समाज व राष्ट्र को जीवंत रखने का आधार हैं सौहार्दपूर्ण संबंध
हरीश बड़थ्वाल
मनुष्य केवल हाड-मांस का लोथड़ा नहीं है, इस बाह्य आवरण के भीतर एक दिल है जो धड़कता है और एक मस्तिष्क भी, जिसमें रोजाना करीब 65 हजार विचारों का आना-जाना लगा रहता है। बाहर से दिखते शरीर के भीतर जो न दिखने वाला समाहित है वही हमारी शख्सियत यानि अस्मिता का निर्माण करता है, वही हमारा शुद्ध स्वरूप है। आपने अनेक व्यक्ति देखे होंगे जो बाहर से उथले, ऐरे-गैरे या आयाराम-गयाराम नजर आते हैं किंतु दुनिया उनका लोहा मानती है। किसी को वाहवाही और दुओं मिली हैं तो उसके नैन-नक्श, थोपड़े पर छिड़की सेंट या उसकी अदाओं की वजह से नहीं बल्कि इसलिए कि हुनर, ज्ञान-विज्ञान, विवेकशीलता, दूरदृष्टि या समझदारी में उसे कई बार परख लिया गया है। यह दूसरी बात है कि अपने मौजूदा मुकाम पर वह यकायक या अनायास नहीं, बल्कि एक सुविचारित योजना पर, निष्ठा से अनवरत कदम-दर-कदम चलकर पहुंचा है।
कामयाब और खुशहाल व्यक्ति का पमुख गुण यह है कि साथियों, परिजनों, पड़ोसियों, सहकर्मियों यहां तक कि राहगीरों व अन्य अजनबियों से भी उसके संबंध सुकर, मधुर और सौहार्दपूर्ण होते हैं।
यों अच्छे संबंध बनाने की एक फितरत होती है। अतः यह मानना बेतुका है फलां शख्स के अपनी पत्नी, बहन, मां या भाई से गहरे, अंतरंग संबंध हैं। आपके किसी एक व्यक्ति से बेहतरीन संबंध हैं तो कमोबेश सभी से होते हैं। केवल पत्नी या मां से अच्छे संबंध के मायने हैं कि किसी स्वार्थ से दोनों जुड़े हैं, और जब वह स्वार्थ नहीं रहेगा तो संबंध छूमंतर हो जोंगे। संबंध बनाना और मेनटेन करना एक सोच का नतीजा होता है। इसके लिए मशक्कत करनी होती है।
रुटीन के या विशेष कार्य हम तभी सफल होंगे जब हमें अन्यों से सहयोग मिलेगा। सफल व्यक्तियों ने विभिन्न स्तरों पर अनेकानेक लोगों से सहयोग, समर्थन हासिल किया। केवल अपने बूते आगे बढ़ना नामुमकिन है। एक आम नागरिक से लेकर आला उद्योगपति, अधिकारी या संत को ज्यादा से ज्यादा व्यक्तियों, समूहों और वर्गों से सहयोग चाहिए। पधानमंत्री या राष्ट्रपति को निचले स्तर के तबकों से सबसे ज्यादा सहयोग और समर्थन चाहिए, यह तभी संभव है जब सब से उसके अनुकूल संबंध हैं। कह सकते हैं, जितना अधिक सफल, उसी अनुपात में उसने अन्यों का सहयोग हासिल किया। हर किसी के बस का नहीं है दूसरे से मांगना, इसके लिए अहंकार को मिटाना पड़ता है। रिश्ते निभाने में ईमानदारी चाहिए, ऐरे-गैरों से हमें यह उम्मीद नहीं कर सकते। जो व्यक्ति अच्छे संबंध बनाने में असमर्थ है उसे अन्यों से न तो सहयोग नहीं मिलेगा, न ही उनकी दुआएं।
