भारत में मजबूत सरकार की जरूरत
डॉ. जसीम मोहम्मद
ऑल इंडिया रेडियो द्वारा आयोजित वार्षिक सरदार पटेल स्मृति व्याखान माला को संबोधित करते हुए देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अपने व्याखान 2030 मे सपनों का भारत में कहा कि बाहर के मुकाबले देश के भीतर ही दुशमनों की तादाद अधिक है जो देश के विकास को बाधित करना चाहते है। उन्होंने आगे कहा कि भारत को अगले दस वर्षों तक एक मजूबत सरकार चाहिए ताकि वह अपने राजनीतिक और नितिगत, उद्देश्यों को प्राप्त कर सके। एनएसए अजीत डोभाल ने राष्ट्र को चेतावनी देते हुए कहा कि देश के दुशमन स्वयं देश मे अधिक है। अपने उद्वोधन में एनएसए अजीत डोभाल एक कमजोर सरकार अथवा गठबंधन सरकारों पर प्रश्न चिहन लगाते हुए कहा कि देष के विकास के लिए कुछ कड़े फैसले लेने पड़ते हैं जोकि हो सकता है लोकप्रिय न हो। अपने एक घंटे के भाषण मे अजीत डोभाल ने वर्तमान समय मे सूचना क्रांति के फलस्वरूप आधारहीन आरोप लगाए जाते हैं जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं जैसे सांप्रदायिक दंगे तथा सामाजिक तनाव।
अजीत डोभाल पूर्व इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक है और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 मे नियुक्त किया था। अजीत डोभाल ने कहा कि इसमे कोई शक नहीं है कि भारत को अगले दस वर्ष तक एक मजबूत सरकार की आवश्यकता है ताकि हम अपने राष्ट्रीय, राजनीतिक आर्थिक और नीतिगत उद्देश्यों को हासिल कर सके। उन्होंने अपने कथन पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि अगर हमारा प्रजातंत्र कमजोर हुआ तो देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा और भारत अपनी आंतरिक तथा बाहय सुरक्षा से किसी प्रकार का समझोता नहीं कर सकता है। भारत को एक मजूबत राष्ट्र के रूप मे आगे बढ़ना हो परन्तु शांति के आधार पर और उक्त के लिए उसे सख्त फैसले लेने होंगे ताकि आर्थिक विकास हो। उन्होंने कहा कि जब विरोधीदल राजनीतिक रूप से हावी होते हैं तो कुछ समझौते भी करने पड़ते हैं। अजीत डोभाल ने कहा कि भारत को ऐसी सरकार की आवश्यकता है जो जनता के पूर्ण बहुमत से बनी हो और उसमें कड़े फैसले लेने की शक्ति हो जनता के लिए सकारात्मक होंगे परन्तु वे लोकप्रिय नहीं लगेगें। यदि सरकार अस्थायी और कमजोर होती तो भ्रष्टाचार बढ़ेगा तथा क्षेत्रीय राजनीतिक आकाक्षायें भी बढ़ेगी। डोभाल ने देश को चेताया कि प्रजातंत्र केवल वोट देने मात्र से मजबूत नहीं होता है और भारत गठबंधनों की सरकारों द्वारा नहीं मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि जनता का मत यह सुनिश्चित करता है कि देश के कानून कौन बनायेगा परन्तु उन कानूनों को सख्ती से देश मे लागू करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है और वही सरकार उचित रूप से कानून लागू कर सकती है जो मजूबत हो।
अजीत डोभाल ने कहा कि यदि भारत को विश्व मे एक मजबूत देश के रूप मे उभरना है तो देश मे कानून का राज कायम करना होगा। केवल यही नहीं अजीत डोभाल ने आधूनिक तकनीकों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रजातंत्र में जनताको जागरूक होना चाहिए तथा साथ की शिक्षित भी होने की आवश्यक्ता है। उन्होंने कहा कि प्रोपेगंडा और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करने के बहुत भयानक परिणाम हो सकते है। केवल यही नहीं वे सांप्रदायिक दंगों, सामाजिक तनाव तथा आपसी क्लेश को भी जन्म देते हैं।
किसी भी देश के मजबूत होने के पीछे उसकी आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत विश्व मे तीसरा सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में आ जाएगा परन्तु उसके लिए कड़े आर्थिक फैसले लेने होंगे जोकि हो सकता है कि लोकप्रिय न हो। बिना जीएसटी का नाम लिए उन्होंने कहा कि भारत मे बहु कर व्यवस्था सफल नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि देश के हित मे मजबूत और कड़े फैसले है और हो सकता है कि इस प्रकार के फैसलो से जनता को कुछ कष्ट भी पंहुचे। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती महंगाई का जिकर करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार की स्थिति मे सरकार को कड़े फैसले लेने ही होते है तथा जनता को भी सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए क्योंकि वे अस्थायी होते हैं। अजीत डोभाल ने कहा कि देश की प्राइवेट कंपनियां देश को विकास पथ पर आगे बढ़ाने मे बहुत बड़ा योगदान देती है उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कारपोरेट घरानो ने ही चीन को आर्थिक रूप से मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कंपनियों को शक की निगाह से नहीं देखा जाता चाहिए क्योंकि फिर वे उन्नति नहीं कर पाएंगे। अजीत डोभाल ने कहा कि एwसा नहीं है कि प्राइवेट कंपनियां देश की गद्दार है क्योंकि वे देश मे रोजगार पैदा करती हैं तथा आर्थिक योगदान देती है और सरकार को कर के रूप मे धन की प्राप्ति होती जिससे रेलवे, सेना, संचार व्यवस्था आदि का संचालन किया जाता है उन्होंने कहा कि देशभक्ति केवल एक व्यक्ति अथवा वर्ग नहीं कर सकता।
चीन का जिक्र करते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि 1970 के दशक मे भारत चीन से आगे था परन्तु फिर वह पिछड़ता चला गया। वर्तमान समय मे विश्व की निगाहें भारत की ओर लगी है और देश भी आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है उन्होंने कहा कि आज ज्वलन्त प्रश्न यह है कि क्या भारत अपनी आर्थिक विकास गति को जारी रख पाएगा अथवा वह धीमी हो जागी। अपने पूरे व्याखान मे अजीत डोभाल ने एक सक्षम मजबूत और आर्थिक सुधारों वाली सरकार की बात कही। हमें यह देखना होगा कि धरातल पर इसके क्या अर्थ है?
2014 मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद जिस प्रकार तेज गति से प्रशासनिक, आर्थिक और विदेश नीति मे सुधार किए उसका परिणाम यह है कि केवल साढ़े चार वर्ष मे भारत विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है और कोई भी देश भारत और उसकी नीति को नजरंदाज नहीं कर सकता है। इसी प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन कल्याण के लिए भी योजनाएं जारी की जिनकी गति निरंतर बनी रहनी चाहिए। तथ्य यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2019 मे जनता सरकार बनाने का अवसर दोबारा दे ताकि भारत की विकास यात्रा रुके नहीं।
(लेखक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व मीडिया सलाहकार हैं।)