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आसानी से खत्म नहीं होगी अय्यर और पाक नेताओं की बैठक की गूंज
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आदित्य नरेन्द्र
मणिशंकर अय्यर जैसे राजनेताओं के चलते कांग्रेस का विवादों से पुराना नाता रहा है। अय्यर जब अपने भावों को प्रकट करने के लिए एक सीमा से आगे चले जाते हैं और मर्यादा को भूलकर अनाप-शनाप बयान देकर सुर्खियां बटोरने का प्रयास करते हैं तो कांग्रेस के नेताओं के लिए चाहे-अनचाहे ही मुश्किलें पैदा कर देते हैं। कभी प्रधानमंत्री मोदी को चायवाला कहकर उनकी हंसी उड़ाने वाले मणिशंकर अय्यर ने गुजरात चुनाव के बीच मोदी को नीच कहकर पूरे चुनाव प्रचार की दिशा ही बदल दी।
इससे कांग्रेस को गुजरात में नुकसान होना तय है। यह इश्यू उस समय और भी बड़ा हो गया जब यह बात सामने आई कि जिस दिन मणिशंकर अय्यर ने मोदी को नीच कहा उससे एक दिन पहले ही उनके आवास पर एक बैठक हुई थी जिसमें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित पाकिस्तान के भारत में उच्चायुक्त सुहेल महमूद और पूर्व पाक विदेशमंत्री खुर्शीद कसूरी भी शामिल थे।
भाजपा ने इस मौके को हाथोंहाथ लपक लिया। यह कुछ उसी तरह का गलत समय पर उठाया गया गलत कदम था जैसा राहुल गांधी ने डोकलाम विवाद के दौरान चीन के राजदूत से मुलाकात कर उठाया था। उस समय दोनों देशों के बीच गंभीर तनाव था और चीनी पक्ष अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध की धमकियां दे रहा था। दोनों ही अवसरों पर कांग्रेस अपना पक्ष सही ढंग से लोगों को समझाने में असफल रही है। भारत-पाक के आपसी संबंधों को देखते हुए इसमें कोई शक नहीं कि अय्यर की पाक नेताओं के साथ बैठक की गूंज आसानी से खत्म नहीं होगी और समय-समय पर कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने अय्यर द्वारा मोदी को नीच कहने पर पार्टी से उन्हें सस्पैंड कर मामले को हल्का करने का प्रयास किया है लेकिन उनके बंगले पर पाक नेताओं के संग भोज का मामला अब भी कांग्रेस के गले की हड्डी बना हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जब अपने भाषणों के दौरान इस बैठक पर तीखे सवाल उठाए तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नाराजगी जताते हुए मोदी पर आरोप लगा दिया कि वह प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिरा रहे हैं। लेकिन यह बयान भोज को लेकर उठी शंकाओं का निवारण नहीं है। क्योंकि मणिशंकर अय्यर का कद कांग्रेस में इतना छोटा नहीं है कि उन्हें शहजाद पूनावाला या सलमान निजामी की तरह यह कहकर छोड़ दिया जाए कि उनका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है।
मनमोहन सिंह के सिर्फ इतनी सफाई दे देने से बात नहीं बनेगी कि उस भोज में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। सिर्फ भारत-पाक संबंधों पर चर्चा हुई थी। देश का जनमानस शायद इस सफाई को स्वीकार करने से हिचकिचाएगा क्योंकि यही मणिशंकर अय्यर जब पाकिस्तान गए थे तो उन्होंने वहां मोदी को हटाने के लिए मदद की मांग करते हुए कहा था कि आप लोग मोदी को प्रधानमंत्री पद की कुर्सी से हटाइए तभी दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार होगा। इस मानसिकता के चलते यह कैसे संभव है कि भोज के दौरान चर्चा केवल भारत-पाक संबंधों तक ही सीमित रही होगी। वैसे भी यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि खुर्शीद कसूरी भारत के खिलाफ छद्म युद्ध चला रहे कोर ग्रुप का हिस्सा रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी इस बैठक और भोज पर अंगुली उठाते हुए पूछा है कि अय्यर पाकिस्तानियों के सम्मान के लिए इतना बेकरार क्यों थे जबकि राष्ट्रीय नीति के अनुसार पाकिस्तान से संबंध बहाली सीमापार से आतंकवाद रुकने के बाद ही हो सकती है। ऐसे में यह सवाल तो पूछा ही जाएगा कि राष्ट्रहित के मामले में विपक्ष सरकार के साथ क्यों नहीं खड़ा दिखता। इस भोज को लेकर उठा संदेह तभी दूर हो सकता है जब इसके आयोजकों की ओर से जनता को बताया जाए कि गुजरात चुनाव के दौरान ही इस बैठक के आयोजन की क्या मजबूरी थी और इसमें किन चीजों पर चर्चा हुई। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा के सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि पाकिस्तान के पूर्व विदेशमंत्री यहां एक शादी में शामिल होने आए थे। उनके स्वागत के लिए एक भोज का आयोजन किया गया था।
ऐसे में इस भोज को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का बयान पूर्व उपराष्ट्रपति व पूर्व प्रधानमंत्री दोनों के पद की गरिमा के खिलाफ है। मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री मोदी से किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। हां, आनंद शर्मा की यह बात किसी हद तक ठीक है लेकिन मणिशंकर अय्यर को एक कांग्रेसी राजनेता और कांग्रेस को एक लोकतांत्रिक राजनीतिक दल होने के नाते जनता के सर्टिफिकेट की जरूरत अवश्य होगी। जब तक मणिशंकर अय्यर और कांग्रेस इस मामले में विश्वसनीय सफाई नहीं देते तब तक अय्यर का पाक नेताओं के संग भोज कांग्रेस के गले की हड्डी बना रहेगा। यह न तो मणिशंकर अय्यर और न ही कांग्रेस के भविष्य के लिए अच्छा होगा। कांग्रेस इसे जितनी जल्दी समझ जाए यह उसके लिए उतना ही बेहतर होगा।
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