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भारत, जिबूती ने किया द्विपक्षीय वार्ता पर करार
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जिबूती सिटी, (भाषा)। भारत और जिबूती ने नियमित विदेश कार्यालय स्तर की बातचीत के लिए आज यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की यात्रा के दौरान एक समझौते पर दस्तखत किये।
कोविंद और जिबूती के राष्ट्रपति उमर ग्वेलेह की बातचीत के बाद समझौते पर दस्तखत किये गये। कोविंद ने 2015 में संघर्ष प्रभावित यमन से भारतीयों को बचाने के लिए चलाये गये ऑपरेशन राहत के दौरान जिबूती की मदद के लिए ग्वेलेह का शुक्रिया अदा किया और समुद्री तथा अक्षय ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर ग"बंधन ाआईएसएा की जिबूती की सदस्यता के जल्द अनुमोदन की भी अपील की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फांसवा ओलोंद ने 2015 में पेरिस में हुए सीओपी21 सम्मेलन में संयुक्त रूप से आईएसए की शुरूआत की थी।आईएसए का उद्देश्य सौर ऊर्जा संपन्न देशों के बीच सहयोग के लिए विशेष मंच प्रदान करना और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इससे पहले आज कोविंद का यहां राष्ट्रपति भवन में परंपरागत तरीके से स्वागत किया गया जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई।जिबूती और इथियोपिया की चार दिन की यात्रा के पहले चरण में कल यहां पहुंचे कोविंद पद संभालने के बाद से पहली विदेश यात्रा पर हैं। वह जिबूती की यात्रा करने वाले पहले भारतीय नेता हैं। इससे पूर्व भारतीय समुदाय का सम्बोधित करते हुए जिबूती को भारत के लिए एक अहम हिंद महासागरीय साझेदार करार देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रणनीतिक रुप से स्थित इस अफीकी देश को 2015 में युद्ध प्रभावित यमन से भारतीयों को निकालने में भारत को मदद पहुंचाने के लिए धन्यवाद दिया। जिबूती की यात्रा पर आने वाले पहले भारतीय राष्ट्राध्यक्ष कोविंद ने कहा कि दोनों देशों के बीच लोगों के बीच चिरकाल से संबंध रहा है। कोविंद ने कहा, हमें अपने साझे इतिहास और पहचान को फिर से ढूढने का प्रयास करना चाहिए। न केवल प्राचीन काल के संबंधों की दृष्टि से बल्कि समसामयिक साझेदारी के लिए भी अपनी साझी विरासत को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जरुरत है। उन्होंने कहा कि समुद्री अर्थव्यवस्था के अवसर और हिंद महासागर का संपर्क दोनों देशों के लिए प्रचुर संभावनाएं प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा,महासागर जो हमें जोड़ते हैं, भले ही नाम से हिंद हो लेकिन यह हम सभी का है। इसे हमें आपस में जोड़ने दीजिए जैसा कि इसने सदियों पहले किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि जिबूती यमन की खाड़ी की भांति ही रणनीतिक रुप से स्थित देश है। उन्होंने कहा,यह भारत के लिए महत्वपूर्ण हिंद महासागरीय साझेदार देश है। वर्ष 2015 में यमन संकट के दौरान जिबूती राहत अभियान के तहत भारतीयों तथा अन्य देशों के नागरिकों को निकालने की भारतीय कोशिशों में सहयोगकारी रहा था और उसने अपनी हवाई पट्टी उपलब्ध करायी थी।
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