Home » द्रष्टीकोण » कानपुर की अराजकता देखी योगी ने

कानपुर की अराजकता देखी योगी ने

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:11 Dec 2018 3:48 PM GMT
Share Post

श्याम कुमार

कानपुर कभी औद्योगिक राजधानी के रूप में मशहूर था तथा `उत्तर पदेश का मैनचेस्टर' कहा जाता था। लेकिन अब वह गंदगी, पदूषण, अतिक्रमणों एवं यातायात जाम में सिरमौर माना जाता है।

गत 16 नवम्बर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में जो किया, उससे वहां उनकी धूम मच गई। जनता चाहती है कि उसके नेता हवाई मार्ग या `वीआईपी मार्ग' से गुजरने के बजाय आम नागरिकों की तरह आम रास्तों से गुजरा करें, तब उन्हें सच्चाइयों का पता लगेगा। योगी ने कानपुर में जो औचक भ्रमण किया, उसकी कानपुरवासियों में बहुत सराहना हुई। उस दिन मुख्यमंत्री ने कानपुर की कतिपय सड़कों पर औचक विचरण किया, जिससे उन्हें भान हुआ कि शहर दुर्दशाओं से कितना भीषण रूप से ग्रस्त है तथा सरकार चाहे जितने जनहितकारी कदम उ"ाए, भ्रष्ट एवं निकम्मी नौकरशाही सरकार के हर कदम में पलीता लगा रही है। अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक समस्त नौकरशाही की छवि यह बन गई है कि वह ग"री भर वेतन व तमाम सुविधाएं तो लेती है, लेकिन काम रत्तीभर नहीं करना चाहती है। चूंकि नौकरशाही के विरुद्ध कार्रवाई बड़ी मुश्किल से हो पाती है, इसलिए उसे दंड का कोई भय नहीं रहता है। इसके परिणामस्वरूप जो पशासनिक अराजकता चतुर्दिक व्याप्त है, उसने अब लाइलाज मर्ज का रूप ले लिया है।

कानपुर शहर की कतिपय सड़कों पर विचरण के समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस हकीकत से रूबरू हुए। उन्हें सड़कों पर जगह-जगह गंदगी के ढेर मिले तथा उन्होंने गंगा में गंदगी गिरते देखा। सड़कों पर इतने गड्ढे थे कि मुख्यमंत्री का काफिला तेज चल ही नहीं पा रहा था। जाजमऊ राजमार्ग वाली महत्वपूर्ण सड़क ऊबड़-खाबड़ थी। रामादेवी मैती राजमार्ग बदहाल था। सड़क पर बजरी फैली हुई थी तथा यातायात व्यवस्था चरमराई हुई थी। पधानमंत्री नरेंद्र मोदी के `स्वच्छ भारत' अभियान के अंतर्गत कानपुर नगर निगम शहर को चमका देने का दावा कर रहा था, लेकिन मुख्यमंत्री ने भी देख लिया कि कानपुर नगर निगम का उक्त दावा कितना झू"ा है तथा वह कितना निकम्मा नगर निगम है। पूरा शहर गंदगी से भरा हुआ है।

सड़कों पर आवारा पशुओं का जो बोलबाला रहता है, उसका एक रोचक पकरण भी हुआ। मुख्यमंत्री का काफिला आने वाला था कि ग्रीन पार्प चौराहे के पास एक गाय बीच सड़क पर आकर बै" गई। इससे पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए। बहुत "sलने पर भी जब गाय नहीं उ"ाr तो एक होमगार्ड यह बड़बड़ाते हुए उसकी गरदन से लटक गयाö`मइया, हमें मरवाओगी क्या, हट जाओ, बाबा आ रहे हैं।' बड़े पयास के बाद गाय को वहां से हटाया जा सका। मुख्यमंत्री अचानक नौबस्ता गल्लामंडी पहुंचे तथा धान क्रय केंद्र का हाल जाना। उन्होंने कड़ा निर्देश दिया कि किसानों को किसी भी स्थिति में समर्थन मूल्य से कम भुगतान न किया जाए तथा बिचौलियों की कोई भूमिका न हो। मंडी समिति के अधिकारियों को मुख्यमंत्री के आगमन की जानकारी पाप्त हो गई थी, इसलिए रातभर जागकर परिसर की सफाई की गई। रातोरात वहां प्लेटफॉर्म पर बैनर लगा हुआ क्रय केंद्र खोल दिया गया। अफसरों ने अपनी चिरपरिचित कलाबाजी दिखाते हुए यह पदर्शित करने के लिए कि वहां क्रय केंद्र काफी पहले से चल रहा है, वहां पर कुछ किसानों को धान के साथ बुला लिया तथा मशीन लगाकर धान की सफाई भी शुरू करा दी।

