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अभी नहीं तो कभी नहीं, जो करना है बस कर डालिए

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:28 Jan 2019 3:53 PM GMT
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हरीश बड़थ्वाल

आप कर्म", जुझारू मिजाज के हैं या आरामपरस्त, यह आपके रूझान पर, और इस पर निर्भर करता है कि आप जिंदगी में क्या करना चाहते हैं, दुनिया से क्या चाहते हैं। जरूरी नहीं कि आप कुछ करें, जो कुछ करते धरते नहीं वक्त उनका भी गुजर जाता है, वे भी जिंदा रहते हैं। एक महकमे में ज्यादातर लोग दिन में पांच-सात मर्तबा कैंटीन चले जाते थे। जरूरी नहीं कि वे हर बार वहां जाकर चाय पिएं, बस यूं ही गपशप करने, संगी-साथियों का साथ निभाने! डनकी समस्या थी, वक्त कटे तो कैसे? हालांकि कुछ शख्स वो भी थे जो अमूनन अपने काम में व्यस्त रहते। यहां उन तौर-तरीकों का उल्लेख है जिनसे कार्य निर्धारित समयसीमा में निबटाए जा सकें।

पहली बात, वक्त कहने को किसी के पास नहीं। हकीकत यह है कि हर किसी के पास उस चीज के लिए वक्त है जो हम करना चाहें। चार साल के कक्षा के किसी बच्चे से पूछकर देख लीजिए, हाजिरजवाब होगा कि फुर्सत कतई नहीं है। धुन होगी तो अगला पचासों चीजों के अलावा और एक नया काम सहर्ष हाथ में लेगा और उसे पूरा करेगा। कोई वजह वे काम करना चाहते हैं, कर्म" वृत्ति के हैं। उनकी काम को लटकाने की फितरत नहीं होती, वे जानते हैं जो होना है उसे अभी करना होगा। जो व्यक्ति आप से कहे फलां काम कुछ दिनों में करुंगा तो समझ लीजिए वह काम लटकन-झटकन के बाद शायद पूरा हो जाए। और जो कहे फलां काम फिर कभी करुंगा तो जान लीजिए वह काम होगा ही नहीं।

काल पवाह में आपके पास सचमुच में जो है, जिस पर आपका नियंत्रण है, वह मौजूदा लमहा हैöवर्तमान। न गुजरा अतीत, न अनिश्चित भविष्य। अधिकांश व्यक्ति नाखुश, हताश-परेशान और खिसियाए इसलिए रहते हैं क्योंकि वे (1) अतीत के अपिय, अरुचिकर पसंगों की गां"s बना कर दिल में सहेजे रखते हैं या उनके विश्लेषण-मंथन में लगे रहते हैं जिनसे कुछ नहीं निकलता या (2) शेखचिल्ली ख्यालों, सब्जबागों में मग्न रहते हैं बजाय जो सामने है उससे सलटने में। नामी लेखक नेपोलियन हिल कहते हैं, वह खुशनुमां मौका कभी नहीं आएगा जिसकी बाट आप ताउम्र जोहते रहते हैं; इसलिए अब इंतजार न करें, शुरू हो जाएं। यह बताया जाता है कि अतीत के पसंगों में वे लोग डूबे रहते हैं जो मौजूदा हालातों से भयाकुल रहते हैं, उनका सामना नहीं करना चाहते। अतीत की जकड़न उन्हें वर्तमान लक्ष्यों पर केंद्रित नहीं करने देती। डरें नहीं कि अपने पयासों में आप असफल हो जाएंगे, पयास नहीं करने से जिस दुर्गत में गिरेंगे इस ख्याल से डरें। डेल कार्नेगी ने कहा, अकर्मण्या व्यक्ति के मन में संशय और भय पैदा करती है। इसके विपरीत कर्म"ता विश्वास और साहस का पादुर्भाव होता है।

