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फिरकापरस्ती की आग में कब तक जलेगा पश्चिम बंगाल?

👤 admin5 | Updated on:15 July 2017 3:52 PM GMT
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डॉ.बचन सिंह सिकरवार

पश्चिम बंगाल की सरकार एक बार फिर उत्तर चौबीस परगाना जिले के मुस्लिम बहुल बादड़िया और बशीरहाट को एक बार फिर फिरकापरस्ती की आग में जलने से बचाने में नाकाम रही है जिसमें एक युवक की मौत के साथ करोड़ों की सम्पत्ति स्वाहा हो गई। हर बार की तरह सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने में इस बार भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देर कर दी। अब उन्होंने यहां के पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण के साथ ही इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए हैं। इस दौरान भाजपा समेत दूसरे राजनीतिक दलों के नेताओं के दंगाग्रस्त क्षेत्रों में जाने पर रोक लगा दी, जो दंगा पीड़ितों से मिलने जाना चाहते थे। इस बीच भाजपा के कुछ नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के साथ-साथ फर्जी वीडियो इंटरनेट पर डाल कर दंगा भड़काने के आरोप भी लग रहे हें। वैसे इस दंगे में घायल सत्तरह वर्षीय कार्तिक चन्द घोष की उपचार के दौरान अस्पताल की मौत हो गई, जिसे मुस्लिमों की उन्मादी भीड़ ने बाजार में मरणासन्न कर दिया। उसका कसूर बस इतना था,क्योंकि जब भारत की हार पर पड़ोसी खुशियां मनाते थे, वह पाकिस्तान की हर पर पटाखे चलाता था। जो कट्टरपंथियों को नागवार लगता था। वे इसका उसे सबक सिखाना चाहते थे। सच्चाई यह है कि जहां ममता बनर्जी सत्ता में बने रहने के लिए अपने जनहित कार्यों के बजाय अंध अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति पर चल रही हैं, वहीं भाजपा उनकी इस नीति का उग्र विरोध कर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटी है। अब कथित सेक्यूलर राजनीतिक दलों के पवक्ता भाजपा के तेलंगाना के विधायक राजा सिंह के इस बयान को लेकर हमलावर हैं जिसमें उन्होंने गुजरात के हिन्दुओं की तरह बंगाली हिन्दुओं को दंगाइयों को सबक सिखाने का बयान दिया, किन्तु इनमें किसी ने मुस्लिम दंगाइयों द्वारा हरे झंडे लहराते हुए `आर्यों को हटाओ, अल्लाह हो अकबर, नारा-ए-तकबीर जैसे नारे लगाए जाने यानि हिन्दुओं को भगाओं जैसे फिरकापस्त नारे लगाए जाने की निंदा/आलोचना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। जो पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक बहुल जिलों में हिन्दुओं पर लगातर हमले कर कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को खदेड़े जाने की तरह यहां से हिन्दुओं को भगाने के ख्बाव देख रहे हैं। ऐसे में अपने-अपने राजनीतिक फायदों के इस तरह हथकंडे अपनाए जाने की इन राजनीतिक दलों की जितनी निंदा की जाए, वह कम ही होगी।
वैसे इस तरह की आग बार-बार भड़क उ"ने के लिए ममता बनर्जी स्वयं ही जिम्मेदार हैं जो उनकी फिरकापरस्त नीति के चलते हुए ही होते आए हें। इस बार सांप्रदायिक दंगे की शुरुआत गत एक जुलाई को तब हुई, जब एक सत्तरह वर्षीय किशोर ने फेसबुक पर पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ कुछ अभद्र टिप्पणी पोस्ट की। उसके पसारित होते ही इलाके में सांप्रदयिक तनाव व्याप्त हो गया। उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया, किन्तु कुछ लोगों ने पुलिस से उस किशोर को अपने हवाले करने की मांग को लेकर थाने को घेर लिया। ये लोग उसे शरीयत के मुताबिक सजा देने की मांग पर अड़ गए। इस मांग के न माने जाने पर ये लोग थाने पर पत्थराव और आगजनी करने