वैसे तो यातायात व्यवस्था उत्तर पदेश के अन्य सभी नगरों में पूरी तरह ध्वस्त है, किन्तु कानपुर उनमें सर्वाधिक बुरी दशा वाला माना जाता है। बदहाल यातायात व्यवस्था, अतिक्रिमण एवं दम घोंटने वाला पदूषण कानपुर की पहचान बन गए हैं। मेरे बचपन में कानपुर व लखनऊ की सुचारू यातायात व्यवस्था दूर-दूर तक पसिद्ध थी। दोनों शहरों में हर जगह जाने के लिए बसें बड़ी आसानी से मिल जाया करती थीं। लेकिन अब वह स्थिति बिल्कुल नहीं रह गई है। कानपुर में सार्वजनिक यातायात व्यवस्था घोर असंतोषजनक है।

कानपुर शहर को फ्लाईओवरों से पाटकर हर मुख्य सड़क को दुमंजिली बनाए बिना वहां की यातायात व्यवस्था में सुधार हरगिज संभव नहीं है। मेट्रो बन जाने से भी कानपुर की यातायात व्यवस्था में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाएगा। फूलबाग से विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने वाले फ्लाईओवर बनाए जाने चाहिए। मैस्टन रोड, बिरहाना रोड, पी रोड, गुमटी नंबर पांच वाला बाजार, जरीब चौकी आदि तमाम क्षेत्रों में तो पैदल चल पाना क"िन हो गया है। कानपुर की अधिकांश सड़कों पर जाम लगा रहता है। शहर में बीचोबीच लंबी रेल पटरी बिछी हुई है, जिस पर लगभग एक दर्जन फाटक हैं। वे फाटक हर समय बंद होते रहते हैं, जिससे उन जगहों पर भयंकर जाम लग जाता है। मैं विगत कई दशकों से अनगिनत बार लिख चुका हूं कि या तो बीच शहर से गुजरने वाली उस रेल पटरी को हटाने का विकल्प निकाला जाय, अन्यथा उन सभी फाटकों के ऊपर फ्लाईओवर बना दिए जाएं, ताकि वहां यातायात न रुके। आश्चर्य होता है कि इस आवश्यकता की ओर अब तक न तो शासन व पशासन सक्रिय हुआ है और न जनपतिनिधियों को कोई चिंता है।

यहां एक पसंग उल्लेखनीय है। एक बार एक विमान उड़ते समय संकटग्रस्त हो गया तथा यात्रियों की जान बचनी मुश्किल दिखाई देने लगी। लेकिन विमानचालक ने जिस कुशलता से तमाम जटिल अवरोधों के बीच से निकालते हुए विमान को हवाई अड्डे पर लाकर खड़ा किया, उससे सब हैरत में पड़ गए। विमान चालक की बड़ी वाहवाही हुई तथा असंभव कृत्य को कुशलतापूर्वक संभव बनाने पर उसका अभिनंदन किया गया। अभिनंदन के समय लोगों ने विमानचालक से उसकी कुशलता का राज पूछा तो उसने बताया कि वह पहले कानपुर में टेंपो चलाता था।

शास्त्राr चौक, झाड़ीबाबा पड़ाव, पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास जीटी रोड, शारदानगर, छपेड़ा पुलिया आदि स्थानों पर दोपहर तक कूड़ा पड़ा हुआ था। जाजमऊ गंगा पुल के नीचे भी कूड़ा पड़ा था और सफाई नहीं कराई गई थी। सड़कों की मरम्मत व पैचवर्प की घोषणाएं अनेक बार की गईं, किन्तु कोई "ाsस काम नहीं हुआ। जहां पैचवर्प होते हैं, वे हफ्तेभर में उखड़ जाते हैं। मुख्यमंत्री को कंपनी बाग-रावतपुर चौराहे से अफीम को"ाr वाया जूही नहरिया जाने वाली सड़क से जाना था। अचानक पता लगा कि कंपनी बाग चौराहे से रावतपुर जाने वाली सड़क पर पाइप लाइन फट गई है, जिससे पूरी सड़क बंद है। नौबस्ता चौराहे से पहले मुख्यमंत्री का दस्ता जब हमीरपुर मार्ग की ओर मुड़ा तो वहां आधी सड़क पर दोनों ओर "sला-"sलियों के कब्जे तो थे ही, अन्य वाहनों के जमावड़े भी थे। मुख्यमंत्री जिन रास्तों से होकर गुजरे, वे कानपुर के अपेक्षाकृत साफ-सुथरे इलाकों में गिने जाते हैं। यदि मुख्यमंत्री उन क्षेत्रों में जाते, जो भीषण रूप से दुर्दशाग्रस्त माने जाते हैं, तब उन्हें यह सच्चाई पता लगती कि कानपुरवासी किस विषम माहौल में जिंदगी गुजार रहे हैं।

Share it
Top