संबंध पेमपूर्ण होंगे तो व्यक्ति के भीतर वह अनावष्यक अंतर्द्वंद्व नहीं रहेगा जिसके कारण बहुतेरों के दिन का चैन और रात की नींद उड़ी रहती है। मधुर संबंध के अभाव में, पारिवारिक कलह से अनेक नामी-गिरामी परिवारों का नामोंनिशां मिट गया। इतिहास साक्षी है, ढेरों एक से एक फलते-फूलते नामी औद्योगिक घराने इसलिए स्वाहा हो गए कि विभिन्न सदस्यों में आपसी संबंध छिन्नभिन्न हो गए और उनके दिलों में वैमनस्य और कटुता पनपने लगे। तीस बरस पहले सिगरेट, कंबल, जूता कंपनियों, डिटरजेंट, टेलिविजन के ब्रांडों के बारे में विचार करें, कहां गायब हो गए वे सब। जिस व्यक्ति के अन्यों से शानदार संबंध होते हैं उसे दुश्मनों का भय नहीं रहता; बगैर दिल में बोझ लिए वह स्वच्छंद, उन्मुक्त तो जीता है, अपनी संगत में भी चार चांद लगाता है। उसका सभी जगह स्वागत किया जाता है। यही बात विभिन्न समाजों, समुदायों और राष्ट्रों के बाबत हैöइनके बीच तरह-तरह के मनमुटाव और खींचतान इसलिए चलती और लटकती रहती है चूंकि आपसी संबंध अच्छे नहीं थे। पड़ोसी राज्यों से स्वस्थ, अनुकूल संबंध होने की स्थिति में दोनों का सेना का व्यय बहुत घट जाएगा और इस राशि को विकास कार्यों में खर्च किया जा सकता है। अच्छे संबंधों से हमें दूसरों के पत्यक्ष साधनों का लाभ तो होता ही है, मसलन पानी, कृषि उत्पादों की अदला-बदली। इसके अलावा उनकी शक्तियां भी हमें रहस्यमय तरीके से हमें मिल जाती हैं और हम अपनी मंजिल जल्द और निश्चित तौर पर हासिल करते हैं। गौर करें, पभावशाली व्यक्ति से अच्छे संबंध होने पर हमारा आत्मबल स्वयमेव बढ़ता है और हमारे कार्य सुगमता से निबट जाते हैं।
अच्छे संबंध बनाना एक कला भी है, आज के युग में नितांत जरूरी। जो व्यक्ति इस कला में माहिर हैं उसे सभी से जरूरी सहयोग मिलता है और वह जल्द अपना लक्ष्य हासिल कर लेता है। लेकिन याद रहे, संबंधों में निष्ठा जरूरी है, शुद्ध दिखावे की पोल जल्द खुल जाती है। पिछले सप्ताह व्हाट्सएप और फेसबुक पर पांव दबाकर पति की सेवा करती एक पत्नी का वीडियो खूब वायरल हुआ। बताते हैं इसे अस्सी हजार लोगों ने देखा और लाइक किया। दरअसल वीडियो की महिला सेवा नहीं कर रही बल्कि इस बहाने पति की जेबें टटोल रही है, पैसों के चक्कर में। इसी से जुड़ा एक वाकिया उस विदेशी महिला का है जो पति की कब्र पर पंखा झेलते देखी गई। अपने देश से वहां गए एक भारतीय का दिल उस पत्नीधर्म निभाती उस महिला को देख पसीज गया। वह श्रद्धा से गदगद हो उ"ा। महिला के पति नतमस्तक था, करीब आ कर उसने दोनों हाथ जोड़ते उससे कहा कि देवी! भारत में बहुत जगह घूमा, सैकड़ों को नजदीकी से देखने के मौके मिले। किंतु दिवंगत पति के पति ऐसा निष्ठा और समर्पण भाव देखने को नहीं मिला। महिला ईमानदार थी। उसने बताया कि ऐसा नहीं है जैसा आप समझ रहे हो। दरअसल हमारे बीच अनुबंध था कि जब तक हम दोनों में से एक की कब्र नहीं सूख जाती तब तक जीवित पार्टनर दूसरा विवाह नहीं करेगा, और मैं इंतजार करने में असमर्थ हूं।
नई पीढ़ी पुराने चले आ रहे पारिवारिक संबंधों को पुख्ता करना तो दूर, उन्हें बनाए रखना भी जरूरी नहीं समझती, यह चिंताजनक है। याद रहे, संबंध बनाए रखना एक श्रेष्" मानवीय गुण है और उन्हें खत्म करने से हम अनेक आत्मिक व सांसारिक लाभों से वंचित रहेंगे।