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बजट 2019 : राम भरोसे मिडिल क्लास

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:7 July 2019 3:06 PM GMT

बजट 2019 : राम भरोसे मिडिल क्लास

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आदित्य नरेन्द्र

आखिरकार 2019-20 का पूर्ण बजट आ ही गया। इससे पहले फरवरी में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आम चुनावों के चलते कुछ महीनों के लिए अंतरिम बजट प्रस्तुत किया था। उस बजट को देखकर लग रहा था कि पूर्ण बजट के दौरान भी मिडिल क्लास सरकार की सोच और योजनाओं के केंद्र में रहेगा लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद मिडिल क्लास को बेहद निराशा हुई है। उसे लगता है कि इस बजट में उसके हाथ कुछ खास नहीं आया है और मौजूदा सरकार ने उसे राम भरोसे छोड़ दिया है। वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान ही इस बजट को गांव, गरीब और किसान का बजट बता दिया था। उसी समय जाहिर हो गया था कि इस बजट में सरकार की सोच के केंद्र में गांव, गरीब और किसान मुख्य रूप से हैं। पूरा बजट सुनने के बाद स्पष्ट हो गया कि इस बजट में मिडिल क्लास के लिए कोई खास रियायत नहीं है। सरकार बजट में हाई क्लास से पैसा लेकर लोअर क्लास को देने के फार्मूले पर चली है। यही वजह है कि सरकार ने दो करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर तीन प्रतिशत और पांच करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर सात प्रतिशत सरचार्ज लगाने का फैसला किया है। सामान्य तौर पर देश में आर्थिक रूप से तीन वर्ग माने जाते हैं जिन्हें लोअर, मिडिल और हाई क्लास में रखा गया है। लेकिन बजट को सही रूप से समझने के लिए हमें इसे पांच वर्गों में रखना होगा जोकि लोअर, लोअर मिडिल, अपर मिडिल, रिच और हाई रिच क्लास है। अब यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि मिडिल क्लास में दो वर्ग हैं लोअर मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास। इन दोनों वर्गों की जरूरतें और आकांक्षाएं अलग-अलग हैं। एक तरफ जहां लोअर मिडिल क्लास वाले अपर मिडिल क्लास में आना चाहते हैं वहीं अपर मिडिल क्लास वाले रिच क्लास में जाने का सपना देखते हैं। इस बजट में जो थोड़ी बहुत राहत लोअर मिडिल क्लास को मिलती हुई दिखाई देती है वह नाम मात्र की है। उदाहरण के लिए यह जो कहा जाता है कि अब 5-6 लाख रुपए आमदनी वाले को कोई टैक्स नहीं देना होगा तो यह सिर्प कहने की बात है क्योंकि इसमें स्पष्ट छूट की सीमा बढ़ाने की बजाय मिडिल क्लास को बताया गया है कि वह यहां-वहां पैसा इंवेस्ट कर छूट हासिल कर सकता है यानि उसे छूट हासिल करने के लिए पैसा इंवेस्ट करने की मजबूरी में फंसा दिया गया है। इसी तरह सरकार की एक प्रमुख घोषणा 45 लाख रुपए तक के घर खरीदने में 3.5 लाख रुपए के ब्याज की छूट की है। यहां सरकार ने एक हाथ से छूट देने के साथ दूसरे हाथ से उसे लेने की तैयारी भी कर ली है। उसने मार्बल पर टैक्स बढ़ा दिया है। अब कोई 40-45 लाख का फ्लैट खरीदेगा तो उसमें मार्बल और सिरेमिक टाइलों का इस्तेमाल तो होगा ही। इसी तरह पेट्रोल और डीजल पर दो-दो रुपए बढ़ा दिए गए हैं जिसका असर भी लोअर व मिडिल क्लास पर पड़ेगा। देश में जितनी संख्या लोअर क्लास की है कमोबेश उतनी ही संख्या मिडिल क्लास की भी है। देश के निर्माण में मिडिल क्लास का महत्वपूर्ण योगदान है। यह वर्ग जीवनयापन से अलग हटकर अन्य वस्तुओं की खरीददारी पर भी अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च करता है जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। यही कारण है कि पूर्व की सरकारें भी बजट के दौरान मिडिल क्लास को अहमियत देती आई हैं। इस बार ऐसा नहीं हुआ जिसका असर बजट वाले दिन शेयर मार्केट पर भी देखने को मिला। मिडिल क्लास रीयल इस्टेट और ऑटोमोबाइल्स के प्रॉडक्ट्स का प्रमुख खरीददार है। अब देखना होगा कि इस बजट के बाद रीयल इस्टेट और ऑटोमोबाइल्स में मंदी जारी रहती है या इनकी मांग में कुछ इजाफा होता है। इस बजट के सामने देश की विकास दर को आगे बढ़ाने की चुनौती है लेकिन बजट में मिडिल क्लास की उपेक्षा इस लक्ष्य को थोड़ा दूर कर सकती है। चूंकि वित्तमंत्री इस बजट में 2025 में अर्थव्यवस्था को 50 खरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं इसलिए अगले साल के बजट की दिशा का इंतजार करना भी जरूरी है।

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