लगे। उनका नारा था `आर्यों को यहां से हटाओ।' इसके बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने हिन्दुओं के मकानों और दुकानों, वाहनों को निशाना बनाते हुए तोड़फोड़ तथा आगजनी की। ज्यादातर जगहों पर पुलिस-पशासन तमाशबीन बना रहा है। इसका कारण भी ममता बनर्जी की मुस्लिमपरस्ती की नीति है। वह इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उ"ाना चाहती है। इसकी वजह से ये सांप्रदायिक तत्त्व तीन दिन खुलकर हिन्दुओं की सम्पत्ति जलाने के साथ ही उन्हें अपमानित करते रहे। बाद में बादुड़िया अर्द्ध सैन्यबल तैनात करना पड़ा, लेकिन बशीरहाट में सैन्य बल तैनात नहीं होने दी, जहां 150 से अधिक मकान-दुकान जला डालें। इस मामले को लेकर जब राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपा"ाr ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी, तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें भाजपा का तोता कहते हुए भड़क उ"ाR। यहां तक कि केंद्र से भी सीआरपीएफ की चार बटालियन तैनात करने से इंकार कर दिया। जहां देश के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुस्लिम वोट बैंक के चलते अपनी जुबान किए हुए हैं, वहीं क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद कैफ का यह ट्वीट कट्टरपंथियों को सबक सिखाने वाला है जिसमें उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ जो कुछ पोस्ट किया गया, उसकी तुलना में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब कहीं ज्यादा महान हें। इसके लिए देश की करोड़ रुपए की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना और हिंसा किया जाना उनकी शिक्षा के खिलाफ है। क्या इस्लाम के अनुयायी इससे कोई सीख लेंगे, जो मामूली बातों पर बेकसूरों की जान लेने पर उतर आते हैं।
जहां तक ममता बनर्जी की सरकार की बात है तो वह हिन्दुओं के उत्सवों, त्यौहारों आदि की तुलना में मुस्लिमों पर तरजीह देती आई है। जैसे गत 11 अपैल, 2017 को वीरभूमि हनुमान जयंती जुलूस निकाल रहे हनुभक्तों पर ला"ाrचार्ज कराया गया। वहीं वह कट्टरपंथियों के सरगना टीपू सुल्तान मस्जिद काशाही इमाम नुरुर रहमान बरकती पर ममता बनर्जी की विशेष ममता बरसती रही है, जो खुले आम पधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दाढ़ी मूंछ मुढ़ने वालों को पचास लाख रुपए का इनाम देने का ऐलान समेत समय-समय देश विरोधी भाषण देता आया है। मुसलमान कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए ममता बनर्जी ने कोलकाता में आयोजित बलूचचिस्तान पर होने वाले कार्यक्रम में इस्लामिक विद्वान तारिक फतेह के कार्यक्रम पर रोक लगा दी। इससे पहले बांग्लादेश की साहित्यकार तस्लीमा नसरीन की रचना पर आधारित धारावाहिक के पसारण पर रोक लगा दी, क्योंकि वे मुस्लिम कट्टपंथियों को सख्त नापसंद हें। उन्होंने आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत का कार्यक्रम पर भी रोक लगा दी, जो बाद कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर हुआ। ममता सरकार ने कई दुर्गा पतिमा विसर्जन और सरस्वती पूजा पर पतिबंध लगाने का भी पयास कर चुकी है। मुख्यमंत्री बनर्जी के राज में लगातार सांप्रदायिक दंगे होते आ रहे हैं।
