Home » द्रष्टीकोण » कब मिलेगी भारत को आतंकियों से मुक्ति

कब मिलेगी भारत को आतंकियों से मुक्ति

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:4 Jan 2019 3:31 PM GMT
Share Post

पेम शर्मा

हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम जिन हरकतों की तैयारी कर रहा था उसका खुलासा भले ही भारतीय खुफिया एजेंसी ने कर लिया हो लेकिन इसके बाद भी हम इस बात को नजरंदाज नहीं कर सकते कि भारत पर आतंकी साया बरकरार है। पूरी दुनिया में आतंक के बड़े चेहरे के रूप में विख्यात जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, यूनाइटेड जेहाद काउंसिल, इस्लाममिक स्टेट जम्मू-कश्मीर, अलकायादा इंडिया, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, खालिस्थान फोर्स और अलबद्र का खतरा किसी न किसी रूप में भारत के सिर पर मंडरा रहा है। इसके अलावा पूरे विश्व के लिए खतरा बना अबू बकर अल बगदादी अयमान-अल-जवाहिरी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अबू बकर शेकऊ (बोकोहराम), जेहादी जॉन की हरकत पूरी दुनिया की शांति भंग कर रहा है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गत दिवस दिल्ली व यूपी में 17 स्थानों पर छापेमारी कर आतंक के बड़े ग"जोड़ का भंडाफोड़ किया। 10 संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। छह अन्य लोगों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। गिरफ्तार सभी लोग आतंकी संग"न आईएसआईएस से फ्रेरित `हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम' से जुड़े थे।

ये लोग फिदायीन हमलों से देश की फ्रमुख हस्तियों, नेताओं, सुरक्षा फ्रतिष्"ानों और दिल्ली के बड़े बाजारों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे। जिस स्तर की तैयारी थी उससे लगता है कि वे जल्द हमले को अंजाम दे सकते थे। वे रिमोट कंट्रोल बम बना रहे थे और फिदायीन दस्ता तैयार कर रहे थे। देश के महत्वपूर्ण स्थलों पर सिलसिलेवार बम धमाकों की इनकी योजना थी। संदिग्धों के पास से 112 अलार्म घड़ी, 150 राउंड गोला-बारूद, 12 पिस्टल, करीब 25 किलोग्राम बम बनाने की सामग्री, पोटैशियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट, सल्फर बरामद हुआ। स्टील पाइप मिले हैं, जिसका पाइप बम बनाने में फ्रयोग होता है। आरोपी आत्मघाती जैकेट भी बना रहे थे जिससे फिदायीन हमले कर सकें। इनके पास से देश में बना रॉकेट लांचर भी बरामद हुआ है।

पकड़ में आया मॉडयूल अपने पैसों पर चलाया जा रहा था। सोना चोरी करके हथियार खरीदे गए थे। दुनिया के सबसे खूंखार माने जाने वाले आतंकी संग"न इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के बिल्कुल नए मॉडयूल का भंडाफोड़ करके राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और यूपी पुलिस के एंटी टेरर स्क्वॉड ने बड़ी सफलता हासिल की है। ऐसे समय में, जब पिछले कुछ वर्षों में भारत के विभिन्न हिस्सों, खासकर कश्मीर, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, हैदराबाद और महाराष्ट्र में कई बार आईएस के नए मॉडयूल के सक्रिय होने की बात आ चुकी हो, तब यह बड़ी सफलता है। यूपी के अमरोहा से हुई इन गिरफ्तारियों से आईएस के उस नए मॉडयूल `हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम' का भंडाफोड़ भी हुआ है, जिसका इरादा देश में बडे पैमाने पर विस्फोटों और अन्य तरीकों से अस्थिरता फैलाने का था। इसका मास्टरमाइंड जो भी हो, फौरी सरगना अमरोहा का सामने आया है, जो अब एनआईए की गिरफ्त में है। बीते मार्च महीने में पुणे में महाराष्ट्र एटीएस द्वारा आईएस के स्लीपर सेल के भंडाफोड़ और हाल ही में तमिलनाडु के कई इलाकों से इससे जुडे सात संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद यह एक और बड़ी सफलता है। भारत में खासतौर से दक्षिण का इलाका बीते कुछ साल में आतंकियों के लिए मुफीद रहा और इन इलाकों में आईएस ने अपना बड़ा स्लीपर मॉडयूल तैयार करने में सफलता हासिल कर ली। देश के विभिन्न हिस्सों में इसके 300 से ज्यादा सक्रिय सदस्यों के होने की जानकारी भी सामने आई वह चौंकाने वाली है।

