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लोकसभा चुनाव 2019 : हवाई वादे बनाम जमीनी हकीकत

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:15 April 2019 3:14 PM GMT
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अमन सिंह

जैसा कि सभी को ज्ञात है कि लोकसभा चुनाव 2019 का जोर इस समय अपनी चरम सीमा पर है। बात चाहे प्रिंट मीडिया की करें या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की हर जगह सिर्फ और सिर्फ चर्चा व सुर्खियां सभी राजनीतिक पार्टियों के वादों की हो रही है। जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी न्याय योजना का नाम लेकर वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है तो वहीं दूसरी ओर साइकिल व हाथी का गठबंधन भी लोगों को आसमानी बातें करके लुभाने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में अगर अब बात करें भाजपा की तो भाजपा बीते 5 वर्षों में अपने किए गए कार्य चाहे फिर वह उरी में की गई सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर नोटबंदी उन्हीं को अपना बेस बनाकर इस चुनाव में भी विजय पाने की पूरी कोशिश कर रही है। अब क्रमवार यदि बात करें सभी मुख्य राजनीतिक पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र की जिसमें तमाम राजनीतिक पार्टियों द्वारा जो वादे किए गए क्या वह जमीनी हकीकत बयां कर रहे हैं या अभी भी उनके तार आसमान में ही लटके हुए हैं। सबसे पहले यदि बात करें कांग्रेस पार्टी की तो कांग्रेस ने हम निभाएंगे के वादे के साथ न्यूनतम आय योजना रोजगार सृजन और किसानों के लिए अलग बजट समेत पांच बड़े ऐलान किए हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मेनिफेस्टो जारी करते हुए सत्ता में आने पर 20 फीसदी गरीबों के लिए न्यूनतम आय योजना शुरू करने का वादा किया। इसके तहत गरीब तबके के लोगों को प्रति माह 6000 रुपए दिए जाएंगे। पार्टी ने अपने इस घोषणापत्र को जन आवाज नाम दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हमने अपने चुनाव चिन्ह हाथ की थीम को ध्यान में रखते हुए 5 बड़े वादों को इसमें शामिल किया है।

कांग्रेस के घोषणापत्र को देखकर लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह से यह मान लिया है कि वोटर्स लालची है व वह कांग्रेस पार्टी के इस लालच में आकर अपना वोट उन्ही को समर्पित कर देंगे। जबकि उनको यह सोचना चाहिए कि वोटर्स अब जागरूक होने के साथ ही साथ होशियार भी हो गए। अब अगर बात की जाए तो पिछले चुनाव में एक भी सीट पर अपनी पार्टी का खाता ना खुलवा पाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथी व पिछले उप विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखने वाले चुनाव चिन्ह साइकिल की पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव जी की तो इस लोकसभा चुनाव में हाथी ने साइकिल की सवारी कर ली है। अब जरा बात करें बसपा सुप्रीमो मायावती जी के कुछ कथित बयानों पर तो सुप्रीमो मायावती ने कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र को छलावा बताया है और भाजपा नेताओं पर जातिवादी तथा अनर्गल बयानबाजी का आरोप लगाया है। बसपा नेता ने अपने ट्वीट में कहा लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र पूर्व के उनके वादों की तरह ही दिखावा और छलावा ज्यादा लगता है। कांग्रेस की लगातार वादाखिलाफी का ही परिणाम है कि उसके वादों के प्रति जनता में विश्वास नहीं है। वैसे इस मामले में कांग्रेस तथा भाजपा में ज्यादा फर्क नहीं है। इससे पहले उन्होंने एक ट्वीट करके भारतीय जनता पार्टी पर निशान साधा था। उन्होंने ट्वीट किया भाजपा के नेता बसपा-सपा-रालोद गठबंधन के हाथों हार के डर से इतने ज्यादा भयभीत हैं कि वे मुद्दों के बजाय गठबंधन और इसके शीर्ष नेताओं के खिलाफ जातिवादी तथा अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। इनके उकसावे में नहीं आना है और चुनाव में अच्छा रिजल्ट दिखाकर इन्हें मुंहतोड़ जवाब देना है।