माता-पिता जिस दौरान हमसे अलग पुराने मकान में रहते थे, उसके बाद भी, मेरी पत्नी जब सही मूड में होती तो अकसर सलाह देती थी, `अपने माता-पिता की खुशी और बेहतरी के लिए जो कुछ भी भला करना चाहते हैं अभी कर डालिए, आगे का कुछ नहीं पता। ऐसा न हो कि आपको मलाल रह जाए कि फलां-फलां नहीं किया, जो तुम्हें ताउम्र सालता रहे!' मुझे पॉलो कोएल्हो की उक्ति याद आईöएक दिन आपको अहसास होगा कि बरसों से मन में संजोए सपनों को साकार करने का वक्त ही खत्म हो गया है। याद करें, आपको कदाचित अफसोस हुआ होगा, काश फलां काम मैंने एक साल पहले शुरू कर दिया होता। अपने भोजन-पानी और रहने का इंतजाम तो निम्नतर कोटि के कीड़े-मकोड़े, छिपकली, मेंढक, तिलचट्टे जैसे जीव भी बाखूबी कर लेते हैं। कुछ "ाsस, उम्दा हासिल करने के लिए तो सांप के केंचुली बदलकर अतीत के बेतुके पकरण को दरकिनार कर नए संस्करण में आपको पेश होना पड़ेगा।

वर्तमान में जीते, आपका अपने लक्ष्य के करीब पहुंचना बहुतों को बर्दाश्त नहीं होगा। आपके वर्तमान से भयाकुल होकर वे आपको आपके पुराने, अविकसित संस्करण का आईना दिखाएंगे। और जब दुनिया आपका लोहा मानना शुरू करती है तो नकली दोस्तों और असल शत्रुओं की संख्या बढ़ेगी, किंतु आपको रुकना नहीं है। दोगलों से सतर्प रहें, उनके शब्दों को नहीं, व्यवहार को देखते रहें, वे जता देते हैं वे क्या हैं। आज का आपका संघर्ष कल की शक्ति बनेगा। इन दिनों चल रहे लोकपिय टीवी सीरियल `चाणक्य' में देखें, चंद्रगुप्त को चाणक्य द्वारा दी जाती दीक्षा में किन-किन मुश्किलों से जूझना पड़ता है। ध्यान रहे, पराजय विजय का आरंभिक, अस्थाई चरण है, आप अनेक बार पराजित हो सकते हैं। किंतु घुटने टेकने का अर्थ है सदा के लिए पराजित हो जाना।

मौजूदा लक्ष्यों से आपको भटकाने की कोशिश करने वाले अकसर इस पकार की बातें कहेंगेöफलां काम हो ही नहीं सकता, आज तक ऐसा काम नहीं हुआ; फलां-फलां इस काम को नहीं कर पाए। किंतु आपको पतिबद्ध रहना है चूंकि आज तक कोई यह नहीं कर पाया इसलिए तुम्हें करना है। फलां व्यक्ति इसे नहीं कर पाया, इसलिए तुम्हें यह करना है। स्वयं हाथ पांव न चलाने वालों की खास हॉबी है कि कर्म" व्यक्तियों की आलोचना के बहाने ढूंढते रहा जाए। वर्तमान में जी रहा व्यक्ति आश्वस्त रहता है कि जहां वह खड़ा है, जो भी साधन, संसाधन उसके पास मौजूद हैं, उन्हीं की मदद से वह शुरू हो जाता है।

वर्तमान में जो कुछ आपके पास है उससे शिकायत नहीं करें बल्कि इनमें आनंद तलाशें। छोटी, नाचीज लगती बातें बहुत मायने रखती हैं, यह अहसास देर में होता है। वर्तमान में जीते हुए कैसे भविष्य को निखारा जा सकता है, इस बाबत कुछ चीनी टिप इस पकार हैं। (1) अपनी राह चलते रहिए, आपकी चाल कैसी भी हो, बस आपको रुकना नहीं है। (2) अंधेरे को कोसने के एवज में एक दीपक जला दें। (3) बेहतरीन चीजें सहजता से या अनायास नहीं मिल जातीं, इन्हें पाने के लिए श्रम, सूझबूझ और धैर्य चाहिए (4) अपने औजारों को समय-समय पर धारदार बनाते रहें (5) हर शख्स से आप कुछ न कुछ सीख सकते हैं। वर्तमान की परिस्थितियों से इत्मीनान से निबटिए और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। यदि लक्ष्य दुष्कर पतीत हों तो लक्ष्य में या फिर तौर-तरीकों में तब्दील लों। बस घुटने नहीं टेकने हैं।

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