पिछले दिनों यासिर नईमतुल्लाह हुसैनी उर्प आमिर के रूप में इसके स्लीपर मॉडयूल चीफ का नाम भी सामने आया, जिसे हैदराबाद से पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। भारत में आईएस की यह चर्चा तब तेज हुई है। जब अपने मूल इलाके इराक और सीरिया में इसके पैर बुरी तरह से उखड़ चुके हैं और अमेरिका भी वहां से अपनी फौजें वापस बुलाने की तैयारी में है। ऐसे में क्या मूल जमीन गंवा चुका यह खूंखार संग"न वाकई भारत को नया "िकाना बनाने की फिराक में है या कि यह उसके नाम के इस्तेमाल की कोई और चाल है? अगर यह वही संग"न है, तो तत्काल सतर्प होने का समय है, क्योंकि इनका जाल इतना पुख्ता और चेहरा इतना ढका रहता है कि दुनिया का सबसे चतुर खिलाड़ी अमेरिका भी इन्हें लेकर गफलत में आ गया था और अनजाने में ही सही, उसने भी `फ्री सीरियन आर्मी' के नाम का लबादा ओढ़े आईएस आतंकियों को ट्रेनिंग दे डाली थी। सबसे खास बात यह कि गिरफ्तार सभी आरोपी 20 से 30 की उम्र के हैं। जो धर्म और मजहब के नाम पर इस तरह गुमराह हो चुके है कि उन्हें इंसानियत से कोई मतलब ही नहीं रहा। इनमें नोएडा के निजी विश्वविद्यालय में सिविल इंजीनियरिंग का एक छात्र व डीयू में बीए तृतीय वर्ष का एक छात्र भी शामिल है। ज्यादातर आरोपी मध्यमवर्गीय परिवारों से हैं।

दो के अलावा बाकी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं।गिरोह का सरगना मुफ्ती सुहेल अमरोहा का रहने वाला है। वहां एक मदरसे में बतौर मुफ्ती काम कर रहा था। इस समय वह दिल्ली के जाफराबाद में रह रहा था। एनआईए की पूछताछ में पता चला कि एक विदेशी आका के सहारे वह पूरा नेटवर्प संचालित करता था। दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर में छह स्थानों पर छापेमारी की गई। उत्तरफ्रदेश के 11 स्थानों पर छापा मारा गया। इनमें से छह स्थान अमरोहा में, दो लखनऊ, दो हापुड़ और एक स्थान मेर" का है। पांच लोगों को अमरोहा जिले से जबकि पांच संदिग्धों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। चिंता की बात केवल यह नहीं कि यह आतंकी गुट बड़ा हमला करने की ताक में था, बल्कि यह भी है कि उसने हथियारों और विस्फोटकों के साथ एक देसी रॉकेट लांचर भी जुटा लिया था। एनआईए की गिरफ्त में आए तत्वों ने अपने आतंकी गुट का नाम इस्लाम से जोड़ने की जो हिमाकत की उस पर मुस्लिम समाज के नेतृत्व को यह विचार करना चाहिए कि क्या उसे उसी तरह सक्रियता दिखाने की फिर जरूरत है जैसी उसने कुछ समय पहले आइएस के खिलाफ फतवा जारी कर दिखाई थी? जो भी हो, इससे खराब बात और कोई नहीं हो सकती कि जब दुनिया का सबसे खूंखार आतंकी संग"न आइएस अपने गढ़ सीरिया में दम तोड़ रहा है तब भारत में कुछ गुमराह लोग उसके जैसी हरकतों को अंजाम देने की खतरनाक सोच से ग्रस्त हो रहे हैं। आखिर आइएस जैसे बर्बर और घृणित आतंकी संग"न से कोई किसी तरह की फ्रेरणा कैसे ले सकता है?

यह राहतकारी है कि एनआईए ने आतंक की एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश कर दिया, लेकिन केवल इतना ही पर्याप्त नहीं है। उसके लिए यह भी जरूरी है कि वह गिरफ्तार तत्वों के खिलाफ सारे सबूत जुटाकर उन्हें सजा दिलाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़े ताकि किसी तरह के संदेह और सवालों की गुंजाइश न रहे। यह इसलिए आवश्यक है। क्योंकि कई बार कुछ लोग आतंकवाद के मसले पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते। आखिर कौन नहीं जानता कि देशभर में तमाम हमलों को अंजाम देने वाले यासीन भटकल के आंतकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन के बारे में कुछ नेताओं का यह ख्याल था कि यह नाम सरकारी एजेंसियों के दिमाग की उपज है। इससे भी अधिक चिंता की बात यह है कि वह आत्मघाती हमलों की भी तैयारी कर रहा था। एनआईए ने तथाकथित हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम के जिन दस लोगों को गिरफ्तार किया वे मध्यम वर्गीय परिवारों से हैं। इनमें कुछ पढ़े-लिखे भी हैं और एक तो इंजीनियरिंग का छात्र बताया जा रहा है। इससे यह धारणा एक बार फिर खारिज हो जाती है कि केवल गरीब और अशिक्षित युवा ही आसानी से गुमराह होकर आतंक की राह पर चले जाते हैं। स्पष्ट है कि उन कारणों की न केवल पहचान करनी होगी, बल्कि उनका निवारण भी करना होगा जिसके चलते पढ़े-लिखे और आर्थिक तौर पर समर्थ युवा आतंक की राह पर जा रहे हैं। इसी के साथ इस सवाल का भी जवाब खोजना होगा कि आतंकवाद की राह पकड़ने वाले मजहब की आड़ लेने में कैसे सफल होते जा रहे हैं? आखिर हरकत-उल-हर्ब-ए-इस्लाम नाम से आतंकी गुट बनाने का क्या मतलब?

Share it
Top