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पटाखे चलाते समय जरूरी हैं कुछ सावधानियां

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:5 Nov 2018 3:44 PM GMT
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योगेश कुमार गोयल

दीवाली खुशियों का त्यौहार है। इस अवसर पर खुशियों में और अधिक रंग बिखेरने के लिए दीये जलाने के साथ-साथ लोग आतिशबाजी का भी जमकर मजा लेते हैं। छोटे बच्चे तो आतिशबाजी के दीवाने होते ही हैं, बड़ों में भी आतिशबाजी के प्रति कम आकर्षण नहीं देखा जाता लेकिन कई बार जरा सी असावधानी के चलते आतिशबाजी हमारी खुशियों में रंग भरने के बजाय हमारी जिन्दगी का ही रंग बदरंग कर डालती हैं। प्राय देखा जाता है कि छोटे-छोटे बच्चे भी दीवाली पर पटाखे चलाते हैं और माता-पिता उनके हाथों से पटाखे चलवाकर उनका डर दूर करने का प्रयास करते हैं। उसके बाद बच्चे दिल खोलकर बड़े तथा विस्फोटक पटाखे चलाने की भी कोशिश करते हैं लेकिन कई बच्चों का डर दूर करने का यही प्रयास उनके लिए जानलेवा बन जाता है और ऐसे में इन परिवारों के लिए खुशियों भरा यह त्यौहार जिन्दगी भर के लिए अभिशाप बन जाता है। दीवाली पर आतिशबाजी से होने वाली दुर्घटनाओं के अनेक मामलों में से बहुत से मामले ऐसे सामने आते हैं, जिनमें लोगों द्वारा पटाखे चलाते समय शेखी बघारना दुर्घटना का प्रमुख कारण होता है। दरअसल बहुत से लोग शेखी बघारते हुए विस्फोटक पटाखों को भी हाथ में पकड़कर चलाते हैं और जिन्दगी भर के लिए अपाहिज होकर अपने ही हाथों दीवाली को हमेशा के लिए दर्दनाक यादों का त्यौहार बना डालते हैं या फिर मौत के मुंह में चले जाते हैं।

यह खुशियों का त्यौहार है, इसलिए खुशी के इस मौके पर ऐसी कोई भी भूल न करें, जो हमेशा के लिए आपकी खुशियों को ग्रहण लगा दे। आप बच्चों सहित पटाखे चलाकर खुशियां जरूर मनाएं लेकिन जरूरी सावधानियों के साथ। पटाखे चलाते समय यदि आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें तो आप दीवाली की खुशियों का भरपूर आनंद ले सकते हैंöजहां तक संभव हो, अत्यंत विस्फोटक व खतरनाक किस्म के पटाखे चलाने से बचें क्योंकि इनसे श्रवण शक्ति पर बुरा असर पड़ता है और वातावरण को भी ये अत्यधिक प्रदूषित करते हैं। हमेशा अच्छी क्वालिटी के आईएसआई मार्प पटाखे ही खरीदें। पटाखे हमेशा खुले मैदान में अथवा छत पर चलाएं। घर के अंदर भूलकर भी पटाखे न चलाएं अन्यथा कोई भी बड़ा हादसा घटित हो सकता है। बच्चों को पटाखे चलाते समय कभी भी अकेला न छोड़े बल्कि घर का कोई न कोई वरिष्ठ सदस्य उनके साथ रहना चाहिए। रॉकेट, चकरी, अनार, बम तथा अन्य बड़े पटाखे बच्चों को न दें। फुलझडियां चलाते समय हाथ को अपने कपड़ों से दूर रखें और हाथ को इधर-उधर घुमाने के बजाय सीधा रखें ताकि चिंगारी आपके कपड़ों पर न गिर सके। फुलझड़ी चलाने के बाद बचने वाले गर्म तार को इधर-उधर न फैंके क्योंकि अचानक आप में से किसी का भी पैर इस पर पड़कर जल सकता है। इसलिए इन तारों को किसी एक स्थान पर डालते जाएं। पटाखे चलाते समय बच्चों को सूती कपड़े पहनाएं। इस अवसर पर ज्यादा ढीलेढाले, लंबे व सिंथेटिक, नायलॉन व पॉलिस्टर के वस्त्र अथवा रेशमी साडियां या लहंगा पहनने के बजाय सूती व चुस्त वस्त्र ही पहनें तो बेहतर है। पटाखे खरीदकर लाकर सुरक्षित स्थान पर रखें। रसोईघर में अथवा गर्म वस्तुओं के पास या आग की लपटों के पास पटाखों के पैकेट कभी न रखें और न ही खोलें। इस बात का ध्यान रखें कि जहां भी आप पटाखे रख रहे हैं, वहां ऐसी कोई भी ज्वलनशील वस्तु न हो, जिससे इनके आग पकड़ने का जरा भी खतरा हो।

पटाखों को हमेशा हाथ शरीर से दूर करके ही जलाएं और जलाते समय उन पर झुकें नहीं वरना पटाखा एकदम चल जाने से आंखों को नुकसान पहुंच सकता है और जरा सी लापरवाही से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। पटाखे जलाते वक्त माचिस की तीली के बजाय जलती हुई मोमबत्ती का ही प्रयोग करें और पटाखे के आग पकड़ते ही तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं। बम इत्यादि विस्फोटक पटाखे चलाते समय उन पर कभी भी टीन का डिब्बा, मिट्टी की सुराही अथवा घड़ा या कांच की बोतल न रखें अन्यथा विस्फोट के साथ इन वस्तुओं के चिथड़े उड़कर ये राह चलते लोगों के साथ-साथ आप पर भी कहर बरपा सकते हैं। पटाखे जलाते समय आंखों पर प्लास्टिक के लैंस वाला चश्मा पहन लें तो आंखों का बचाव रहेगा। जिस स्थान पर आतिशबाजी करें, वहां आतिशबाजी की शुरूआत करने से पहले ही एक बाल्टी पानी अवश्य भरकर रख लें ताकि कोई दुर्घटना होने पर पानी के लिए इधर-उधर भागने में समय नष्ट न करना पड़े।

रॉकेट इत्यादि मिसाइलनुमा पटाखे चलाते समय इन्हें किसी तंग मुंह वाली बोतल में रखकर छत पर अथवा खुले मैदान में ही चलाएं ताकि ये सीधे ऊपर की दिशा में ही जाएं और इनसे दुर्घटना का अंदेशा न रहे। पटाखे को आग लगाने के बाद अगर कुछ समय तक यह न फूटे तो भी इन अधजले पटाखों को कभी न छुएं क्योंकि इनमें कुछ समय के बाद भी विस्फोट हो सकता है और अनजाने में दुर्घटना हो सकती है। शेखी बघारने के लिए अनार बम, रॉकेट इत्यादि विस्फोटक पटाखे भी हाथ में पकड़ कर हरगिज न चलाएं। जिस जगह पर आतिशबाजी करें, वहां कैरोसीन तेल, बिस्तर अथवा अन्य कोई भी ज्वलनशील वस्तु न छोड़ें। पटाखे चलाते समय या तो कानों में थोड़ी-थोड़ी रूई लगा लें या फिर पटाखा फूटते वक्त कानों में अंगुली डाल लें ताकि इसके विस्फोट का आपके कानों पर ज्यादा असर न पड़े। प्राथमिक उपचार करते हुए उसे किसी योग्य चिकित्सक के पास ले जाएं ताकि समय रहते उसे समुचित उपचार मिल सके।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)

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