन हमेशा की तरह उस बार भी बरसात के बाद जब महापुंभ की तैयारियों ने अक्तूबर से जोर पकड़ा तो वचन-पालन के लिए घेरने पर जावेद उस्मानी ने मुझसे कहा कि अभी किसी पकार मेला सही सलामत निपट जाए, जिसके बाद वह मेरे अनुरोधों को कार्यान्वित करने का वचन पूरा करेंगे। छह वर्ष पहले से मेले की तैयारी शुरू करने का जो अनुरोध मैं कई दशकों से कर रहा हूं, जब तक उसका अनुसरण नहीं किया जाएगा, तब तक समस्या ऐसी ही बनी रहेगी।

हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति में महापुंभ एवं अर्धपुंभ के अलावा पतिवर्ष लगभग पौने दो मास तक आयोजित होने वाले माघ मेले के रूप में पयागराज को ऐसा वरदान पाप्त है, जिसने पयागराज की तीर्थराज की महत्ता कभी कम नहीं होने दी। केंद्र एवं उत्तर पदेश की सरकारों को चाहिए कि पयागराज को मिली उस ईश्वरीय देन को अपने पयासों से अधिक से अधिक विकसित एवं उपयोगी बनाने की चेष्टा करें। इलाहाबाद के विकास एवं सुंदरीकरण के दो पहलू हैं। पथम पहलू में शहर को आधुनिकतम सुख-सुविधाओं से सम्पन्न बनाया जाना चाहिए तथा दूसरे पहलू में परेड मैदान से लेकर झूंसी-अरैल-फाफामऊ आदि तक मेला क्षेत्र को अधिकाधिक विकसित एवं सुंदर बनाया जाए। शहर के उन्नयन के लिए इस समय मेरे निम्नलिखित सुझाव हैं-

1. इलाहाबाद `अतिक्रमणों एवं ट्रैफिक जाम' का शहर बना हुआ है। अतः इस बात की घोर आवश्यकता है कि इलाहाबाद को अतिक्रमणों से शत पतिशत मुक्त कर दिया जाए। ऐसी पक्की व्यवस्था की जानी चाहिए कि जहां से भी अतिक्रमण हटाए जाएं, वहां दोबारा हरगिज न होने पाएं। यदि पुनः अतिक्रमण होता है तो अतिक्रमणकारी के साथ सिविल एवं पुलिस पशासन के उच्चाधिकारियों को क"ाsर दंड दिया जाए। क"ाsर दंड के भय के बिना यह समस्या कभी नहीं हल होगी।

2. नगर में पटरियों (फुटपाथ) को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए। पटरियों पर दुकानदारों व अतिक्रमणकारियों का कब्जा रहता है और जनता के लिए उनकी बिल्कुल उपयोगिता नहीं रह पाती है। पटरियों (फुटपाथ) का अर्थ ही माना जाने लगा हैö`अतिक्रमण को आमंत्रण।' 3. नगर में सफाई-व्यवस्था के लिए नए सिरे से "ाsस उपाय किए जाएं तथा सम्पूर्ण सीवर-पणाली को सुधारा जाए। अतिक्रमणों आदि के कारण जो नालियां ढंक गई हैं, उन्हें पुनः खोला जाए। 4. शहर में पार्कों की रक्षा व सुंदरीकरण के लिए व्यापक कदम उ"ाए जाएं। 5. शहर के घने क्षेत्रों में जो भी खाली स्थान हों, उनका अधिग्रहण कर हरियाली एवं पर्यावरण के हित में वहां उद्यान बना दिए जाएं। 6. किसी उपयुक्त स्थान पर एक नया भव्य बाजार भवन बनवा कर चौक क्षेत्र में स्थित मोहम्मद अली पार्प की दुकानों को वहां स्थानांतरित कर दिया जाए तथा पार्प का नामकरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस या सरदार पटेल जैसी किसी महान विभूति के नाम पर किया जाए। 7. घंटाघर के पीछे जो बिसाता बाजार है, उसे भी इस नए बनाए गए भव्य एवं आधुनिक बाजार में स्थानांतरित कर बिसाता बाजार वाली जगह पर अत्यंत रमणीक उद्यान निर्मित किया जाय। इससे इस क्षेत्र में भीड़ का दबाव बहुत कम होगा तथा वह समूचा क्षेत्र बड़ा सुंदर एवं दर्शनीय हो जाएगा। 8. जानसेनगंज चौराहे पर चारों कोनों पर स्थित कुछ भवनों का अधिग्रहण कर उस चौराहे को काफी चौड़ा कर दिया जाए। नगर के अन्य सभी चौराहों को भी इसी पकार चौड़ा किया जाना चाहिए। 9. विवेकानंद मार्ग पर स्थित मोतीमहल सिनेमाघर कई वर्षों से बंद पड़ा है, जिसका अधिग्रहण कर वहां सुंदर पार्प बना दिया जाना चाहिए।

