Home » द्रष्टीकोण » अब भ्रम टूटेगा देशद्रोहियों का

अब भ्रम टूटेगा देशद्रोहियों का

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:20 Jan 2019 3:04 PM GMT
Share Post

डॉ.बचन सिंह सिकरवार

हाल में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोकेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य सैयद उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 छात्रों पर यहां देश विरोधी नारे लगाने के पकरण में दिल्ली पुलिस के विशेष पकोष्" (स्पेशल सैल) ने 12 वीडियो देखकर तथा गहन जांच-पड़ताल कर तीन साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट में 1200 पृष्ठ का जो आरोप पत्र दाखिल किया है उसमें उन पर देशद्रोह की धारा 124ए सहित 323, 465 जैसी गंभीर धाराएं भी लगाई हैं जो उनके अपराध की गंभीरता को दर्शाती हैं। इनमें सन 1870में बनी देशद्रोह की धारा 124ए के तहत अधिकतम उम्रकैद या कम से कम तीन साल की सजा का पावधान है। इसके बाद भी इस आरोप पत्र को लेकर कांग्रेस, आम आदमी पाटी, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा इन सभी के बचाव में जो दलीलें दी हैं, वे न केवल बेहद शर्मनाक और हैरान करने वाली हैं, बल्कि उनके जरिये उन्होंने देशद्रोहियों की खुलेआम तरफदारी भी की गई है। उनकी इस बेजां हरकत से जहां देश के खिलाफ काम करने वाली ताकतों के हौसले बढ़ेंगे, वही इनकी मुखालफत में खड़े लोग बहुत निराश होंगे। सत्ता के भूखे इन राजनीतक दलों को इससे क्या? उनके लिए तो सत्ता, उससे जुड़े सार्वजनिक धन की लूट की छूट तथा सत्ता सुख ही सब कुछ है। इनके आगे राष्ट्र की स्वतंत्रता, उसकी संप्रभुता, एकता, अखंडता के कोई माने नहीं हैं।

दुर्भाग्य की बात यह है कि स्वार्थ की राजनीति करने वाले कुछ लोग तो देशहित भुला ही चुके हैं, पर कुछ अखबार और टीवी चैनल वाले भी उनका अनुसरण करने में पीछे नहीं हैं, वरन उन्होंने इस मामले के मुख्य आरोपी कन्हैया कुमार की सशर्त जमानता की खबर को इतना महत्व नहीं दिया होता, जैसे वह देशद्रोह का आरोपी न होकर बहुत बड़ा देशभक्त क्रांतिकारी हो। यहां तक कि दिल्ली एक बहुपसारित अंग्रेजी दैनिक ने तो बेशर्मी से उन वीडियो को छेड़छाड़ वाला बताया है, जिन्हें सीएसएफएल ने बगैर छेड़छाड़ वाला होने का पमाण पत्र दिया है। इनमें ये सभी देश के विरुद्ध गला फाड़कर नारे लगाते साफ दिखाई दे रहे हैं, उनसे मिले सबूतों के आधार पर इनके खिलाफ आरोप पत्र तैयार किया गया है। वैसे इन सभी वीडियो को फर्जी साबित करने की कोशिश इस घटना के बाद भी कांग्रेस, वामपंथी दलों समेत कई दूसरे राजनीतिक दलों द्वारा की गई थी, तब कहा गया था कि इन्हें भाजपा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों ने कन्हैया कुमार आदि को झू"s मामले में फंसाने को तैयार किए हैं। अब कन्हैया कुमार को बचाने को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने बड़ी विचित्र दलील दी है कि राजद्रोह संबंधी कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 रद्द होनी चाहिए। यह एक औपनिवैश्विक अवशेष है। असली राजद्रोह तो तब होता जब सत्ता बै"s लोग कानून का बेजां इस्तेमाल करते हैं। साथ ही हिंसा भड़का कर शांति एवं व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करते हैं। अगर ऐसा है, तो देश के अधिकांश कानून ही नहीं, संसद भवन, मंत्रियों और सांसदों के भवन भी अंग्रेजों के बनवाए हुए हैं। अब रही सत्ता के अनुचित इस्तेमाल की, तो इसके लिए कोई सबसे ज्यादा दोषी है तो वह कांग्रेस है, जिसने आपात काल लगाने से लेकर संसद, सर्वोच्च न्यायालय समेत लगभग सभी संवैधानिक संस्थाओं का सबसे अधिक दुरुपयोग किया है। वैसे देशद्रोह के इन आरोपियों के बचाने में कथित बुद्धिजीवी/साहित्यकार/पत्रकार भी पीछे नहीं हैं, इनमें से एक स्तम्भकार तवलीन सिंह का कहना है कि नारे सिर्प नारे होते हैं, उनका क्या जो कानून तोड़ते हैं और गौ तस्कर होने की आशंका में किसी की भी जान ले लेते हैं। क्या वे राष्ट्रवादी हैं? या उन्होंने देश की छवि को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है? क्या उनकी गौ रक्षकों से देशद्रोहियों की तुलना सही है? क्या नारे सिर्प नारे होते हैं? उसके पीछे नारे लगाने की नीयत/मकसद नहीं होता? तवलीन सिंह से यह पूछा जाना चाहिए कि अपने देश को तोड़ने के नारे लगाने वाले कन्हैया कुमार जैसे लोग क्या देश की छवि को चार चांद लगाते हैं?

