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लोहा लोहे से कटता है, लकड़ी से नहीं

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:23 Oct 2018 4:03 PM GMT
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श्याम कुमार

अटल बिहारी वाजपेयी जब पधानमंत्री थे, उस समय चर्चा थी कि उनका सोनिया गांधी से यह गुप्त समझौता हुआ है कि वह अटल सरकार की चाहे जितनी क"ाsर आलोचना करें, किन्तु केंद्र सरकार को सुचारु रूप से काम करने दें। उस समय लोगों का कहना था कि अटल-सरकार इसीलिए अपना शासन सुगमतापूर्वक चलाने में सफल हुई। अटल-सरकार तमाम पार्टियों से बनी ग"बंधन-सरकार थी, इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी के सामने इच्छानुसार बहुत कड़े कदम उ"ाने का विकल्प नहीं मौजूद था। इसके विपरीत वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा के चुनाव में भारी बहुमत से विजयी हुई तथा पहली बार विपुल बहुमत से भाजपा-सरकार का ग"न हुआ। भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी एक `अवतार पुरुष' के रूप में उभरे और जन-जन के मानस पर छा गए। लेकिन नरेंद्र मोदी अपनी ऐतिहासिक एवं विराट विजय में इन मुहावरों को भूल गए- `चींटी भी हाथी को नुकसान पहुंचा देती है' तथा `लोहा लोहे से कटता है, लकड़ी से नहीं'। उस गलती का खामियाजा मोदी को भुगतना पड़ रहा है और हालत यह हो गई है कि उनके विराट व्यक्तित्व को अनेक छुटभैयों के साथ एक पागल भी चुनौती देने का साहस कर रहा है।

नेहरू वंश ने देश की राजनीति को अपनी स्वार्थसिद्धि में इतना अधिक पदूषित एवं कुटिल बना दिया कि अब सामान्य आदर्शवादी तरीके से उसमें जी पाना भी क"िन हो गया है। नरेंद्र मोदी को पधानमंत्री बनते ही समझ लेना चाहिए था कि उनकी पार्टी द्वारा `कांग्रेसमुक्त भारत' का नारा दे देने से देश कांग्रेसमुक्त नहीं हो जाएगा। बेहया के पेड़ का एक टुकड़ा भी मिट्टी पा जाता है तो पुनः पनप उ"ता है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि जवाहर लाल नेहरू से लेकर अब तक नेहरू वंश के लोग देश का हित देखने के बजाय सिर्फ अपना स्वार्थ देखते रहे हैं तथा यह वंश महाभ्रष्ट है। यदि नरेंद्र मोदी शुरू में ही एक ऐसा आयोग ग"ित कर देते, जो जवाहरलाल नेहरू से लेकर अब तक नेहरू वंश के लोगों के भ्रष्टाचारों एवं घोटालों की त्वरित जांच कर उनके कारनामों को सामने ले आता और उस वंश के जीवित घोटालेबाज क"ाsर सजा पा जाते तो देश का बहुत भला होता।

राहुल गांधी की पिछले दो-तीन वर्षों से जो खुराफातें हो रही हैं, वे नरेंद्र मोदी की शुरू में की गईं उदारता का ही परिणाम हैं। एक ओर राहुल गांधी घोषणा करते हैं कि नरेंद्र मोदी पूरे देश के पधानमंत्री हैं और वह पधानमंत्री के विरुद्ध कोई बात नहीं कहेंगे। दूसरी ओर, राहुल गांधी का शुरू से एकमात्र पिय विषय नरेंद्र मोदी को अपशब्द कहना एवं उनके विरुद्ध गढ़-गढ़कर झू"ाr अफवाहें फैलाना बना हुआ है। अब तो उन्होंने अपने पतन की पराकाष्"ा करते हुए सार्वजनिक सभाओं में यह कहना शुरू कर दिया है-`गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर हैं।' लुटेरे नेहरू वंश का उत्तराधिकारी झू"ाr अफवाहों से नरेंद्र मोदी को भ्रष्ट घोषित करने का अथक पयास कर रहा है। उसके इस पयास का सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि अपने खानदान पर भ्रष्टाचार एवं घोटालों की लगी कालिख को लोगों की नजरों से ओझल कर दिया जाए। सोनिया गांधी इटली में एक `बार' में काम करती थीं। अब ऐसे अनेक आंकड़े आ चुके हैं, जिनमें बताया गया है कि सोनिया गांधी विश्व के सबसे धनाढ्य कुछ लोगों में शामिल हैं। बताया जाता है कि उनके पास अब कुल दो अरब डॉलर अर्थात लगभग एक खरब चौबीस अरब रुपए की सम्पत्ति है।

