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उप स्थापना दिवस' सभी जिलों में हो
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श्याम कुमार
राष्ट्रपति द्वारा पतिवर्ष जिन लोगों को `पद्म' सम्मान से विभूषित किया जाता है, उनमें जो लोग उत्तर पदेश के निवासी हैं, उनका लखनऊ के राजभवन में अभिनंदन किए जाने की परंपरा पदेश के राज्यपाल राम नाईक ने शुरू की थी तथा उनके उक्त पयास की बहुत सराहना हुई थी। राम नाईक महाराष्ट्र के हैं, लेकिन उत्तर पदेश उनके मन में बस गया है तथा पदेश में उन्हें भी अपार लोकपियता पाप्त है। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी उपर्युक्त सम्मान आयोजन राजभवन में सम्पन्न हुआ, जिसमें डॉ. मुरली मनोहर जोशी भी मौजूद थे, जिन्हें `पद्मविभूषण' अलंकरण पाप्त हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आयोजन में विशेष रूप से उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि पदेश सरकार ने पतिवर्ष 24 जनवरी को वृहत पैमाने पर `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' मनाने का निर्णय किया है। राजभवन में कार्यक्रम की समाप्ति पर जलपान के समय मैंने राम नाईक से कहा कि योगी जी को यह तो बता दीजिए कि `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' की नींव मैंने डाली थी तथा मैं विगत 32 वर्षों से यह कार्यक्रम कर रहा हूं। इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहाö`चिंता न कीजिए, पदेश सरकार बड़े पैमाने पर यह आयोजन करेगी।'
32 वर्ष पूर्व मैंने `रंगभारती' एवं `भारतीय नागरिक परिषद' (उत्तर पदेश नागरिक परिषद) के तत्वावधान में उत्तर पदेश की वर्षगां" मनाने की शुरुआत इलाहाबाद में `उप स्थापना दिवस' के रूप में की थी। आयोजन मनाने का कारण मात्र इतना था कि मेरे मन में अपने पदेश के लिए अगाध पेम है। आरंभ से मेरी मान्यता रही है कि उत्तर पदेश भारतीय संस्कृति का पूर्ण पतिबिंब है। हिन्दू धर्म के मूल आधार राम व कृष्ण की यह धरती है। स्वयं उत्तर पदेश कई रंगों से युक्त इंद्रधनुष के समान है, जिसमें पूर्वी, पश्चिमी, अवधी, ब्रज, रुहेलखंड, बुंदेलखंड आदि विविध रंग सुशोभित हैं। उत्तर पदेश विधानसभा में यह इंद्रधनुष पूरी तरह खिल उ"ता है। पहले पर्वतीय क्षेत्र का रंग भी इसमें शामिल था, जो उत्तराखंड पृथप् राज्य बन जाने से कम हो गया है। उत्तर पदेश की एक और विशेषता यह है कि यहां क्षेत्रीयता की भावना बिल्कुल नहीं है। यहां के वासी देश के किसी भी हिस्से के लोगों को सहोदर के रूप में अपने यहां सम्मान देते हैं। यही कारण है कि राज्यपाल राम नाईक ने अपने हृदय में उत्तर पदेश को बसा लिया है तो उत्तर पदेश ने भी अपने हृदय में उन्हें आसीन कर लिया है। राम नाईक उत्तर पदेश के कल्याण एवं विकास के लिए हमेशा पयत्नशील रहते हैं तो यह पदेश भी उनके अहसानों को कभी नहीं भूल सकेगा।