अब यदि बात करें वर्तमान परिदृश्य में राजनीतिक स्तर की तो जहां तक मेरा मानना है वर्तमान परिदृश्य की राजनीति का स्तर काफी निम्न वर्गीय हो गया है या यूं कहें कि काफी नीचे जा पहुंचा है। आज चाहे किसी भी समाचार पत्र को उठाकर देखें या फिर टेलीविजन के किसी भी न्यूज चैनल को लगाकर देखें तो उस पर सिर्फ और सिर्फ चर्चा लोकसभा चुनाव की हो रही है ऐसा होना स्वभाविक भी है लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सहारे सभी पार्टियां सिर्फ और सिर्फ जनता को सपनों में हवाई यात्रा कराने की बातें कर रही है। तमाम राजनीतिक पार्टियां यह अच्छे से जानती हैं जनता आसमानी वादों से ही खुश हो जाएगी। लेकिन राजनीतिक पार्टियों कई है भ्रम भी हो सकता है क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में ज्यादातर लोग या यूं कहें कि ज्यादातर मतदाता अपने मताधिकार के प्रति जागरूक होते दिखाई दे रहे हैं। अब यदि इन सभी बातों से परे हट कर बात करें भाजपा की तो भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी कर दिया है। संकल्पपत्र के नाम से जारी किए गए घोषणापत्र में भाजपा ने देश के हर एक वर्ग के लिए वादे किए हैं। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता वहां मौजूद थे। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के साथ-साथ राम मंदिर निर्माण का भी जिक्र किया गया है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राम मंदिर को लेकर सभी तरह की संभावनाएं तलाशी जाएंगी और सौहार्दपूर्ण माहौल में जल्द राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। साथ ही कहा कि देश की सुरक्षा के साथ हमारी सरकार किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगी। सुरक्षा बलों को आतंकवादियों का सामना करने के लिए फ्री हैंड नीति जारी रहेगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस संकल्पपत्र के माध्यम से हम नए भारत के निर्माण में 130 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं को विजन डॉक्यूमेंट के रूप में पेश कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए यह संकल्पपत्र बनाने के लिए हमारे अध्यक्ष जी ने मेरी अध्यक्षता में एक समिति बनाई और मेरे साथ 12 लोगों को भी उसमें नामित किया था और संकल्पपत्र को बनाने के लिए 12 श्रेणियों में भी उसे विभाजित किया था। राष्ट्रवाद के प्रति हमारी पूरी प्रतिबद्धता है। आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी थी है और जब तक यह खत्म नहीं होगा तब तक यह रहेगी। देश की सुरक्षा के साथ हमारी सरकार किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेगी। सुरक्षा बलों को आतंकवादियों का सामना करने के लिए फ्री हैंड नीति जारी रहेगी। अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए जितनी सख्ती करनी होगी करेंगे। इस पर पूरी तरह से रोक लगाएंगे। राम मंदिर की बात करें तो पिछली बार की तरह इस बार भी राम मंदिर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है कि हम सभी संभावनाओं को तलाशेंगे। हमारी कोशिश होगी की सौहार्दपूर्ण वातावरण में जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण किया जाए। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही देश की बागडोर संभालते हुए कहा था कि 2022 आते-आते किसानों की आय दोगुनी करेंगे। आज मैं फिर यह बात दोहरा रहा हूं। इसमें हमें कामयाबी भी हासिल हुई है। किसान क्रेडिट कार्ड पर एक लाख तक जो लोन मिलता था उस पर अगले पांच साल के लिए शून्य ब्याज दर लगेगी। 6000 रुपए सालाना आर्थिक मदद अब केवल दो हेक्टेयर जमीन वाले किसानों को ही नहीं बल्कि देश के सभी किसानों को मिलेगी।

छोटे और खेतिहर किसानों को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन दी जाएगी। वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर और वर्ष 2032 तक 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपए का पूंजीगत निवेश। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए एक लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट गारंटी योजना। भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित करने के लिए 22 प्रमुख चैंपियन सेक्टरों का निर्धारण। उद्यमियों को बिना किसी सिक्योरिटी के 50 लाख रुपए तक का ऋण।

पूर्वोत्तर राज्यों में पूंजीगत सहायता देने के लिए उद्यमी पूर्वोत्तर योजना। महिला सशक्तिकरण के लिए तीन तलाक निकाह हलाला जैसी प्रथाओं को प्रतिबंधित व समाप्त करने को विधेयक। सभी आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता को आयुष्मान भारत के तहत लाना। कम से कम 50 प्रतिशत महिला कर्मचारी रखने वाले उद्योगों द्वारा सरकार के लिए 10 प्रतिशत उत्पाद खरीद। ऐसे ही कई अन्य सपने है जो कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने इस संकल्पपत्र के माध्यम से लोगो को दिखाएं है। अब देखने की बात यह होगी कि इसका कितना असर जनता पर पड़ेगा। अब बात करे कांग्रेस की तो कांग्रेस ने जारी हुए भाजपा के संकल्पपत्र को झूठ का गुब्बारा करार देते हुए दावा किया है कि अब इनके हथकंडे चलने वाले नहीं हैं क्योंकि देश की जनता इन्हें पहचान चुकी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि अब यह झूठ बनाम न्याय का चुनाव है। पटेल ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में जनता है और भाजपा के घोषणापत्र में मैं ही मैं हूं है। उनका घोषणापत्र झूठ का गुब्बारा है। झूठ बनाम न्याय है। उन्होंने कहा इनको माफीनामा जारी करना चाहिए था क्योंकि इन्होंने पांच साल में कोई काम नहीं किया। ये जो वादा करते हैं उसे कभी नहीं निभाते। देश की जनता इनको अच्छी तरह पहचान गई है। असल में इनको अपने काम का हिसाब देना चाहिए। इस समय माहौल तो ऐसा लग रहा है जैसे मानो एग्जाम के दिन चल रहे हो और उनसे पहले सभी स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई पूरी करने में जुटे हैं, इन स्टूडेंट्स में कुछ ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिन्होंने पूरी साल मेहनत करके पढ़ाई की है, वह कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिन्होंने पूरी साल किताब उठाकर भी नहीं देखी। अब यह तो 23 मई 2019 को तय होगा कि हमारे देश के जागरूक मतदाताओं ने किस राजनीतिक पार्टी के चुनावी वादों को या यूं कहें कि उनके कार्यों को अपना मत प्रदान किया है।

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