Home » द्रष्टीकोण » जनता की समस्याएं जिलों में हल हों

जनता की समस्याएं जिलों में हल हों

👤 admin5 | Updated on:16 Jun 2017 3:40 PM GMT
Share Post

श्याम कुमार

उत्तर पदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पूर्व आदेश जारी कर पदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्दिष्ट किया था कि वे नित्य पातः नौ से ग्यारह बजे तक अपने कार्यालय में जनता की सुनवाई किया करें। मुख्यमंत्री ने जब यह समीक्षा की कि उनके उक्त आदेश का जनपदों में किस पकार पालन हो रहा है तो उन्हें अनेक जनपदों में असंतोषजनक स्थिति मिली। उन्होंने वहां के जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा है। जिला पशासन पदेश की पशासनिक व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण ईकाई होता है तथा जनता के दुख-सुख उसी इकाई की चुस्ती व फर्ती पर निर्भर करते हैं। यदि जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ईमानदार, योग्य, कर्तव्यनिष्" एवं जनता की सेवा में सुख महसूस करने वाले होते हैं तो उस जनपद की जनता सुखी होती है, अन्यथा दुखी रहती है। इसीलिए मैं शुरू से लिखता रहा हूं कि इस बात की पक्की व्यवस्था की जानी चाहिए कि हर जनपद में वहां की जनता की समस्या का अनिवार्य रूप से एवं जल्दी से जल्दी निस्तारण हो तथा निस्तारण की कसौटी भी अधिकारी की संतुष्टि के बजाय जनता की संतुष्टि को माना जाय। यह बहुत अधिक क"िन काम है। इसके लिए जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को अपने नीचे पखण्ड एवं गांवों तक की सम्पूर्ण पशासनिक व्यवस्था को अत्यंत चुस्त-दुरुस्त रखना पड़ेगा।

उन्हें उस इकाई में तैनात अपने धीनस्थ अफसरों एवं समस्त पशासनिक अमले के पेंच पूरी तरह कसने होंगे तथा इस बात की निरंतर कड़ी निगरानी रखनी होगी कि वहां की जनता की समस्याओं का वहीं पर अविलम्ब संतोषजनक रूप में व अनिवार्य रूप से निस्तारण हो जाय। जिला पशासन की निचली से निचली इकाई तक नित्यपति जनता की संतोषजनक रूप में सुनवाई की व्यवस्था होनी चाहिए। तहसील, पखण्ड एवं ग्राम स्तर तक सुनवाई की इस व्यवस्था पर जनपद के जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक को कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के पास जिस क्षेत्र से अधिक लोग अपनी फरियाद लेकर आएं, जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को तहसील, पखण्ड एवं ग्रामस्तर पर तैनात अपने मातहतों से सवाल करना चाहिए कि वहां उन फरियादियों की समस्याओं का निस्तारण क्यों नहीं किया गया? जो भी मातहत शिथिल पाया जाय, उसे क"ाsरतापूर्वक दण्डित किया जाना चाहिए। ऐसा होने पर ही सबसे निचली इकाई तक पशासन सही एवं सकिय होगा तथा जनता के कष्ट दूर होंगे।

मुख्यमंत्री को चाहिए कि ग्राम-स्तर तक पशासन की कार्यपणाली में आमूल परिवर्तन कर उसे जनोन्मुख बनाएं। अभी ऐसा नहीं है। नौकरशाही की यह आदत हो चुकी है कि वह सिर्फ नेताओं को खुश रखकर निश्चिंत हो जाती है तथा जनता सुनवाई के लिए इधर-उधर भटकती रहती है। जिलाधिकारियों एवं पुलिस अधीक्षकों पर यह पूरी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे अपने जनपद में यह पयास करें कि पब्लिक की समस्याओं का निवारण ग्राम, पखण्ड एवं तहसील स्तर पर ही अनिवार्य रूप से एवं संतोषजनक रूप में हो जाय। ऐसा होने पर वहां की जनता को जनपद-मुख्यालय तक आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसी पकार मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्तों एवं पुलिस उपमहानिरीक्षकों की भी यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वे अपने अंतर्गत जनपदों में जनसुनवाई का लगातार निरीक्षण एवं समीक्षा करते रहें और देखें कि जनता की समस्याओं के निस्तारण में विलम्ब तो नहीं हो रहा। उन उच्च अधिकारियों को भी नित्य अपने कार्यालय में जनता की सुनवाई करनी चाहिए, जिससे उन्हें पता लगेगा कि उनके अधीनस्थ जनपदों में जनसुनवाई की क्या स्थिति है? चूंकि शासन का मुख्य उद्देश्य पदेश के विकास के साथ जनसमस्याओं का निस्तारण भी है, इसलिए अधिकारियों के लिए जनसुनवाई का समय पातः नौ से ग्यारह के बजाय दिन में दो बजे तक होना चाहिए, ताकि वे अधिकारी लोगों की समस्याओं को निस्तारित करने में पर्याप्त समय दे सकें। लोगों के फरियादपत्रों को नीचे बढ़ा देने के बजाय उनका उसी समय पूरी तरह निस्तारण कराया जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी क्षेत्रों में भी पशासनिक व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। नगर निगमों एवं अन्य स्थानीय निकायों में जनसमस्याओं का निस्तारण नहीं किया जाता है और भ्रष्टाचार का जबरदस्त बोलबाला है। अतः उनकी कार्यपणाली में भी आमूल परिवर्तन किया जाना चाहिए। सबसे पहले तो मुख्यमंत्री को चाहिए कि नगर विकास मंत्री के पद पर सिर्फ इसी विभाग का दायित्व रखें, किसी अन्य विभाग का नहीं। तभी नगर विकास मंत्री पूरी तरह समर्पित भाव से नगरों की चौपट हो चुकी व्यवस्था को सुधार सकेंगे।

मुख्यमंत्री के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि जनपदों एवं नगरों में तैनाती के लिए अच्छे अधिकारी कहां से लाएं? सपा एवं बसपा के राज में सम्पूर्ण नौकरशाही बहुत अधिक भ्रष्ट कर दी गई। यहां तक कि नए आईएएस व आईपीएस अफसरों को भी गलत दिशा दे दी गई। अतः मुख्यमंत्री को बहुत सतर्कता के साथ अधिकारियों का चयन करना होगा। जिन अधिकारियों को जनता की सेवा में सुख महसूस होता हो, उन्हें ही फील्ड में तैनात किया जाना चाहिए। अभी तक तो अफसर धन बटोरने एवं रुतबा दिखाने के लिए जनपदों में तैनाती चाहते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बहुत अच्छी बात स्पष्ट कर दी है कि सार्वजनिक जीवन में नेताओं एवं अफसरों की कोई `पर्सनल लाइफ' नहीं होती है। जिस अफसर को `पर्सनल लाइफ' रखनी हो, वह उस पकार के पद पर अपनी तैनाती करा ले। फील्ड में तो उसे दिन-रात जनता की सेवा में उपलब्ध रहना होगा। मुख्यमंत्री को यह भी कड़ाई से देखना होगा कि जनता की समस्याएं जनपदों में अवश्य हल हो जाएं, ताकि जनता को लखनऊ में मुख्यमंत्री के `जनता दर्शन' तक आने की जरूरत ही न पड़े।

Share it
Top