Home » द्रष्टीकोण » मोदी का निक्रिय पचार विभाग

मोदी का निक्रिय पचार विभाग

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:18 May 2018 3:16 PM GMT
Share Post

श्याम कुमार

पधानंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के ग"न के बाद कुछ मामलों में चूक गए, जिसका उन्हें नुकसान हुआ। ऐसे ही मामलों में एक सूचना एवं पसारण मंत्रालय है, जिसने मोदी सरकार के ग"न के बाद अब तक सिर्प अपने निकम्मेपन का परिचय दिया है। ऐसा पतीत होता है कि पधानमंत्री मोदी ने इस विभाग का महत्व नहीं समझा। विगत सत्तर वर्षों की अवधि में जो कांग्रेसी सरकारें थीं, वे जनकल्याण के बजाय सिर्प नेहरू वंश का पोषण करती रहीं। नेहरू वंश की यशगाथा हमेशा इस पकार पचारित की गई, जैसे वह कोई देवलोक से उतरा हुआ वंश है। भ्रष्टाचार, घोटालों आदि में आकं" डूबी हुई कांगेसी सरकारें अपनी उपलब्धियों में शून्य होने के बावजूद पचार के बल पर छाई रहीं। इसका सम्पूर्ण श्रेय उन सरकारों के सूचना एवं पसारण मंत्रालय को था।
किन्तु मोदी सरकार के समय बिल्कुल विपरीत स्थिति हो गई। इस सरकार के शपथ ग्रहण करते ही उसकी उपलब्धियां शुरू हो गईं। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद मनमोहन/सोनिया सरकार ने अपनी सरकार के समय में हुए लाखों करोड़ के घोटालों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का ग"न नहीं किया था। लेकिन मोदी सरकार ने अपनी मंत्रिपरिषद की पहली बै"क में ही उक्त विशेष कार्यदल का ग"न कर दिया। यह बहुत बड़ा कदम था, लेकिन कम लोगों को उसके बारे में पता लग पाया। पचार की इस निक्रियता के लिए सूचना एवं पसारण मंत्रालय पूरी तरह जिम्मेदार है। पहले यह विभाग वित्तमंत्री अरुण जेटली के पास था, जिन्हें बेहद भारी-भरकम वित्त विभाग से फुर्सत नहीं थी। हाल में यह विभाग स्मृति ईरानी के पास था, जिन्हें उस विभाग से हटाकर पधानमंत्री ने बहुत सही निर्णय किया है। अब यह विभाग राज्यवर्धन ंिसंह रा"ाwर को पूरी तरह सौंपा गया है, जिनसे उम्मीद है कि वह सही अर्थों में जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगे। पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले चार वर्षों में जनता के "ाsस कल्याण के लिए इतने अधिक कदम उ"ाए हैं कि अब तो उनकी गिनती करना आसान नहीं रह गया है। पिछले सत्तर वर्षों में हमारा देश सड़ांधभरे दलदल की तरह हो गया था।
नरेंद्र मोदी न केवल उस दलदल को साफ करने में जुटे, बल्कि उन्होंने जनता के कल्याण की ऐसी-ऐसी योजनाएं चलाईं, जिनकी पहले कभी कल्पना नहीं की जा सकती थी। अब मोदी सरकार `आयुष्मान भारत' नामक योजना शुरू करने जा रही है, जिसमें गरीबों का मुफ्त इलाज किया जाएगा, जिसके बाद मरीज को घर पहुंचाने का भी पुख्ता इंतजाम रहेगा। गरीब मरीज के अस्पताल में भरती होने और इलाज का सारा खर्च सरकार उ"ाएगी। चिकित्सालय किसी गरीब मरीज की बीमारी को पुरानी बीमारी कहकर उसका मुफ्त इलाज करने से मना नहीं कर सकेंगे। पुरानी से पुरानी और गंभीर से गंभीर बीमारी का मुफ्त इलाज किया जाएगा। उक्त योजना के अंतर्गत दस करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा पदान करने का लक्ष्य रखा गया है। स्पष्ट किया गया है कि इस योजना को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी जिन बीमा कंपनियों को दी जाएगी, वे सरकार की इस योजना को कार्यान्वित करने में न तो कुछ परिवर्तन कर सकेंगी और न अपनी कोई शर्त लगा सकेंगी। पांच लाख रुपए का तक खर्च बीमा कंपनियों को उ"ाना होगा, जिसका पीमियम सरकार उन कंपनियों को देगी। सरकार ने दस करोड़ गरीब परिवारों को मदद देने का जो लक्ष्य रखा है, उसका अर्थ यह हुआ कि यदि एक परिवार में पांच व्यक्ति हैं तो कुल लगभग पचास करोड़ गरीबों का निशुल्क इलाज किया जाएगा। सरकार ने तेरह सौ बीमारियों व उनके इलाज का पैकेज भी तैयार कर लिया है।
