पशु अधिकार कार्यकर्ताओं को सबसे बड़े उत्सव में पशु बलि पर रोक लगने की उम्मीद
का"मांडू, (एपी)। पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि नेपाल में इस साल उत्सवों के मौसम में पशुओं की कम बलि दी जाएगी।
हिमालयी देश में इस हफ्ते से शुरु हुए 15 दिन के दसैन उत्सव के दौरान परिवार पतंग उड़ाते हैं, भोज की मेजबानी करते हैं और मंदिर जाते हैं। मंदिरों में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बकरियों, भैंसों, मुर्गियों और बत्तखों की बलि दी जाती है। पशु बलि का यह रिवाज सदियों पुराना है।
पशु अधिकार समूहों को उम्मीद है कि इस साल पशु बलि रूक जाएगी या कम से कम इनकी संख्या कम हो जाएगी। समूह इस साल के अभियान का इस्तेमाल अगले साल के गधीमई उत्सव में पशुओं की बलि पर रोक लगाने को लेकर लोगों को जागरूक करने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए कर रहे हैं।
नेपाल में इस तरह का अभियान नया है जहां हर पांच में से चार लोग हिंदू हैं और पशु बलि की प्रथा काफी पुरानी है।
कार्यकर्ताओं ने पहली बार इस तरह का अभियान 2009 में शुरू किया था जब दक्षिणी नेपाल के एक अकेले मंदिर में अनुमानित तौर पर 2,50,000 पशुओं की बलि दी गयी थी।
कार्यकर्ता प्रमदा शाह ने कहा, अभियान चलाने वाले लोगों की संख्या काफी कम है लेकिन हमारी आवाज काफी बुलंद है।