सत्ता के नशे का परिणाम है कैपिटल हिल की घटना
-आदित्य नरेन्द्र
लोकतंत्र का अगुवा होने का दम भरने वाला अमेरिका आज शर्मसार होने की हालत में है। वैपिटल हिल की घटना ने अमेरिका में मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था का दावा खोखला साबित कर दिया है। इससे दुनिया सकते में है क्योंकि किसी को भी अमेरिका में इस तरह की कोईं घटना होने की उम्मीद नहीं थी। दरअसल वैपिटल हिल को वाशिगटन में शासन और प्राशासन का केंद्र माना जाता है। यह जगह अमेरिका की संघीय सरकार की विधायी शाखा के तौर पर भी मशहूर है। छह जनवरी को अमेरिकी कांग्रेस में जो बिडेन को चुनाव में मिली जीत की पुष्टि के लिए सत्र चल रहा था। अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण के लिए की जाने वाली यह कार्यंवाही महज एक औपचारिकता भर होती है लेकिन जब रिपब्लिकन सांसदों ने वुछ चुनावी नतीजों पर सवाल उठाए तभी स्थिति की गंभीरता बढ़ने लगी। इसी बीच ट्रंप समर्थकों की हिसक भीड़ बैरिकेड तोड़कर अंदर घुस गईं। इसमें कईं ट्रंप समर्थक हथियारों से भी लैस थे जिनकी वहां मौजूद पुलिस बल से भिड़ंत हो गईं। इस दौरान एक महिला सहित चार लोगों की मौत हो गईं।
ट्रंप के एक भाषण को इस विवाद की जड़ माना गया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें एक षड्यंत्र के तहत हराया गया है। हालात को देखते हुए वहां पहले बुधवार शाम छह बजे से गुरुवार सुबह तक के लिए कफ्र्यू लागू कर दिया गया फिर वाशिगटन डीसी की मेयर ने 15 दिन की इमरजैंसी की घोषणा कर दी ताकि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का शपथ ग्राहण समारोह शांतिपूर्वक सम्पन्न हो सके। इस सारे हालात से खिन्न जो बिडेन ने लोकतंत्र को अप्रात्याशित रूप से खतरे में बताते हुए राष्ट्रपति ट्रंप से अपील की कि वह नेशनल टीवी पर जाएं और अपनी शपथ का पालन करते हुए संविधान की रक्षा करें तथा वैपिटल हिल को कब्जे से मुक्त कराएं। इस पूरे घटनाव््राम से दुनियाभर के बड़े लोकतांत्रिक देशों के नेता भी चिंतित दिखाईं दिए। एक ओर जहां प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि वाशिगटन डीसी में दंगों और हिसा की खबरों को देखकर परेशान हूं। सत्ता का हस्तातंरण शांतिपूर्ण ढंग से होना चाहिए।
लोकतांत्रिक प्राव््िराया को किसी गैर-कानूनी विरोध के जरिये बिगड़ने नहीं दिया जा सकता तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटेन के प्राधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी इस घटना की निदा करते हुए कहा है कि अमेरिका पूरी दुनिया में लोकतंत्र की एक मिसाल रहा है इसलिए यह जरूरी है कि वहां सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण ढंग से हो। इनके अलावा स्पेन, ऑस्ट्रेलिया के प्राधानमंत्रियों, प्रांस के विदेश मंत्री सहित कईं वैश्विक नेताओं ने भी अमेरिका में हुईं हिसा की निदा की है। कईं पूर्व राष्ट्रपति जिनमें जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा और बिल क्लिंटन शामिल हैं उन्होंने भी इस घटना पर दुख जताया है। इस मामले में रिपब्लिकन पाटा दो धड़ों में बंटती दिखाईं दे रही है। ट्रंप की आलोचक और रिपब्लिक सांसद लिम चिनेय ने ट्वीट करते हुए कहा कि अपना संवैधानिक फर्ज निभाने से रोकने के लिए अभी संसद में हमने एक हिसक भीड़ का हमला देखा। इस बात पर कोईं सवाल नहीं है कि राष्ट्रपति ने ही यह भीड़ एकत्रित की, उसको उकसाया और उसे संबोधित किया है। इसी तरह ट्रंप के समर्थक माने जाने वाले सांसद टॉम कॉटन ने भी उनका विरोध करते हुए कहा है कि अब काफी वक्त हो चुका है वह राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को स्वीकार कर लें, अमेरिका के लोगों को भ्रमित करना छोड़ दें और हिसक भीड़ को खारिज करें।
ऐसी खबरें भी चल रही हैं कि इस घटना के विरोध में कईं प्राशासनिक अधिकारियों ने इस्तीफा भी दे दिया है। ट्विटर और पेसबुक ने उनके एकाउंट को वुछ समय के लिए बंद कर दिया ताकि स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके। यह बात वाकईं हैरान करती है कि ट्रंप जिस सिस्टम द्वारा राष्ट्रपति बने आज उसी को नकारने का प्रायास करते दिखाईं दे रहे हैं। जनता ने ट्रंप को हटाने का पैसला दे दिया है। यह पैसला उन्हें नापसंद हो तो भी उन्हें इसे स्वीकारना होगा क्योंकि लोकतंत्र में जनता सवरेपरि होती है। जब भी कोईं पैसला दिया जाता है तो एक पक्ष की हार होती है। ट्रंप को इसे खुले मन से स्वीकारना चाहिए। अमेरिका के इतिहास की यह घटना ट्रंप के उस सारे किए-धरे पर पानी पेर सकती है जो उन्होंने पिछले चार सालों में अमेरिका के लिए किया है। यह घटना लोकतांत्रिक संस्थानों में अविश्वास का परिणाम है जो यह बताती है कि सत्ता के नशे में इस तरह अमर्यांदित रूप से उठाए गए इस तरह के कदम मजबूत से मजबूत लोकतंत्र के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं। यह घटना अमेरिकी लोकतांत्रिक इतिहास में एक धब्बे की तरह याद की जाएगी जिसे अमेरिकी लोकतांत्रिक इतिहास से न तो कभी हटाया जा सकेगा और न कभी मिटाया जा सकेगा। अलबत्ता इससे भविष्य के लिए सीख जरूर ली जा सकती है और अमेरिका के लिए यही अच्छा रहेगा।
दृष्टिकोण यह घटना अमेरिकी लोकतांत्रिक इतिहास में एक धब्बे की तरह याद की जाएगी जिसे अमेरिकी लोकतांत्रिक इतिहास से न तो कभी हटाया जा सकेगा और न कभी मिटाया जा सकेगा। अलबत्ता इससे भविष्य के लिए सीख जरूर ली जा सकती है और अमेरिका के लिए यही अच्छा रहेगा।