Home » द्रष्टीकोण » दशक बाद का यह जो कबूलनामा है

दशक बाद का यह जो कबूलनामा है

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:17 May 2018 3:10 PM GMT
Share Post

सुशील कुमार सिंह

भारत लंबे समय से यह आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान के आतंकी संग"न लश्कर-ए-तैयबा ने ही 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को अंजाम दिया था जिसमें 166 लोग मारे गए थे। साल 2008 से 2018 के बीच भले ही लगभग एक दशक का फासला हो गया हो पर भारत के आरोप के पुष्टि बीते 12 मई को पूर्व पधानमंत्री नवाज शरीफ ने आखिरकार कर ही दी जो किसी भी जिम्मेदार पाकिस्तानी की ओर से बड़ी स्वीकृति मानी जा सकती है। हालांकि नवाज शरीफ इस समय पाकिस्तान में किसी पद पर नहीं है और वहां के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें हर तरफ से अयोग्य घोषित कर दिया है। फिर भी नवाज शरीफ के इस बयान को बहुत गंभीर तरीके से लिया जाना चाहिए जो कि हो भी रहा है। निहित संदर्भ यह भी है कि भारत को पहले से ही पूरी तरह पता था कि मुंबई के ताज होटल पर हमला पाकिस्तान ने ही करवाया है इसलिए शरीफ का कबूलनामा भारत को उतना हैरत में नहीं डालता जितना कि शेष दुनिया को चौंकाता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दशकों से यह भ्रम फैलाए हुए है कि उसके यहां ऐसा कुछ भी नहीं है। हालांकि बीते कुछ वर्षों से भारत में उसे इस मामले में दुनिया में बेनकाब किया है। उसी की बदौलत आज का पाकिस्तान न केवल अलग-थलग पड़ा है बल्कि करोड़ों रुपए की सौगात भी अमेरिका के द्वारा पतिबंधित है। नवाज शरीफ ने मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ होने और उन्हें सीमा पार करने की इजाजत देने की बात जब से स्वीकार की है तब से शरीफ के इस बयान को लेकर पाकिस्तान में कोहराम मचा हुआ है और चौतरफा उनकी शराफत दांव पर लगी हुई है। स्थिति को देखते हुए शरीफ भी फिलहाल कह रहे हैं कि उनके बयान की गलत व्याख्या की गई है जबकि दो टूक यह है कि लंबे अंतराल के बाद ही सही यह शरीफ का सही और वाजिब कबूलनामा है।
नवाज शरीफ ने बेशक मुंबई घटना को लेकर बात अब कबूला हो पर यह पहला मौका नहीं है। साल 2009 में तत्कालीन पीपुल्स पार्टी सरकार के गृहमंत्री रहमान मलिक ने पेस कांफ्रेंस के दौरान यह ब्यौरा दिया था कि मुंबई हमले को किस तरह से पाकिस्तान की जमीन से अंजाम दिया गया था। बात भले ही पाकिस्तानी सरकारों के सामने आई हो पर किसी भी सरकार ने दोषियों को न तो सजा दिलाई और न ही उनसे कोई सबक लिया बल्कि उन्हें खाद-पानी देने का बड़ा काम जरूर किया है। यहां बता दें कि नवाज शरीफ ने पहली बार पाकिस्तान की उस नीति पर सवाल उठाए हैं जिसके तहत गैर सरकारी तत्वों को सीमा पार करके मुंबई में लोगों को मारने की अनुमति दी गई। इससे यह भी साफ होता है कि अब तक भारत जितने भी आरोप पाकिस्तान पर मढ़े हैं वे बेवजह नहीं हैं मुंबई से लेकर प"ानकोट तक हमेशा भारत यह कहता रहा कि यह पाकिस्तान की ओर से नियोजित हमला है बावजूद इसके पाकिस्तान के सत्ताधारी न केवल लीपा-पोती करते रहे बल्कि भारत पर उलटे दोष मढ़ते रहे। भारत सरकार ने हर वो सबूत दिया जो चीख-चीख कर कह रहा था कि घटना के जिम्मेदार सीमा पार के आतंकी संग"न हैं पर पाकिस्तान तो इस बात से ही इंकार करता रहा कि उसके यहां आतंक की खेती होती ही नहीं है। हाफिज सईद, अजहर मसूद तथा लखवी जैसे आतंकी सरगना पाकिस्तान की जमीन में बोये और उगाए जाते हैं और इन्हें खाद-पानी देने का काम आईएसआई से लेकर वहां की सरकारें करती हैं। हैरत तो इस बात का है कि लोकतंत्र को ठेंगे पर रखने वाला पाकिस्तान बीते सात दशकों से दुनिया में लोक कल्याण की पहचान बना ही नहीं पाया और अब अगर उसकी व्याख्या होती है तो आतंकी देश के तौर पर। और यह हर तरीके से वहां की सीधी-साधी जनता के साथ बड़ा धोखा है।