मोदी सरकार की अन्य अनगिनत योजनाओं की तरह यह योजना भी लाजवाब जनोपयोगी योजना है। विगत सत्तर वर्षों में नेहरू वंश देश से गरीबी मिटाने का नारा देता रहा है। इंदिरा गांधी तो `गरीबी हटाओ' के नारे के बल पर चुनाव में जीत हासिल कर सरकार बना लिया करती थीं। लेकिन देश में गरीबी खत्म होने के बजाय लगातार बढ़ती गई और नेहरू वंश के अन्य नारों की तरह यह नारा भी खोखला सिद्ध हुआ।
इसका मुख्य कारण यह था कि नेहरू वंश के नेतृत्व में कांग्रेस सिर्प ढोंग किया करती थी और जातिवाद, सांप्रदायिकता आदि का जहर फैलाकर `बांटो व राज करो' की नीति का पालन कर सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखती थी। इसके विपरीत नरेंद्र मोदी ने तुरन्त लाभ पहुंचाने वाले लुभावने व ढोंगी नारे देकर सत्ता पर काबिज रहने के बजाय देश के दूरगामी हितोंवाली योजनाएं व कार्यक्रम कार्यान्वित किए। इनमें से अधिकांश योजनाओं से जनता को तात्कालिक लाभ नहीं मिल सकता था, लेकिन आगे चलकर वही योजनाएं जनता के जीवन को सुखी बनाने वाली हैं। जनधन योजना, गरीबों के यहां मुफ्त गैस कनेक्शन, देश के जिन हजारों गांव में जहां सत्तर वर्षों में बिजली नहीं पहुंची थी, वहां बिजली पहुंचाना आदि ऐसे कार्यक्रम हैं, जिनसे गरीबों को पत्यक्ष लाभ हुआ है। इसी पकार `आयुष्मान भारत' योजना भी गरीबों के लिए गजब की योजना है।
पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत चार वर्षों में जनकल्याण की सत्तर से अधिक चमत्कारपूर्ण योजनाएं कार्यान्वित की हैं, जिनके बारे में अधिकांश जनता को जानकारी ही नहीं है। कुछ योजनाएं इस पकार हैöकुसुम योजना, पधानमंत्री युवा योजना, पधानमंत्री आवास योजना, जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना, पधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना, डिजिटल लॉकर स्कीम, पहल योजना, मुद्रा स्वास्थ्य कार्ड योजना, स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, वन रैंक वन पेंशन योजना, दरवाजा बंद अभियान, पधानमंत्री जन औषधि योजना, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, पधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्टार्टअप इंडिया-स्टैंड इंडिया, स्मार्ट सिटी मिशन, अमृत योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, पधानमंत्री उज्ज्वला योजना, मिशन इन्द्रधनुष अभियान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, पधानमंत्री कौशल विकास योजना, उड़ान योजना, स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, पधानमंत्री फसल योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, अटल पेंशन योजना, पधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, पधानमंत्री ज्योति बीमा योजना, पधानमंत्री मुद्रा योजना, पधानमंत्री सुकन्या समृद्धि योजना, पधानमंत्री जनधन योजना, सौभाग्य योजना, सागर माला योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना, पधानमंत्री रोजगार पोत्साहन योजना, पधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, वस्तु एवं सेवाकर योजना (जीएसटी), सेतु भारतम योजना, वरिष्" पेंशन बीमा योजना, पधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना, मिशन भगीरथ जीरो डिफिसिट जीरो इफेक्ट योजना, लकी ग्राहक योजना व डिजिधन व्यापार, हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑगमेंटेशन योजना, उदय उज्ज्वल डिस्कॉम बीमा, श्यामा पसाद मुखर्जी नगरीय मिशन, नमामि गंगे योजना, पधानमंत्री वयवंदना योजना, मेंटर इंडिया अभियान, आजीविका ग्रामीण एक्सपेस योजना आदि।
आश्चर्य यह है कि `पसार भारती' के मुखिया वरिष्" पत्रकार, अत्यंत ईमानदार एवं बेहद योग्य सूर्यपकाश हैं, तब भी सरकार का पचार कार्य लगभग शून्य है। सूर्यपकाश को यह निक्रियता अविलंब दूर करनी चाहिए।

Share it
Top