Home » द्रष्टीकोण » क्या बैंकों में भी अब 'सेफ' नहीं है पैसा

क्या बैंकों में भी अब 'सेफ' नहीं है पैसा

👤 Veer Arjun | Updated on:30 Sep 2019 7:13 AM GMT

क्या बैंकों में भी अब सेफ नहीं है पैसा

Share Post

-आदित्य नरेन्द्र

आरबीआईं को चाहिए कि वह बैंकों में अनियमितताओं की घटनाओं को देखते हुए अपने नियम और कड़े व स्पष्ट करे ताकि लोगों का बैंकिग व्यवस्था पर भरोसा बरकरार रहे।

लगभग पांच दशक पूर्व तत्कालीन प्राधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था उस समय किसी ने यह कल्पना भी नहीं की होगी कि आगे चलकर हमें बैंकों में हजारों करोड़ की अनियमितताएं भी सुनने को मिल सकती है। बैंकों को पैसा रखने के लिए सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक माना जाता है लेकिन पिछले वुछ समय से वुछ बैंकों में एनपीए बढ़ने की जो खबरें आ रही हैं उनसे छोटे जमाकर्ताओं की पेशानी पर बल पड़ने शुरू हो गए हैं। वह सोचने लगे हैं कि क्या पता कब किस बैंक को लेकर बुरी खबर आ जाए।

उन्हें लगने लगा है कि अब बैंक में भी उनका पैसा सेफ नहीं है। हालांकि यह अलग बात है कि सरकार, आरबीआईं और बैंक अथारिटी की ओर से समयसम य पर उन्हें आश्वस्त किया जाता रहा है कि बैंकों में उनकी जमापूंजी सुरक्षित है। अभी लोग विजय माल्या, मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की कारगुजारियों को भूल भी नहीं पाए थे कि पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) में अनियमितता की खबरें मीडिया की सुखा बनने लगी।

पीएमसी बैंक कोईं छोटा बैंक नहीं है।

35 साल पहले 13 फरवरी 1984 को स्थापित इस बैंक की सात राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, गुजरात, गोवा, आंध्रप्रादेश और मध्यप्रादेश में 137 शाखाएं हैं। इस बैंक की गिनती देश के अग्राणी 10 सहकारी बैंकों में की जाती है। इस बैंक को वर्ष 2000 में शेड्युल्ड स्टेट्स का दर्जा भी मिल चुका है। बैंक में ग्राहकों के 11,600 करोड़ रुपए जमा हैं जबकि बैंक ने 8,300 करोड़ रुपए का कर्ज दिया है। आरबीआईं की गाइडलाइंस के अनुसार बैंक किसी वंपनी या व्यक्ति को एक तय सीमा से ज्यादा लोन जारी नहीं कर सकता। आरोप है कि पीएमसी बैंक ने अपने ग्राहक एचडीआईंएल के लिए यह सीमा तोड़ दी। इस बीच बैंक के कईं खाताधारकों ने बैंक अधिकारियों के खिलाफ जनता के धन का गबन करने की सामूहिक शिकायत दर्ज कराईं है। आरबीआईं ने भी तुरन्त कदम उठाते हुए बैंकिग रेगुलेशन की धारा 35ए के सेक्शन एक के तहत कड़ी कार्रवाईं करते हुए बैंक पर कईं तरह की रोक लगा दी है। अब यह बैंक किसी ग्राहक को नया लोन जारी नहीं कर सकता है और न ही कोईं खाताधारक आदेश के छह महीने तक अपने खाते में से 10 हजार रुपए से ज्यादा निकाल सकता है। यदि किसी जमाकर्ता ने किसी कर्जदार की गारंटी ली हुईं है तो उसे अपने खाते से 10 हजार रुपए निकालने की छूट नहीं होगी। बैंक को अगले आदेश तक नियंत्रण के दायरे में रहकर ही अपना कारोबार करना होगा।

आरबीआईं की इस कार्रवाईं के जवाब में पीएमसी बैंक के एमडी रहे जॉय थामस ने कहा है कि उन्होंने एचडीआईंएल को पहले से दिया गया लोन वापस निकालने के इरादे से ही दूसरा लोन दिया था।

उनका कहना है कि सभी का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। हमारे पास पर्यांप्त नकदी है। यहां सवाल नकदी होने या न होने का नहीं है बल्कि यह है कि पंसा हुआ लोन निकालने के नाम पर डूबते हुए कर्जदारों को फिर से नया लोन क्यों दे दिया जाता है। छोटे और मध्यमवगाय जमाकर्ता किसी भी बैंक की रीढ़ होती है। यदि बैंक उनका विश्वास खो देंगे तो बैंकिग व्यवस्था के लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। यह सही है कि बैंकों में खाताधारकों की एक लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित है क्योंकि हरेक खाताधारक की एक लाख रुपए की राशि का बीमा होता है। यदि आपकी एक लाख रुपए भी ज्यादा राशि बैंक में जमा है तो भी आपको एक लाख रुपए ही मिलेंेगे। लेकिन जो लोग बैंक में अपनी जिन्दगीभर की जमापूंजी को यह सोचकर जमा करा देते हैं कि इसके ब्याज से अपना बुढ़ापा काट लेंगे तो ऐसी खबरों से उनकी घबराहट का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में आरबीआईं को चाहिए कि वह बैंकों में अनियमितताओं की घटनाओं को देखते हुए अपने नियम और कड़े व स्पष्ट करे ताकि लोगों का बैंकिग व्यवस्था पर भरोसा बरकरार रहे।


Share it
Top