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प्रगति पथ पर मोदी और योगी की साझा यात्रा

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:14 July 2018 2:50 PM GMT
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डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

उत्तर प्रदेश का व्यापार सुगमता में दो पायदान आगे बढ़ना, नोएडा में सैमसंग का सबसे बड़ा निवेश, लखनऊ में उद्यमिता समिट, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन कुछ ही दिनों की दास्तान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास के जिस मॉडल के पक्षधर रहे है, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने नोयडा में सैमसंग की सबसे बड़ी फैक्ट्री की आधारशिला रखी थी। अब पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का भी शिलान्यास हो गया। बताया जा रहा है कि सैमसंग ने निवेश प्रस्ताव से अलग हो जाने का निर्णय किया था। मोदी और योगी के प्रयासों से उसका इरादा बदला। इसी प्रकार एक्सप्रेस-वे के लिए नब्बे प्रतिशत जमीन के अधिग्रहण का श्रेय भी योगी को देना चाहिए। एक्सप्रेस-वे के लिए पर्याप्त जमीन का अधिग्रहण और उसका प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास विकास की बानगी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल अन्य इलाकों के मुकाबले ज्यादा पिछड़ा रह गया। पिछली सरकारों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से विकास के मॉडल में बदलाव आया है। डेढ़ वर्ष में ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए नब्बे प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण हो गया। इसके बाद नियमानुसार टेंडर किये गए। पहले के प्रस्तावों से इक्कीस हजार करोड़ रुपए से कम में इस एक्सप्रेस-वे बन जाएगा। उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इसके प्रोत्साहन के लिए नीति बनाई गई है।

इसी क्रम में एक जनपद-एक उत्पाद योजना लागू की गई है। इस योजना के संबंध में अगले महीने एक विशाल सम्मेलन आयोजित जाएगा। सरकार उद्यमियों को हर संभव सहयोग देगी। कम पूंजी में अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने में यह क्षेत्र कामयाब होगा। राज्य सरकार एक जनपद-एक उत्पाद योजना में केंद्र और प्रदेश की योजनाओं को जोड़कर दो करोड़ युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनाएगी।

उनतीस जुलाई को प्रधानमंत्री लखनऊ में साठ हजार करोड़ रुपए की सौगात देंगे। संभावना है कि हर तीन महीने में इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से उत्तर प्रदेश के विकास को नई गति दी जाएगी। डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर को समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाएगा। औद्योगिक विकास के लिए सुरक्षा की गारंटी आवश्यक है। वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश में सुरक्षा का वातावरण उपलब्ध कराया है। इससे प्रदेश के औद्योगिक विकास को दिशा मिली है। प्रधानमंत्री ने नोएडा में दुनिया के सबसे बड़े मोबाइल संयंत्र का उद्घाटन किया गया था। राज्य सरकार के द्वारा कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में उठाए गए कदमों से ही यह संभव हुआ है। एक वर्ष पहले सैमसंग, एलजी, टीसीएस आदि कम्पनियां प्रदेश छोड़कर जाने का मन बना चुकी थीं। प्रदेश के औद्योगिक विकास की संभावनाओं को साकार करने के लिए निवेश मित्र पोर्टल की सुविधा प्रदान की गई है।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारा बनाया जाएगा। वहीं अयोध्या में एक ऐसी एयर स्ट्रिप बनाने की योजना है जिसमें किसी भी तरह का विमान उड़ान भर सकेगा, चाहे वह लड़ाकू विमान हो या फिर यात्री विमान। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे होगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाजवादी पार्टी जिस एक्सप्रेस-वे का दावा कर रही है उसका जमीन अधिग्रहण नहीं किया गया था। मेरी सरकार उस बजट से इक्कीस सौ करोड़ कम बजट में यह एक्सप्रेस-वे तैयार कर प्रदेश के जनता को देगी। जिस पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के शिलांयास की बात कर रहे हैं, उसमें उनकी तैयारी आधी-अधूरी थी। उनके समय में जमीन के अधिग्रहण के बिना ही सिविल टेंडर जारी कर दिए गए थे, जबकि नियम यह है कि जब तक एक्सप्रेस-वे की नब्बे प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण नहीं हो जाता है तब तक टेंडर जारी नही किए जाते। प्रदेश में निवेश और उद्योग को भी बढ़ावा देने की रणनीति आगे बढ़ रही है। योगी सरकार ने सिंगल विंडो सिस्टम के तहत अनेक सुधार किए। इसके अलावा पोर्टल, भूमि की उपलब्धता और आवंटन, कर भुगतान प्रणाली, पारदर्शी सूचनाएं और ऑनलाइन उपलब्धता, पर्यावरण सुधार, आवश्यक अनुमति का सहजता से मिलना आदि दिशा में भी कार्य हुए। उद्योग के साथ कृषि भी सरकार की प्राथमिकता में है। बुंदेलखंड में कम पानी से अधिक फसल पैदा करने की तकनीक इजरायल द्वारा शुरू की जाएगी। इस संबंध में इजरायली प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। इस्राइल के राजदूत कैरमान ने बताया था कि उनके देश के विशेषज्ञ चित्रकूट और झांसी मंडल का दौरा करेंगे। इसके आधार पर जल संचयन प्रबंधन, कृषि और कम पानी से ज्यादा सिंचाई का प्रस्ताव देंगे।

उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इसके प्रोत्साहन के लिए नीति बनाई गई है। इसी क्रम में एक जनपद-एक उत्पाद योजना लागू की गई है। इस योजना के संबंध में अगले महीने एक विशाल सम्मेलन आयोजित जाएगा। सरकार उद्यमियों को हर संभव सहयोग देगी। कम पूंजी में अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने में यह क्षेत्र कामयाब होगा। राज्य सरकार एक जनपद-एक उत्पाद योजना में केंद्र और प्रदेश की योजनाओं को जोड़कर दो करोड़ युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से स्वावलंबी बनाएगी। उनतीस जुलाई को प्रधानमंत्री लखनऊ में साठ हजार करोड़ रुपए की सौगात देंगे। संभावना है कि हर तीन महीने में इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से उत्तर प्रदेश के विकास की इबारत लिखी जाएगी।

मात्र डेढ़ वर्ष में व्यापार सुगमता की सूची में उत्तर प्रदेश का दो पायदान आगे बढ़ना सामान्य बात नहीं है। डीआईपीपी, विश्वबैंक के साथ मिलकर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कारोबार सुगमता के आधार पर रैंकिंग करता है। भारत में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग की शुरुआत देश में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रतिस्पर्धा का माहौल पैदा करने के लिए किया गया था। इस रैंकिंग को जारी करने के पीछे मंत्रालय की मंशा देश में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाना है। ताकि कारोबार करने के इच्छुक कारोबारियों को कामकाज शुरू करने में सुगमता हो। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का मानना है कि इस सुगमता के बगैर न तो क्षेत्र का विकास होगा और न ही रोजगार की समस्या दूर होगी। सुधार में सिंगल विंडो पोर्टल भूमि की उपलब्धता और आवंटन, कर भुगतान प्रणाली, पारदर्शी सूचनाएं और ऑनलाइन उपलब्धता, पर्यावरण सुधार, आवश्यक अनुमति का सहजता से मिलना आदि बिंदु शामिल थे। जाहिर है कि योगी सरकार केवल एक्सप्रेस-वे और मेट्रो से ही अपनी पीठ थपथपाना नहीं चाहती। वह उद्योग, व्यापार सुगमता, कृषि, आदि सभी मोर्चो पर एक साथ कार्य कर रही है।

(लेखक विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में राजनीति के एसोसिएट पोफेसर हैं।)

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