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झूठ के सहारे चुनाव जीतने की कांग्रेसी आकांक्षा

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:2 May 2019 3:42 PM GMT
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राजनाथ सिंह 'सूर्य'

लोकसभा चुनाव प्रचार अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। ज्यों-ज्यों मतदान की तिथि यह प्रचार की आंधी तीव्र होती गई। इस प्रकार प्रचार किया गया है इस पर टिप्पणी करते हुए एक टीवी चैनल के एंकर ने चर्चा में राम चरित मानस की एक चौपाई उद्धृत की है जो इस प्रकार है। 'झू"s लेना झू"s देना झू"s भोजन झू" चबैना।' कांग्रेस के प्रवक्ता ने यह चौपाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्यों पर कटाक्ष करते हुए किया है। उन्हें यह नहीं मालूम था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा की गई टिप्पणियां चौकीदार चोर है ऐसा प्रचार करने के कारण उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में तलब किया जाएगा। इसमें उन्हें खेद प्रकट करने के बजाय लिखित रूप से माफी मांगने का आदेश दिया। एक और कहावत है 'गब्बर चोर सेंध में गावै' वैसे तो एक और भी कहावत है कांग्रेस पर लागू होती है बेशर्म की पी" पर पेड़ उगे। छांव-छांव। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लिखित माफी मांगने के आदेश का पालन करते हुए लिखित माफीनामा सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश के बावजूद कांग्रेस की अभिव्यक्ति ने कोई परिवर्तन नहीं हुआ। उसकी इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए एक व्यक्तिगत ऐसे लोगों को थेथर की संज्ञा प्रदान किया। थेथर का तात्पर्य बोलचाल की भाषा में उस आचरण का उल्लेख करने के लिए जिसका तात्पर्य चाहे जितना विपरीत असर पड़े ऐसा व्यक्ति अपने कथन से बाज नहीं आता।

किसी भी चुनाव में विपक्षी की कमजोरियों की चर्चा से अपना पक्ष प्रबल बना लेने के लिए अभिव्यक्ति की जाती रही। अभिव्यक्तियों में संयम और शालीनता और सबसे अच्छा उदाहरण डॉ. राम मनोहर लोहिया और जवाहर लाल नेहरू के बीच चले बाणों को उदाहरण के तौर पर पेश कर सकते हैं। आम चुनाव में प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए उसकी जन्म कुंडली को ही नहीं अपितु उसके खानदान की जन्म कुंडली को उजागर के अपना पक्ष रखने की परंपरा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सहज रूप से किया जाता रहा है। भारत सरकार से वादों के मुताबिक काम न कर पाने का भी उल्लेख होता रहा है। सबसे बहुदलीय चुनाव का स्वरूप इस प्रकार के लेखों की भरमार होती गई है। लेकिन चुनाव की शालीनता इस कारण बनी रही क्योंकि सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच नेताओं पर अशोभनीय टिप्पणी नहीं की जा सकती है। बिना तथ्य के बोलने पर रोक भी लगाई गई। यह "ाrक है कि 1952 के आम चुनाव से लेकर ऐसी तल्ख टिप्पणी नहीं हुईं। विशेषकर प्रधानमंत्री जैसे पद धारण करने वाले व्यक्ति के संदर्भ में। 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव के समय से नरेंद्र मोदी के प्रति लग अनपढ़ गंवार, अल्पसंख्यकों का हत्यारा नीच आदमी की संज्ञा प्रदान करने के बाद संतोष नहीं हुआ। चौकीदार चोर है ऐसा कहकर नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी को बदनाम करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। इसके बावजूद वह भयभीत नहीं हुए। उन्हें यहां तक कह डाला चौकीदार चोर है तो वह सर्वेच्च न्यायालय में पग समर्थन की गुहार ऐसी अभिव्यक्ति में लिखित रूप से करनी पड़ी। इससे पहले वह राफेल खरीद मामले में गोपनीयता नहीं रखनी चाहिए का पक्ष रखते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति का सहमति का जैसा उल्लेख किया है वह किसी देश का अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को तल्ख बनाने के लिए या निक्रस्ट पर कांग्रेस अध्यक्ष और उनके सहयोगी रहे किया गया प्रचार पग-पग पर मुंह की खानी में बदलाव नहीं आया। एक अजीब-सी बात है कि इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी का गाली पब जारी है। संसद और उसके बाहर चौकीदार चोर है और राफेल डील में अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपए दिए।