10. विवेकानंद मार्ग व सम्मेलन मार्ग के जोड़ वाले तिराहे पर पहले एक पार्प था, जिसके भीतर व बाहर सब्जी मंडी का कब्जा हो गया है। उक्त सब्जी मंडी हटाकर वहां पर बड़ा एवं भव्य चौराहा बनाया जाना चाहिए। चौराहे पर स्वामी विवेकानंद की विशाल मूर्ति स्थापित की जाए। वहीं पर डाट के पुल से मुहत्शिमगंज तक एक गली है, जिस पर लोगों ने कब्जा कर लिया है, अतः वह गली मुक्त कराई जाए। वहां पर मौजूद मांस की दुकानें हटा दी जाएं।

11. इलाहाबाद की सिविल लाइन देश की सर्वश्रेष्" सिविल लाइन मानी जाती है। अतः उसके सुंदरीकरण के लिए बहुत व्यापक योजना बनाकर कार्यांवित की जाए। सिविल लाइन को जयपुर की भांति केसरिया या गुलाबी रंग में रंग दिया जाना चाहिए। इसी तरह शहर के अन्य पमुख इलाकों को भी अलग-अलग रंगों में रंगा जाना चाहिए। 12. सरदार पटेल को इलाहाबाद से विशेष लगाव था तथा वह उसे देश की राजधानी बनाना चाहते थे, अतः सिविल लाइन में सरदार पटेल मार्ग पर भव्य स्मारक के रूप में सरदार पटेल की विशाल पतिमा स्थापित की जाए। 13. बहादुरगंज स्थित मोती पार्प एवं दमकल केंद्र के पास स्थित राजर्षि टंडन उद्यान को अधिक से अधिक भव्य बनाया जाए। राजर्षि टंडन उद्यान में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन की विशाल पतिमा स्थापित की जाए। 14. शहर को आवारा पशुओं से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाए। 15. सड़कों को दो हिस्से में बांटने के लिए बीच में जो रेलिंग या पक्के विभाजक बनाए जाते हैं, उनके बजाय सड़क के विभाजन के लिए बीच में या तो पेड़ों की कतार लगाई जाए अथवा मेंहदी की बाड़ लगा दी जाए। सड़कों के दोनों किनारों पर भी वृक्षों की कतारें आरोपित की जाएं। इससे सड़कें हरियाली से भर उठेंगी तथा उनकी व नगर की सुंदरता बहुत बढ़ जाएगी। 16. शहर की पत्येक सड़क पर गहन वृक्षारोपण किया जाए। एक गहन योजना बनाकर वर्तमान वर्षाकाल में पूरे शहर में कई लाख पेड़ लगाए जों तथा उन्हें जीवित भी रखा जाए। 17. शहर को जाम से मुक्त करने के लिए बड़ी संख्या में फ्लाईओवरों का निर्माण किया जाना चाहिए। अधिकांश चौराहों पर भी `लाल-हरी बत्ती पणाली' के बजाय छोटे-छोटे फ्लाईओवर इस पकार बना दिए जाएं कि चौराहे पर यातायात रुके बिना पार हो जाए। 18. इलाहाबाद में पहले बड़ी संख्या में तालाब थे, जिन्हें अनुचित एवं अवैध रूप से पाट दिया गया। न्यायालय का कड़ा निर्देश है कि तालाबों व पार्कों को पुनः पूरी तरह कायम किया जाए।

अतः इस बात का भलीभांति गहन सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए कि जनपद में कहां-कहां तालाब विद्यमान थे, जिन्हें पाट दिया गया। उन तालाबों को पुनर्जीवित कर उन्हें ऐसा सुंदर रूप दे दिया जाए कि वे रमणीक पिकनिक स्थल बन जाएं।

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