अब इस आरोप पत्र के बाद देश के विरुद्ध कार्य करने वालों का यह भ्रम अवश्य टूटेगा, जो यह समझते आए हैं कि वे चाहे देश को तोड़ने या फिर उसके खिलाफ जंग करने के नारे लगाए या फिर देशद्रोहियों की बरसी मनाएं या आतंकवादियों के जनाजे में जाकर मातम मनों; इस देश का कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। यही भ्रम कन्हैया कुमार सरीखे पाकिस्तानी तथा आईएस का झंडा लहराते हुए हिन्दुस्तान मुर्दाबाद और पाकिस्तान जिन्दाबाद नारे लगाने वालों ने पाला हुआ है। यह स्थिति अब केवल जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं, बल्कि पश्चिमी और पूर्वी उत्तर पदेश के कई जिलों समेत देश के सूबों में बनी हुई है, जहां जब तब ऐसे तत्व न केवल पाकिस्तान का झंडा लहराते हुए उसकी जिन्दाबाद के नारे लगाते है, बल्कि कभी-कभी ऐसे नारे लिखे गुब्बारे भी उड़ाते आए हैं। कई मजहबी जगहों पर देश और बहुसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ जहरीली तकरीरें दी जाती हैं, तो कुछ खुलेआम मोहम्मद अली जिन्ना का फोटो लगाने की जिद्दें कर उसे देशभक्त साबित करने से बाज नहीं आते, जो न सिर्प पाकिस्तान का जनक था, वरन सीधी कार्रवाई का ऐलान कर हिन्दुओं का कत्ल-ए-आम कराने को उकसाने को दोषी भी था। अपने देश ये हालात एक वर्ग विशेष के वोट के लालच में अंधे बने राजनेताओं तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के फर्जी पैरोकारों के कारण हुआ है। इसीलिए कन्हैया कुमार ने अपने के खिलाफ दाखिल आरोपत्र पर बड़ी बेशर्मी से यह कह कर बचाव कर है कि यह आरोप पत्र राजनीति पेरित है जो लोकसभा के चुनाव होने के समय लाया गया है। वह चाहता है कि आरोप तय किए जाएं, ताकि ट्रायल पक्रिया तेज की जाए और सच सामने आए। यही सारी बातें अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, महबूबा मुफ्ती कह रही हैं।