राफेल के मामले में फ्रांसीसी सरकार यहां तक कि अप्रैल में सेनाध्यक्ष द्वारा दिए किसी अखबार में प्रकाशित लेख को अधिक भरोसा दिखाया। राहुल गांधी सत्ता में आने पर नरेंद्र मोदी और उनके तमाम सहयोगियों को झू"ा बताते हुए सत्ता में आने पर दंडित करने का शोशा नहीं छोड़ा। जबकि घपलेबाजी के मामले में अपनी माता समेत स्वयं जमानत पर चल रहे हैं और बहनोई के जेल जाने के रास्ते में उनकी एंटी सिक्योरिटी वेल का सहारा ले रहे हैं। हर एक कांग्रेसी नेताओं और पूर्व मुख्यमंत्री को घपलेबाजी के आरोप में जेल के दरवाजे खुल गए हैं। उनको जिन दलों से चुनाव के बाद साथ देने की अपेक्षा है उनकी अभिव्यक्तियों से ऐसा लगता है मां-बेटे दोनों के संबंध में उनकी क्या राय है। ज्यों-ज्यों चुनाव अंतिम दौर की ओर बढ़ रहा है कांग्रेस का विश्वास भी बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस के देश की प्रशासनिक व्यवस्था व संवैधानिक संस्थाओं में अविश्वास सघन होता जा रहा है। शुरुआती दौर में जहां सेना के का आरोप लगाया गया वह सभी गैर सरकारी संस्था सीबीआई ने लेखा निरीक्षक और चुनाव आयोग पर झू" और फरेब का आरोप लगाकर ढोल पीटने की कोशिश की और सर्वोच्च न्यायालय तक को झू"ा साबित करने की कोशिश की। वह अभी बंद नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री के प्रति तथ्यहीन के सहारे घेरने के प्रयास एक के बाद एक निरर्थक साबित हुए हैं। लेकिन कांग्रेस झू" के सहारे अफवाहें फैलाकर नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने की हर कोशिश के बाद उनकी छवि में और भी निखार आता जा रहा है। सर्वोच्च्च न्यायालय द्वारा अवमानना के आरोपों का संज्ञान और राहुल इस संबंध में सही के लिखित रूप से नरेंद्र मोदी अवमाननापूर्ण नहीं पाएगा। इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सघन चुनाव प्रचार चल रहा है। इसकी कोई आवश्यकता नहीं है ऐसा लोग कहते हैं। क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी से अधिक राहुल गांधी भाजपा के लिए मार्ग सुलभ और सरल बनता दिखाई पड़ता है। और हद तक यह सही भी है। संविधान के खिलाफ छेड़छाड़ और उसको बदल करने का आरोप कांग्रेस और उनके साथी लगा रहे हैं। स्वयं भी घिरते जा रहे हैं। चुनाव अब निर्णायक दौर में है। प्रधानमंत्री ने इस चुनाव को नामदार भ्रष्टाचार के बीच संघर्ष के रूप में देखा है। दोनों तरफ से चलाए गए अभियान की सार्थकता से चुनाव परिणाम आने पर स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन फिलहाल इसका एक परिणाम तो हुआ ही है देश में मोदी की सार्थकता दिन प्रतिदिन और भी पै" बनाती जा रही है। कांग्रेस का झू" अभियान चलाने का जो परिणाम पहले हो चुका है उस परिणाम का संज्ञान लेने के लिए कांग्रेस अभी तैयार नहीं है।

(लेखक राज्यसभा के पूर्व सदस्य हैं।)

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