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विश्वसनीयता ने बनाया मोदी को विजेता

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:23 May 2019 6:35 PM GMT
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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही भाजपा सरकार को जनादेश मिला। यह तय हुआ कि मोदी की विश्वसनीयता और लोकप्रियता शिखर पर है। पूरा विपक्ष मिल कर भी वहां तक पहुचने की फिलहाल कल्पना नहीं कर सकता। ऐसा भी नहीं विपक्षी दिग्गजों को इसका अहसास नहीं था। इसीलिए उन्होंने अपनी नाकामी छिपाने के लिए ईवीएम राग शुरू कर दिया था। खासतौर पर कांग्रेस और तेलुगूदेशम पार्टी के नेताओं की सािढयता देखते बनती थी। जिस समय नरेंद्र मोदी जी जान से रैलियां करने में व्यस्त थे, चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में ईवीएम पर हमला बोलने का अभियान चल रहा था। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट में इनकी सभी दलील खारिज हुई, इसके बाद भी इन्होंने अपना अभियान जारी रखा। अंतिम चरण के मतदान से पहले चंद्रबाबू नायडू का दर-दर भटकना यही जाहिर कर रहा था।

वह विपक्षी नेताओं से मिलने के लिए भाग रहे थे। कहा गया कि भाजपा को रोकने के लिए सभी विपक्षियों को एक कर रहे है। लेकिन अब खुलासा हुआ कि वह ईवीएम वीरोधी अभियान के लिए समर्थन हासिल करने के लिए बेकरार थे। इस तरह विपक्ष ने आखिरी चरण के मतदान से पहले अपनी हार मान ली थी। यह सभी विपक्षी नेता बहुत अनुभवी है, इन्होंने जमीनी सच्चाई का अनुमान लगा लिया था। यह समझ चुके थे कि सभी विपक्षी एकजुट हो जाएं तब भी मोदी को पछाड़ना मुमकिन नहीं है। इसीलिए चुनाव पूर्व गठबंधन में भी खास उत्साह नहीं दिखाया गया। यह जानते थे कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने खासतौर पर गरीबों के लिए जो योजनाएं लागू की, उसका फायदा भाजपा को मिलेगा। देश की बड़ी आबादी तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचा है। आयुष्मान योजना से ही पचास करोड़ लोग लाभान्वित होंगे, तीस करोड़ जनधन कहते खुले, जिन्होंने आजादी के बाद बैंक का मुंह नहीं देखा था, वह छोटी छोड़ी बचत करके अपना धन सुरक्षित रखने लगे, सब्सिडी व अन्य योजनाओं का लाभ सीधे बैंक तक पहुंचने लगा। इससे हजारों करोड़ रुपए की बचत हुई।

सात करोड़ लोगों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिले, लाखों की संख्या में प्रधानमंत्री निर्धन आवास बने, बिजली व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार हुआ, चार करोड़ लोगों ने पहली बार मुद्रा बैंक से लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया। वैश्विक रैंकिंग में भारत ने अभूतपूर्व उछाल दर्ज की, सड़को व रेल लाइन बिछाने की गति पिछली सरकार के मुकाबले दु गुनी रही। केंद्र सरकार पर घोटाले का आरोप नहीं लगा। राहुल गांधी चिल्लाते रहे, लेकिन उनकी बात को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया।

भाजपा यह विश्वास दिलाने में सफल रही कि पांच वर्षो में मजबूत, निर्णायक, पारदर्शी एवं संवेदनशील सरकार चलाई गई है। इस अवधि में पचास से अधिक अभूतपूर्व योजनाएं लागू की गई। सरकार गरीबों के प्रति समर्पित रही है। सबका साथ सबका विकास उसका उद्देश्य रहा है। अमित शाह ने विश्वास व्यक्त किया था कि जनादेश से पुन नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे। दो हजार बाइस में देश स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष पूरे करेगा। भाजपा के संकल्प पत्र में पचहत्तर तथ्य इसी संदर्भ में थे नरेंद्र मोदी ने बताया था कि आठ करोड़ लोग ऐसे निकाले जो फर्जी थे, और आर्थिक लाभ उठा रहे थे। एक करोड़ पन्द्रह लाख करोड़ रकम चोरी होती थी। उनकी सरकार ने आधार को सही ढंग से लागू करके इसे रोक दिया। नियम डीबीटी कारण एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम बच गई। इस प्रकार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के चौकीदार होने से देश को होने वाले लाभ बताए। लाखों करोड़ रुपए की चोरी केवल इस भावना से रुक गई।

