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नेताओं में अनू"s रामगोविंद चौधरी

👤 veer arjun desk 5 | Updated on:20 Feb 2018 2:25 PM GMT
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श्याम कुमार

उत्तर पदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी पिछले दिनों विधानसभा के बजट-सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में जब अपना भाषण कर रहे थे तो अचानक उनकी तबियत खराब हो गई थी। भाषण करते-करते जब वह बार-बार माथे का पसीना पोछने लगे तो पहले तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया। किन्तु भाजपा सरकार के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने खड़े होकर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से कहा कि इस वातानुकूल मंडप में विपक्ष के नेता को पसीना आ रहा है, जो संकेत दे रहा है कि उनकी तबीयत "ाrक नहीं है, इसलिए उनकी ओर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए। रामगोविंद चौधरी को बगल के कक्ष में ले जाया गया और वहां डॉक्टर आए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी वरिष्" मंत्री आदि भी अविलंब उस कक्ष में पहुंचे। उस समय विपक्ष के नेता के पति सरकारी पक्ष के लोगों का जो सौहार्द भाव दिखाई दिया, वह हमारे लोकतंत्र के आदर्श रूप का ज्वलंत उदाहरण बन गया। महत्वपूर्ण बात यह कि रामगोविंद चौधरी विपक्ष के नेता के रूप में अपने भाषण में राज्यपाल के अंिभभाषण की तीव्र आलोचना कर रहे थे।
राज्यपाल का अभिभाषण वस्तुतः सरकार द्वारा तैयार किया जाता है। किन्तु उस अभिभाषण में कुछ गंभीर तथ्यात्मक त्रुटियां मौजूद थीं, जिनकी ओर रामगोविंद चौधरी ने ध्यान आकृष्ट किया। रामगोविंद चौधरी ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में लिखा हैö`उत्तर पदेश राज्य की स्थापना के बाद से आज तक कभी भी उत्तर पदेश की स्थापना का दिवस नहीं मनाया गया।' रामगोविंद चौधरी ने उक्त उलेख को गलत "हराते हुए कहा कि वरिष्" पत्रकार श्याम कुमार जी द्वारा विगत 33 वर्षों से `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' के रूप में उत्तर पदेश की वर्षगां" का पतिवर्ष आयोजन किया जा रहा हैं। रामगोविंद चौधरी ने आगे कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में वस्तुतः यह कहा जाना चाहिए थाö`वरिष्" पत्रकार श्याम कुमार जी द्वारा 33 वर्षों से गैर-सरकारी स्तर पर यह आयोजन किया जाता रहा है, किन्तु राज्य सरकार द्वारा सरकारी स्तर पर इस बार पहली बार उत्तर पदेश की वर्षगां" मनाई गई।' रामगोविंद चौधरी ने सदन में यह भी कहा कि श्याम कुमार जी द्वारा आयोजित `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' आयोजन में वह स्वयं एवं राज्यपाल राम नाईक जी भाग लेते रहे हैं। रामगोविंद चौधरी के उक्त ध्यानाकर्षण पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ था, क्योंकि मैंने उनसे राज्यपाल के अभिभाषण में हुई गलती का उल्लेख नहीं किया था। इससे सिद्ध हुआ कि रामगोविंद चौधरी कितनी गंभीरता एवं गहराई से किसी विषय पर ध्यान देते हैं।
रामगोविंद चौधरी पिछली सपा-सरकार में पाथमिक शिक्षा मंत्री थे। उससे पहले मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में यह विभाग भ्रष्टाचार का महासागर बना हुआ था। रामगोविंद चौधरी को मैं पहले से नहीं जानता था। लेकिन विधानसभा के एक सत्र में जब तत्कालीन विपक्षी दल भाजपा के कतिपय नेताओं द्वारा सदन में रामगोविंद चौधरी की ईमानदारी एवं योग्यता की पशंसा की गई तो मुझे सुखद आश्चर्य हुआ था और उनकी ओर मेरा ध्यान आकृष्ट हुआ था। उसके बाद 24 जनवरी को लखनऊ में जब हमारी `रंगभारती' संस्था द्वारा `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' का