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योगी व शाह ने बढ़ाई सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी

👤 admin5 | Updated on:19 May 2017 3:35 PM GMT
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डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

योगी कैबिनेट की बै"क, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का लखनऊ आगमन, पदेश कार्यसमिति में उनका संबोधन और फिर मंत्रियों की क्लास का संयोग एक दिन में बना। लखनऊ के लिए यह राजनीतिक व पशासनिक दोनों दृष्टियों से बड़ी गहमागहमी का अवसर था। आमतौर पर भारी जीत के बाद कुछ समय तक सत्ता पक्ष में खुमारी का दौर रहता है लेकिन योगी आदित्यनाथ और अमित शाह ने इस पर शुरुआत में ही रोक लगा दी इनके रुख से भाजपा के उन कार्यकर्ताओं व नेताओं को अवश्य निराशा हुई होगी जो अभी कुछ दिन आराम और हनक में रहना चाहते थे। इनमें कुछ मंत्रियों का भी नाम लिया जा सकता है ऐसा नहीं कि शाह व योगी ने केवल नसीहत जारी की है सबसे पहले उन्होंने खुद अपनी बातों पर अमल किया। इसके बाद विचार व्यक्त किए विधानसभा व निकाय चुनावों में शानदार जीत के बाद शाह ने दूसरी राजनीति पर अमल शुरू कर दिया वह अगले तीन महीनों तक लगातार विभिन्न राज्यों के पवास पर रहेंगे इसके अलावा वह उन एक सौ बीस सीटों पर खास ध्यान देंगे जहां भाजपा को अभी तक सफलता नहीं मिली है। योगी आदित्यनाथ तो शपथ ग्रहण के पहले एक्शन में आ गए थे। वह पूरी सरकारी मशीनरी को दुरुस्त करने में लगे हैं।

शाह की लखनऊ यात्रा व कैबिनेट की बै"क में कोई औपचारिक संबंध नहीं था। दोनों अलग पकरण हैं लेकिन भ्रष्टाचार के पति जीरो टालरेंस, जिम्मेदारियों के निर्वाह व जन आकांक्षाओं को पूरा करने के धरातल पर समानता देखी जा सकती है। कैबिनेट ने बै"क के माध्यम से इसी ओर कदम बढ़ाए, शाह ने कार्यकर्ताओं, नेताओं व मंत्रियों को इसी बात की नसीहत दी।

पिछले कैबिनेट की बै"क में हुए निर्णयों पर ध्यान दीजिए पिछली सपा सरकार, बसपा सरकारों पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप थे। इनसे उनकी छवि खराब हुई थी पदेश का विकास भी बाधित हुआ था। योगी सरकार इसके पति सजग है। कैबिनेट की बै"क से यही पमाणित हुआ। खनन से लेकर अन्य विभागों में टेंडरिंग की शुरुआत में ही भारी गड़बड़ी थी। यहीं से घोटालों व भ्रष्टाचार की नींव पड़ जाती थी, फिर इसका सिलसिला आगे बढ़ता जाता था। कैबिनेट ने तय किया कि तीन महीने के भीतर सभी विभागों में ई-टेंडरिंग की व्यवस्था लागू हो जाएगी। मतलब गड़बड़ी की आशंका को शुरुआत में ही समाप्त किया जाएगा।

सभी शासकीय विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, विकास पाधिकरणों, नगर निगमों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, निकायों, इत्यादि में एनआईसी के ई-पोक्योरमेंट पणाली लागू की जाएगी इससे पारदर्शिता और पतिद्वंद्विता बढ़ेगी। इसके अलावा सपा-बसपा सरकारों पर ट्रांसफर उद्योग चलाने का आरोप लगता था, इसमें भ्रष्टाचार का खेल था। एक तरफ मात्र कुछ महीनों में ट्रांसफर के रिकार्ड बन रहे थे तो दूसरी तरफ सात आ" वर्षों तक एक जगह पर जमे लोग भी थे। ऐसे अधिकारी खास छवि वाले थे। सपा-बसपा दोनों के ये समान रूप से कृपापात्र थे। योगी सरकार ने पारदर्शिता के साथ ट्रांसफर पॉलिसी बना दी। अब जिलों में तीन वर्ष से ज्यादा अधिकार तैनात नहीं रहेंगे।

जाहिर है कि योगी कैबिनेट के यह पयास भ्रष्टाचार मुक्त पशासन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे। जो धन भ्रष्टाचार, घोटालों की भेंट चढ़ जाता था, वह जनहित व विकास के कार्यों में लगेगा। भाजपा कार्यसमिति में भी सुशासन का संकल्प दोहराया गया। यहां भी योगी ने कहा कि मंत्रियों को माला पहनाना छोड़ें, सफाई, गांव के विकास आदि पर ध्यान दें। इसमें कार्यकर्ताओं से लेकर मंत्रियों तक को कार्यपणाली सुधारने की नसीहत थी। मंत्रियों का भी व्यर्थ कार्यों में समय नहीं लगेगा, वही कार्यकर्ता भी अपने स्तर से जनहित में सक्रिय रह सकेंगे। इसी पकार अमित शाह ने भी लगातार जनहित में कार्य करने का आह्वान किया। भाजपा को पदेश के लोगों ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है, पार्टी व सरकार से जुड़े लोंगों के पास विश्राम, स्वागत-सत्कार आदि का समय नहीं है। कुछ समय बाद स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं दो वर्ष बाद लोकसभा चुनाव आ जाएंगे। केंद्र व पदेश दोनों में भाजपा की सरकारें हैं ऐसे में जन आकांक्षाओं को पूरा करने में कोताही नही होनी चाहिए। जिम्मेदारी स्पष्ट है। सपा सरकार ने केंद्र की एक सौ पचास योजनाओं को लागू ही नहीं किया था। यदि इन्हें लागू कर दिया जाए तो उत्तर प्रदेश का कायाकलप हो जाएगा जाहिर है अब इस जिम्मेदारी पर योगी सरकार अमल करेगी। जिस पकार योगी पशासन को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की योजना पर अमल कर रहे हैं, उसी का संदेश अमित शाह ने लखनऊ में दिया। पदेश कार्य समिति में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कार्यकर्ताओं को विश्राम का अधिकार नहीं है। इस कथन में बड़ी जिम्मेदारी समाहित है। सत्तापक्ष के कार्यकर्ता अपने आचरण व कार्यों से किसी सरकार की छवि का निर्धारण करते हैं। सत्ता की हनक, दबंगई दिखाने का पार्टी का खामियाजा भुगतना होता है। वही कार्यकर्ता जब आम जन की सहायता करते हैं, मर्यादा व शालीनता का व्यवहार करते हैं, तो पार्टी व सरकार की छवि अच्छी बनती है। योगी खुद इस बात को दोहरा चुके हैं।

उन्होंने साफ निर्देश दिया है कि कानून से खेलने की किसी को छूट नहीं मिलेगी। स्पष्ट है कि योगी व शाह के विचारों में सकारात्मक समानता है। दोनों विश्राम नहीं करते, पार्टी के लोगों को यही नसीहत देते हैं। सुशासन की स्थापना दोनों का संकल्प है। योगी बतौर मुख्यमंत्री इसके पति सजग है, शाह ने तो यहां तक कहा कि रिश्तेदारों के भ्रष्टाचार में मंत्री नपेंगे। जाहिर है कि योगी व शाह के पयासों से सत्ता पक्ष के लोगों की जिम्मेदारी बढ़ी है।

(लेखक विद्यांत हिन्दू पीजी कॉलेज में राजनीति के एसोसिएट पोफेसर हैं।)

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