नरेंद्र मोदी को उच्चस्तरीय आयोग बनाकर नेहरू वंश के वर्तमान सभी लोगों की सम्पत्ति की गहन जांच करानी चाहिए थी तथा वह जांच त्वरित गति से होनी चाहिए थी। इसी पकार इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए देश पर इमरजेंसी थोपकर जो कूर अत्याचार किए थे तथा जनता से जीने का अधिकार तक छीन लिया गया था, उनके उन सारे कुकर्मों का विवरण देश के सामने रखा जाना चाहिए था। जनता पार्टी की सरकार ने इमरजेंसी के अत्याचारों की जांच के लिए न्यायमूर्ति शाह आयोग का ग"न किया था, जिसकी रिपोर्ट को बाद में पुनः सत्ता में आने पर इंदिरा गांधी ने नष्ट कर दिया था। विभिन्न उपायों से वह रिपोर्ट पुनः तैयार कर सामने लाई जानी चाहिए। इसी पकार किसी कुशल फिल्म-निर्माता से इमरजेंसी के अत्याचारों पर एक `बाहुबली' जैसी जबरदस्त फिल्म निर्मित कराकर देश के कोने-कोने में पदर्शित की जानी चाहिए।

जवाहरलाल नेहरू ने `नोबेल' शांति पुरस्कार पाने की लालच में देश की सुरक्षा-व्यवस्था को ध्वस्त किया था और सेना के आयुध-निर्माण कारखानों में सैन्य उपकरणों का निर्माण बंद कर वहां सौन्दर्य पसाधनों आदि का निर्माण शुरू करा दिया था। सेना की इतनी बुरी दशा कर डाली थी कि जब चीन का हमला हुआ तो भारतीय सैनिकों को बर्फीले पहाड़ों पर कपड़े के जूते पहनाकर लड़ने के लिए भेज दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ीं संख्या में हमारे सैनिकों की मौत हो गई थी। नेहरू की समस्त सच्चाइयां सामने लानेवाली फिल्म बननी चाहिए। इसी पकार राजीव गांधी की सरकार ने हजारों सिखों का जो निर्मम नरसंहार कराया था, उस पर फिल्म बनाई जानी चाहिए।

लोगों का मानना है कि नरेंद्र मोदी ने नेहरू वंश एवं देश के अन्य कुख्यात लोगों के पति उदारता का परिचय देकर अपना बहुत बुरा किया। यही कारण है कि जिन-जिन लोगों के दामन कालिख से भरे हुए हैं, वे तरह-तरह के झू"s आरोपों के कीचड़ उछालकर मोदी को बदनाम करने में जुटे हुए हैं। उन लोगों ने समझ लिया है कि यदि मोदी को हराया नहीं गया तो उन सब का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसीलिए जिस पकार भयंकर बाढ़ में सांप और नेवले भी एक पेड़ पर शरण लेने को विवश हो जाते हैं, उसी पकार इस समय भ्रष्ट एवं घोटालेबाज तत्व परस्पर संग"ित होकर मोदी को पटकनी देने के पयासों में लगे हुए हैं।

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