यूपीए सरकार के अंतिम चरण में उनके वित्त मंत्री ने कहा था कि हमें गर्व है कि हम दुनिया की ग्यारहवीं ग्यारहवीं अर्थव्यवस्था में हैं, जबकि वर्तमान सरकार के पांच वर्ष में भारत विश्व की छठी शीर्ष अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। पांच वर्षों में किसानों के कल्याण की अनेक योजनाएं शुरू की गई, जिससे दो हजार बाइस तक उनकी आय को दोगुनी हो सकेगी। अब तक देश के एक करोड़ एक लाख किसानों के बकि खातों में पहली किश्त ट्रांसफर हो चुकी है। इन किसानों को दो हजार इक्कीस करोड़ रुपए अभी ट्रांसफर किए गए हैं। करोड़ों पशुपालकों, दूध के व्यवसाय से जुड़े किसान परिवारों और मत्स्य पालन और उसके व्यवसाय से जुड़े लोगों को किसान केडिट कार्ड की सुविधा जोड़ा गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ही करीब एक लाख करोड़ रुपए खर्च कर रही है। जिससे तीन चार दशक से लंबित सभी परियोजनाएं पूरी होंगी। देश की निन्यानवे ऐसी परियोजनाएं चुनी थीं, इनमें से सत्तर से ज्यादा पूरी होने की स्थिति में आ गई हैं। यह वो काम है जो किसानों की आने वाले कई पीढ़ियों को लाभ देने वाला है। आयुष्मान योजना भी अभूतपूर्व रही। सामाजिक क्षेत्र में यह अपने ढंग की सबसे बड़ी योजना है। विश्व में इसकी बराबरी की दूसरी कोई योजना नहीं है। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण व्यक्त किया। यह राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की अवधारणा है। पार्टी का स्थान इसके बाद ही है। किसानों को प्रतिवर्ष छह हजार रुपए का लाभ मिलेगा। आतंकवाद के समाप्त होने तक इसके प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी। इसी क्रम में अवैध घुसपैठ को सख्ती से रोका जाएगा। इसके लिए नागरिकता रजिस्ट्रेशन का कार्य रोका नहीं जाएगा। नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद से पारित कराया जाएगा। संविधान के अनुच्छेद तीन सौ सत्तर व 35ए के प्रति भाजपा का पुराना रुख कायम है। 35ए पर न्यायपालिका में सरकार अपना विचार व्यक्त भी कर चुकी है। विदेशों में भारत की साख बढ़ी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान के लिए प्रयास तेज किए जाएंगे। समान नागरिकता लागू करने और राम मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। किसी राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचना पर आंच नहीं आने दी जाएगी। सभी छोटे और सीमांत किसानों व छोटे व्यापारियों को साठ वर्ष के बाद पेंशन की सुविधा दी जाएगी। प्रत्येक परिवार के लिए पक्के मकान और अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जाएंगे। कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने के लिए पच्चीस लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा, देश के सभी किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ।

पचास शहरों में एक मजबूत मेट्रो भारतमाला के तहत सड़को का जाल बिछाया जाएगा। एक लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों में टेलीमेडिसिन और डायग्नोस्टिक लैब सुवाधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज या परास्नातक मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा। सभी जमीनी रिकॉर्ड को डिजिटल किया जाएगा। पचहत्तर मेडिकल कॉलेज, विश्वविद्यालय खोले जाएंगे। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया जाएगा। जाहिर है कि भाजपा ने अव्यवहारिक वादे नहीं किये है। उनकी किसी योजना के बारे में यह सवाल नहीं उठ सकता को इसके लिए धन कहां से आएगा। कांग्रेस को भी राहुल गांधी के प्रभाव में चली यूपीए सरकार के दस वर्षों की गति बतानी चाहिए थी। सड़क, रेल लाइन, गरीबों के बैंक खाते, आधार, अधूरी पड़ी लाखों करोड़ रुपए की योजनाओं पर कार्य करने का रिकार्ड मोदी सरकार ने बनाया है। पचास करोड़ गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास किया गया। सात करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन, ढाई करोड़ लोगों को घर बनाकर दिए गए। इन्हीं आधार पर भाजपा ने पुन जनादेश मिलने का विश्वास दिखाया है।

एक तरफ नरेंद्र मोदी लगातार ईमानदारी और नेकनीयत से कार्य मे लगे थे, दूसरी तरफ विपक्ष आमजन को प्रभावित करने वाला कोई मुद्दा नहीं उठा सका, उसने जो मुद्दे उठाए उन्हें अंजाम तक ले जाने में विपक्ष को सफलता नहीं मिली। यूपीए सरकार घोटालों के कारण बदनाम हुई थी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को ऐसे ही बदनाम करने का बीड़ा उठाया। लेकिन उनके प्रत्येक हमले का उल्टा ही असर हुआ।

यहां तक कि उन्हें अपने कथन के लिए सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी। मोदी पर हमला बोलने के चक्कर में राहुल ने अपने को ही अविश्वसनीय बना लिया। सुप्रीम कोर्ट का नाम लेकर चौकीदार को चोर बताने पर राहुल गांधी को अवमानना का सामना करना पड़ा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दो बार खेद व्यक्त किया। जाहिर है कि नरेंद्र मोदी को अपने कार्यों के साथ ही राहुल गांधी के बयानों का भी लाभ मिला।

(लेखक विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में राजनीति के एसोसिएट पोफेसर हैं।)

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