महबूबा तो कन्हैया कुमार और उसके साथियों पर लगे आरोपों को झु"लाते हुए उनके साथ पूरी हमदर्दी जता रही हैं। उनका तो यहां तक कहना कि कश्मीर के आतंकवादी असली भूमिपुत्र हैं। फिर इस सत्ता के पलोभन कोई भी राजनीतिक उनके बयान के खिलाफ जुबान खोलने को तैयार नहीं है। महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी तथा डॉ. फारुक अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस की राजनीति अलगाववाद और पाकिस्तानपरस्ती बुनियाद पर खड़ी है,जो जम्मू-कश्मीर को `दारुल इस्लाम' बनाना चाहते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि अपने को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी की जंग लड़ने वाली पार्टी कांग्रेस भी अब सत्ता पाने के लिए खुद को पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, ओवैसी की एआईएमआईएम की जमात में खड़े होने में शर्म में महसूस नहीं कर रही है। क्या कांग्रेस और दूसरी सियासी पार्टियों को बार-बार यह बताना जरूरी है कि कन्हैया कुमार और उसके साथी कैसी विशाक्त विचारधारा रखते हैं, जो लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद पर हमला कराने की साजिश रचने वाले अफजल गुरु को अपना आदर्श मानते हैं। अगर हमले के वक्त सुरक्षा पहरियों ने अपने पाणों की बाजी लगाकर उसे विफल नहीं किया होता, तो उस दशा में सभी सियासी पार्टियों के कितने सांसद मारे जाते है? कहा नहीं जा सकता।

एक सवाल देश के राजनीतिक दलों से हैं कि क्या वे भाजपा और पधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंध विरोध करते-करते देशद्रोहियों की हिमायत नहीं उतर आए हैं? अगर ऐसा नहीं हैं, तो ये सभी अपनी गंदी राजनीति के चलते कन्हैया कुमार और उसके साथियों के उस गंभीरतम अपराध को भूल कैसे भूल गए, जिसे लेकर अब आरोप पत्र दाखिल किया गया है। देश की संसद पर हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी अफजल गुरु की 9 फरवरी, 2016 को बरसी पर इन सभी ने जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसके विश्वविद्यालय से अनुमति भी नहीं ली गई। इस अवसर पर कन्हैया कुमार ने भीड़ का नेतृत्व करते हुए उसे उकसाने के लिए देश विरोधी नारे लगवाए और बाकी ने उनका पूरा साथ दिया था।

ये नारे थेö`भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह... कश्मीर मांगे आजादी..., हम लेके रहेंगे कश्मीर की आजादी..., कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी..., मणिपुर मांगे आजादी..., भारत को एक झटका और दो..., भारत को एक रगड़ा और दो..., अफजल हम शर्मिदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं, तुम कितने अफजल मारोगो, हर घर में अफजल पैदा होगा, भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी..., जंग चलेगी, पाकिस्तान जिन्दाबाद, कश्मीरियों संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं आदि-आदि। अब इस मामले से संबंधित आरोप पत्र में कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 छात्रों के नाम शामिल हैं इनके अलावा 7 कश्मीरी छात्रों में मुजीब हुसैन, आकिब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईस रसूल, बशरत अली, खालिद बशीर बट के नाम हैं। इनके सिवाय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता डी. राजा की बेटी अपराजिता, तत्कालीन छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद, रमा नाग, आशुतोष कुमार, बन ज्योत्सना लाहिड़ी समेत 36 छात्रों के नाम आरोप पत्र के कॉलम नम्बर 12 में हैं, क्योंकि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नही हैं, किन्तु ये बेकसूर कतई नहीं हैं। वैसे उक्त मामले की रिपोर्ट 11 फरवरी, 2016 को दिल्ली के बसंत पुंज थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ सांसद महेश गिरि तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दर्ज कराई थी। इस मामले की जांच में कोई तीन साल लगे। इस बीच कन्हैया कुमार और उसके साथी भारतीय कानून व्यवस्था का जी भरकर यह कहकर माखौल उड़ाते रहे कि देश में ऐसा कोई कानून नहीं, जो उन्हें अपराधी "हरा सके। लेकिन इस आरोप पत्र के बाद उन्हें और देश के बाकी दुश्मनों की समझ में आ जाएगा, देश से गद्दारी कर बच पाना अब आसान नहीं है।

Share it
Top