आयोजन किया गया तो अन्य अतिथियों की भांति रामगोविंद चौधरी के पास भी उसका आमंत्रण पत्र भेजा गया था। जब हमारा आयोजन शुरू हो गया, तभी मंत्री रामगोविंद चौधरी के निजी सहायक का मेरे पास फोन आया कि मंत्री जी आयोजन में पांच मिनट में पहुंच रहे हैं। जब कुछ देर हो गई तो मैं उ"कर यह देखने के लिए बाहर आया कि मंत्री जी अब तक क्यों नहीं पहुंचे। मैंने वहां मौजूद एक पुलिसकर्मी से जब पूछा तो उसने इशारा किया कि मंत्री जी बिना किसी तामझाम के आकर सभागार में पीछे बै"s हुए हैं। मुझे आश्चर्य हुआ कि आज के युग में ऐसी सादगी वाले मंत्री भी हो सकते हैं और उन्हें मैंने साथ ले जाकर मंच पर बि"ाया।
रामगोविंद चौधरी से जुड़ा हुआ एक अन्य वाकया है। दो वर्ष पूर्व `उत्तर पदेश स्थापना दिवस' आयोजन में राज्यपाल राम नाईक मुख्य अतिथि थे तथा अध्यक्षता पाथमिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी को करनी थी। आयोजन शुरू होने से बिल्कुल पहले राजभवन से सूचना आ गई कि राज्यपाल अस्वस्थ होकर `पीजीआई' में भर्ती हैं, इसलिए कार्यक्रम में नहीं आ सकेंगे। हमारे आयोजन से ईर्ष्या करनेवालों ने अफवाह फैला दी कि राज्यपाल राम नाईक नाराज हो गए हैं, इसलिए नहीं आ रहे हैं। अध्यक्षता के लिए रामगोविंद चौधरी को भी आने में विलंब होने लगा तो मुझे पता लगा कि मुलायम सिंह यादव पार्टी की अतिआवश्यक मीटिंग कर रहे हैं, जिसमें रामगोविंद चौधरी भी वहां मौजूद हैं, इसलिए उनका आना नहीं हो सकेगा। उस समय मुलायम सिंह यादव पूरी ताकत में थे, इसलिए स्वाभाविक था कि कोई जिम्मेदार व्यक्ति वहां से उ"कर बाहर आने का साहस नहीं कर सकता था। तब मैंने रामगोविंद चौधरी के पास एक चिट लिखकर संदेश भेजा कि उनको किसी भी दशा में अविलंब हमारे आयोजन में पहुंचना है। इसके बाद शीघ्र ही रामगोविंद चौधरी हमारे आयोजन में आ गए गए और आते ही उन्होंने मुझसे धीरे से कहा कि वह मेरा संदेश पढ़कर किसी बहाने मीटिंग से निकलकर यहां आ गए हैं, लेकिन उन्हें जल्दी से जल्दी वापस पहुंचना होगा। हमारे आयोजन में विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले पतिष्"ितजनों को पतिवर्ष सम्मानित किया जाता है। अतः मैंने रामगोविंद चौधरी के कर-कमलों से सबको सम्मानित कराया, जिसके बाद अपना भाषण कर रामगोविंद चौधरी वापस लौट गए। उस दिन उन्होंने मेरी बात की गंभीरता को समझकर जिस पकार मेरे अनुरोध का पालन किया, उससे मैं उनका पुनः मुरीद हो गया।
गत दिवस मैं रामगोविंद चौधरी के स्वास्थ्य का हाल लेने जब उनके यहां पहुंचा तो उनके यहां हमेशा की तरह मिलनेवालों की भारी भीड़ मौजूद थी। मैं जैसे ही उनके कक्ष में पहुंचा, उन्होंने सदा की भांति तपाक से खड़े होकर मेरा स्वागत किया और बड़े सम्मान से बि"ाया। उन्होंने लोगों से मेरे बारे में बताया कि यह छप्पन वर्षों से पत्रकारिता कर रहे हैं और देश के इने-गिने वरिष्"तम पत्रकारों में हैं तथा इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अभी भी पत्रकारिता के साथ समाजसेवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भरपूर सक्रिय हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वह मेरी वरिष्"ता एवं योग्यता के कारण मुझे अपने `गार्जियन' के रूप में मानते हैं। रामगोविंद चौधरी की यह विनम्रता एवं सादगी ही उनका ऐसा लाजवाब गुण है, जिससे वह सभी के हृदय में हमेशा-हमेशा आसीन रहेंगे। इसी से आजकल लोगों के मन में नेताओं की जो बहुत खराब छवि है, उसमें रामगोविंद चौधरी को अपवाद माना जाता है। उनके आवास पर एक और विशेषता मिलती है। वह बिना दूध की एवं तुलसी व नींबू का जायका देने वाली ऐसी स्वादिष्ट चाय पिलाते हैं, जो पूरी तरह तरोताजा कर देती है।

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