32 वर्ष पूर्व 24 जनवरी को इलाहाबाद में परीभवन के केसर कक्ष में मैंने पहला `उप स्थापना दिवस' आयोजित किया था, जिसमें हिन्दी की महान साहित्यकार महामहीयसी महादेवी वर्मा मुख्य अतिथि थीं तथा न्यायमूर्ति हरिश्चंद्रपति त्रिपा"ाr ने अध्यक्षता की थी। दोनों हमारी `रंगभारती' संस्था के सदस्य थे। चूंकि हमारे पास बहुत अधिक संसाधन नहीं थे, इसलिए हम पतिवर्ष लघु रूप में `उप स्थापना दिवस' का आयोजन करने लगे। बाद में जब `रंगभारती' का मुख्यालय इलाहाबाद से लखनऊ हो गया तो हम वह आयोजन भी लखनऊ ले आए। चूंकि हमारे पास संसाधन बहुत सीमित थे तथा हमारी चंदा इकट्ठा करने की पवृत्ति नहीं थी, इसलिए हमने बहुत पयास किया कि पदेश सरकार `उप स्थापना दिवस' आयोजन में किसी रूप में समुचित मदद करे। किन्तु हमारा पयास निष्फल रहा। मायावती तो उत्तर पदेश का विभाजन करना चाहती थीं, इसलिए उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में किसी सहयोग की आशा नहीं की जा सकती थी। लेकिन उत्तर पदेश की अखंडता के पक्षधर मुलायम सिंह यादव एवं उनके पुत्र अखिलेश यादव ने भी सपा सरकार से कोई सहयोग नहीं पदान किया। जब राम नाईक उत्तर पदेश के राज्यपाल होकर आए तथा मैं उन्हें `उप स्थापना दिवस' आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने गया तो वह सहर्ष तैयार हो गए, किन्तु उन्होंने यह आश्चर्य व्यक्त किया कि पदेश सरकार इतना महत्वपूर्ण आयोजन नहीं करती। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि पदेश सरकार `उप स्थापना दिवस' आयोजित करे। किन्तु अखिलेश यादव ने आश्वासन देने के बावजूद राज्यपाल का सुझाव नहीं पूरा किया। बाद में मुझे पता लगा कि उन्हें आजम खान ने यह कहकर मना कर दिया था कि वैसा करने पर आयोजन का श्रेय भारतीय जनता पार्टी को मिल जाएगा। राज्यपाल हमारे आयोजन में पधारते रहे, किन्तु मुलायम सिंह यादव एवं अखिलेश यादव ने आयोजन में आने तक का कष्ट नहीं किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि `उप स्थापना दिवस' आयोजन को केवल राजधानी लखनऊ में सीमित न करें, बल्कि उक्त कार्यक्रम पूरे पदेश में आयोजित करें। आयोजन का मूल उद्देश्य यह होना चाहिए कि उत्तर पदेश की अखंडता एवं एकता की भावना को बल पदान किया जाए तथा पदेश के विभाजन की मांग करने वाले विघटनकारी तत्व हतोत्साहित हों। विभाजन होने से उत्तर पदेश का विश्वव्यापी महत्व नष्ट हो जाएगा। उत्तर पदेश सरकार को चाहिए कि पतिवर्ष उत्तर पदेश के पत्येक जनपद में भी स्थापना दिवस का आयोजन किए जाने का आदेश दें। जिलाधिकारियों को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए कि अपने-अपने जनपद में धूमधाम से पदेश की वर्षगां" मनाएं। मेरा सुझाव यह है कि `उप स्थापना दिवस' गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस की तरह पदेश की पत्येक तहसील की पखंड में भी आयोजित होना चाहिए तथा अन्य विभिन्न कार्यालयों एवं सभी शिक्षण संस्थाओं में भी उक्त कार्यक्रम हो। इससे पदेश की अखंडता व एकता की भावना को बहुत बल मिलेगा। पत्येक आयोजन में यह शपथ दिलाई जानी चाहिएö`हम शपथ लेते हैं कि देश की अखंडता के अनुरूप उत्तर पदेश की भी अखंडता की रक्षा करेंगे तथा क्षेत्रीयता आदि की संकीर्ण भावना से मुक्त रहकर सदैव आपसी भाईचारे को बढ़ावा देंगे और देश व पदेश के विकास में सहभागी होंगे।' राजधानी लखनऊ एवं समस्त जनपदों में महत्वपूर्ण स्थानों पर उत्तर पदेश का विशाल मानचित्र स्थापित किया जाना चाहिए। राष्ट्रीयता की भावना को बल देने वाली `उप स्थापना दिवस' नाम से विभिन्न खेल पतियोगिताएं होनी चाहिए। अन्य अनेक पयास किए जा सकते हैं।
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