कोरोना : नेताओं की लापरवाही भारी पड़ सकती है देश पर
-आदित्य नरेन्द्र
पिछले चार-पांच महीनों में कोरोना महामारी ने जिस तरह पूरी दुनिया के इंसानों को डराया है उसकी मिसाल ढूंढना आसान नहीं है। चीन के वुहान शहर से शुरू हुईं इस बीमारी ने देखते ही देखते दुनिया की सुपर पावर कहे जाने वाले अमेरिका और यूरोप के सबसे बेहतर हैल्थ सिस्टम वाले इटली को जिस तरह अपने पंजे में जकड़ा है उससे दुनिया का भूगोल बदलने की आशंका पैदा हो रही है। कल तक आसमान को छूती हुईं अर्थव्यवस्थाएं आज धड़ाम से जमीन पर आ गईं हैं। इसके कहर से एक ओर जहां करोड़ों लोग गरीबी की रेखा से नीचे आ गए हैं वहीं दूसरी ओर करोड़ों लोगों के ऊपर बेरोजगारी की तलवार लटक गईं है। इससे स्पष्ट है कि स्थिति बेहद गंभीर है। लेकिन यह भी उतना ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में वुछ लोग, खासतौर पर कईं नेता इस स्थिति को उतनी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जितनी गंभीरता से इसे लेने की जरूरत है।
हालांकि प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे लेकर शुरू से ही खासे सतर्व हैं। आपको याद होगा कि जब इस बीमारी की गंभीरता पूरी तरह से दुनिया के सामने नहीं आईं थी उसी दौरान प्राधानमंत्री ने मार्च के पहले सप्ताह में ही सार्वजनिक रूप से होली के त्यौहार पर दूर रहने की बात कह दी थी। तब से अब तक देश में हालात बहुत बदल चुके हैं। इसके बाद भी अलग-अलग पार्टियों के नेता अपना राजनीतिक हित साधने के लिए लोकतंत्र के नाम पर कोरोना की मारक क्षमता को नजरंदाज करने का प्रायास कर रहे हैं। ऐसे नेताओं की लापरवाही भविष्य में देश को बहुत भारी पड़ सकती है।
इसके लिए किसी एक राजनीतिक दल को दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा, क्योंकि ऐसी गलतियां कईं पार्टियों के नेताओं ने अनजाने में या जानबूझ कर की हैं। अभी दो-तीन दिन पहले का ही वाकया देखिए। बिहार में आरजेडी नेताओं ने गोपाल गंज में हुईं तीन लोगों की हत्या के मामले में पप्पू पाण्डेय की गिरफ्तारी और सीबीआईं की जांच की मांग को लेकर वूच का ऐलान कर दिया। पीिड़त परिवार से मिलने के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी लॉकडाउन तोड़कर काफिले के साथ घर से गोपाल गंज के लिए निकल पड़े। गोपाल गंज रेड जोन जिला है।
वहां के लिए वूच करना खतरे से खाली नहीं था। यह देखकर पुलिस ने सचिवालय थाने में 32 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। एक अन्य मामले में नोएडा के सेक्टर-39 थाने में प्रादेश कांग्रोस उपाध्यक्ष पंकज मलिक सहित 20 लोगों पर लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। इन कांग्रोसियों ने प्रावासियों को ले जाने के लिए लगभग सौ बसों को इकट्ठा किया था जिसे पुलिस ने रोक दिया। अब यदि बात समाजवादी पाटा के नेताओं की की जाए तो मुरादाबाद की गलशहीद पुलिस ने लॉकडाउन तोड़ने के मामले में सपा नेता नासिर वुरैशी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उनके दरवाजे पर बिना अनुमति के भीड़ जमा थी और ईंद पर वह 50 से अधिक लोगों को रुपए बांट रहे थे। इस घटना का वीडियो व फोटो खासा वायरल हो रहा था।
इसी तरह एक दूसरे सपा नेता व विधायक हाजी इकराम वुरैशी के खिलाफ भी लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। अब जरा हरियाणा के भाजपा सांसद संजय भाटिया का मामला देखिए। सुप्रीम कोर्ट ने पीटीआईं टीचरों के खिलाफ पैसला दिया तो प्रादेश के पीटीआईं टीचर उनसे मिलने पानीपत पहुंच गए। एक हजार लोगों की भीड़ वहां एक-डेढ़ घंटे मौजूद रही जिसे श्री भाटिया ने संबोधित भी किया। इसी तरह दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी का लॉकडाउन के बावजूद सोनीपत जाना और बिना मास्क पहने कार्यंक्रम में शिरकत करना भी चर्चा का विषय बना रहा। ऐसे और भी बहुत सारे उदाहरण आपको अपने आसपास मिल जाएंगे।
देशभर में धारा 144 लागू होने के चलते ऐसी लापरवाहियां कानून का उल्लंघन हैं। जब गरीब कानून का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भुगतना पड़ता है। ऐसे में सवाल है जब देश का कानून नागरिकों में फर्क नहीं करता तो यह नेता खुद ऐसा क्यों करते हैं। जरा सोचिए यदि इन नेताओं में कोईं कोरोना संक्रमित हो तो वह कितनों को आगे बीमारी बांट सकता है। ऐसे नेताओं को पाटा से सस्पेंड करना चाहिए। हमें नीदरलैंड के उदाहरण से सीखना चाहिए कि वहां के पीएम मार्व रट कोरोना में बरती जाने वाली एहतियात के चलते अपनी 96 वषाया मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। जिस राजनीतिक नेतृत्व से देश और समाज को दिशा दिखाने की उम्मीद की जाती है उन्हें ऐसी लापरवाहियों से बचना होगा। अब समय आ गया है कि हम सभी मिलकर सोचें कि खुद को, समाज को और देश को खतरे में डालकर की जाने वाली राजनीति कहां तक सही है। कोरोना ने दुनियाभर में बहुत वुछ बदल दिया है। अब हमें भी बदलना होगा।