शरीफ ने सच कहा है पर यह सच बोला क्यों? यह भी कई पाकिस्तानी परस्त लोगों को खटक रहा है। इन दिनों पाकिस्तान की सियासत में शरीफ गैर शराफत वाले व्यक्ति घोषित किए जा चुके हैं। इनके द्वारा मुंबई घटना के कबूलनामे को लेकर 14 मई को पाकिस्तान में एनएसजी की एक अहम बै"क हुई। जाहिर है कि नवाज शरीफ के बयान के पीछे और आगे की बात को भी समझना है। भारत के रक्षामंत्री ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि भारत का जो रुख था शरीफ का बयान उसी की पुष्टि है। फिलहाल आतंकवाद को लेकर नवाज शरीफ अलग-थलग पड़ गए हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां तीन समानांतर सरकारें चलती हैं एक आईएसआई, दूसरी आतंकी संग"नों जबकि तीसरी स्वयं चुनी हुई सरकार वैसे शरीफ के कबूलनामे में यह संदर्भ भी निहित देखा जा सकता है। पाकिस्तान की दुविधा यह है कि जिसे वह बरसों से नकारता रहा उसी को लेकर उसकी पोल खुल गई है। इससे भारत के पति दुनिया का नजरिया बदलना चाहिए और पाकिस्तान के पति आतंकी वाला दृष्टिकोण और पुख्ता पतीत होता है। खास यह भी है कि मुंबई घटना के बाद कार्रवाई पाकिस्तान की पाथमिकता में कभी था ही नहीं। सीमा पार से आए लश्कर-ए-तैयबा के 10 हमलावर आतंकियों में से 9 को भारतीय सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया था जबकि अजमल कसाब को जीवित पकड़ा गया जिसे बरसों के मुकदमे के बाद फांसी दे दी गई थी। उल्लेखनीय यह भी है कि इस राज को शरीफ बरसों से जानते थे और खोला तब जब उनका सब कुछ लुट चुका था। नवाज शरीफ इन दिनों कई आरोपों से घिरे हैं। पनामा पेपर्स ने उनकी कुर्सी छीन ली और आतंकियों को शरण देना और लगातार झू" बोलना कि पाकिस्तान में इसका वजूद ही नहीं है परन्तु इस अव्वल दर्जे के झू" पर अमेरिका गाहे-बगाहे खूब लताड़ता रहा। आरोप तो यह भी है कि भारत में करोड़ो रूपए काला धन के रूप में इन्होंने जमा किया है। चौतरफा घिरे नवाज शरीफ इन दिनों काफी झंझवातों से जूझ रहे हैं हो सकता है इन मुश्किलों ने सच को कबूलने में उनकी मदद की हो।
अब जब यह बात साफ हो गई है कि पाकिस्तान के आतंकी भारत के भीतर घटना को अंजाम देते हैं तो क्या पड़ोसी चीन पाकिस्तान को समर्थन देने के मामले में अपने रुख में काई अंतर लाएगा। गौरतलब है कि चीन अकसर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई देता है। कई अवसर ऐसे आए हैं जब भारत संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में पाकिस्तानी आतंकवादियों को घसीटने का काम किया और चीन ने वीटो करके उन्हें बचाने का काम किया। बेशक चीन जानता हो कि भारत पाक पायोजित आतंकियों से परेशान है बावजूद इसके वह पाक का समर्थन इसलिए करता है क्योंकि ऐसा करके वह अपनी कूटनीति को संतुलित करता है। विचित्र यह भी है कि चीन के कर्जे से दबा पाकिस्तान अपने ही आतंकवादी संग"नों के दबाव से भी वह दो-चार हो रहा है साथ ही आईएसआई की घुड़की भी झेलता रहता है फिर भी वह समतल रास्ता बनाना चाहता ही नहीं। जिस कदर सीजफायर का उल्लंघन करने में वह माहिर है इससे भी उसकी बद्नियति का खुलासा होता है। भारत पर हमले के कई ऐसे पुख्ता पमाण हैं जिसका जिम्मेदार पाकिस्तान है बावजूद इसके भारत ने पाकिस्तान से मित्रता को लेकर बरसों बरस पहल किया जबकि नतीजे ढाक के तीन पात रहे। फिलहाल शरीफ का कबूलनामा देर से ही सही मगर वही है जो सही है। इतना ही नहीं इस कबूलनामे में पाकिस्तान के चरित्र को वही पमाण पत्र दिया जिसके वह लायक था साथ ही दशकों से आतंक की पीड़ा भोग रहे भारत की उस वास्तविकता को भी दुनिया अब उस चश्में से देख सकती है जिसे अभी-अभी शरीफ ने उन्हें दिया है।
(लेखक प्रयास आईएएस स्टडी सर्पिल, देहरादून के निदेशक हैं।)

Share it
Top