दिसम्बर 2016 को सांप्रदायिक हावड़ा के धूलागढ़ के एक गांव में हुआ। जब मुस्लिमों ने ईद-ए-मिलाद के अवसर पर लाउडस्पीकर के साथ एक जुलूस निकाला। यह जुलूस 13 दिसम्बर को पड़ने वाले मार्गशीर्ष पूर्णिमा के त्यौहार को विफल करने के लिए किया गया, जबकि पैगंबर मोहम्मद का जन्मदिन 12 दिसम्बर को था। इस घटना में 150 लोग मारे गए तथा कई घायल हुए। इसके साथ बड़ी संख्या में लोग घर विहीन हुए। दिसम्बर, सन 2016 में ही कोलकाता से 165 किलोमीटर दूर कटवा एक शहर में गाय के मांस का टुकड़ा शनि महाराज मंदिर में फेंका गया, लेकिन इसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। इसके बाद हिंसा भड़की। इससे पहले दुर्गा पूजा और मुहर्रम ताजिया के जुलूस के दौरान 11और 12 अक्तूबर, 2016 को राज्य 12 स्थानों पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उ"s। दुर्गा मूर्ति विर्सजन के समय मुसलमानों ने मुहर्रम के जुलूस के जरिये दुर्गा पंडालों पर हमले किए। हिन्दुओं के घरों, दुकानों तथा मंदिरों पर हमला किया गया। सन 2016 को हाजी नगर के दंगे में हुए। उस समय दुर्गा पूजा और मुहर्रम के समय सांप्रदायिक दंगे 30 घर तथा कई दुकानें जल कर राख हो गई। चार गाड़ियां को जला दिया तथा बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। इसी तरह मार्च, 2016 में एशिया कप में भारत ने पाकिस्तान को हराया। उस समय भी इलम बाजार क्षेत्र के एक व्यक्ति ने पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट डाली थी। यद्यपि उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया, तथापि उसे रिहा करने कराने के दौरान पुलिस गोलीबारी में एक व्यक्ति मारा गया। दंगा भड़का उ"ा। फिर तीन जनवरी, 2016 को मालदा जिले के कलियाचक पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के इशारे पर टैक्सी स्टैंड पर हजारों की संख्या में खड़े हो गए और भड़काऊ भाशण दिए गए। उसके बाद उत्तेजित भीड़ ने सार्वजनिक और हिन्दुओं की सम्पत्ति, बीएसएफ और सार्वजनिक वाहनों पर अपनी बर्बरता दिखानी शुरू कर दी। इन पदर्शनकारियों ने कलियाचक पुलिस स्टेशन पर हमला कर 30 पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया।यहां तक कि हिन्दू महिलाओं के साथ बलात्कार भी किए गए। नादिया जिले की जुरानपुर गांव में धर्मराज मेले के वार्षिक आयोजन से लौटते हिन्दुओं पर मस्जिद से के पास से गुजरते समय तृणमूल कांग्रेस के संरक्षण में मुसलमान उपद्रवियों के हुजूम ने हमला बोल दिया। फिर दोनों संप्रदाय के लोगों ने एक-दूसरे पर बमों से हमले किए गए। लेकिन इस दंगे को रोकने को पुलिस ने पभावी कदम नहीं उ"ाया।
कुछ ऐसे ही दक्षिण चौबीस परगना के दंगे में जनवरी, 2015 में पुलिस थाना ,मंदिर बाजार और डायमंड हार्बर थाने कैंप इलाके में बड़े पैमाने पर हिन्दुओं पर हमले किए गए। उनके दुकानों को लूटा गया। यह दंगा अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री गियासुद्दीन मोल्ला की उपस्थिति में हुआ। उस दौरान मस्जिद के लाउड स्पीकरों से मुसलमानों को दंगे के लिए उकसाया जा रहा था। अक्तूबर, 2014 में बर्दवान जिले खागरागढ़ इलाके की इमारत में विस्फोट हुआ, जो तृणमूल कांग्रेस के नेता नुरुल हसन चौधरी की थी। लेकिन महिलाओं ने पुलिस को अंदर नहीं घुसने दिया। फरवरी, 2013 को कैनिंग जो दक्षिण 24 परगना जिला का मुख्यालय है में दंगा हुआ। एक इमाम जामलता के धार्मिक अनुष्"ान से लौट रहा था, उसे कुछ लोगों ने लूटने के बाद उसकी हत्या कर दी। इसके पश्चात मुसलमानों अल्लाह हो अकबर के नारे लगाते हुए 200 से अधिक हिन्दुओं के घर लूटे और जला डाले। सैकड़ों मंदिरों और भगवान की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक परिपक्व राजनेता और संघर्ष के मार्ग से सत्ताशीर्ष पर पहुंची हैं, उन्हें बगैर भेदभाव के अपने अच्छे कामों से जनता के दिलों पर राज करना चाहिए न कि फिरकापरस्ती के जरिये। अगर वह समय रहते अपनी इस भूल को नहीं सुधारती हैं तो यह न उनके हित में है और न देश के ही।

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