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अमेरिका आश्वस्त करना चाहता है कि भारत पाक के लिए खतरा नहीं है: पाक
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इस्लामाबाद, (भाषा)। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री खुर्म दस्तगीर खान ने कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहा है कि भारत उसके लिए खतरा नहीं है और इस्लामाबाद को नयी दिल्ली के प्रति अपने रणनीतिक रूख में बदलाव लाना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ सौहार्दपूर्ण लेकिन पूरी तरह से निष्कपट संवाद की आवश्यकता है जिसमें हर चीज सामने हो। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के बीच गलतफहमियों को दूर करना है।डॉन अखबार ने खबर दी है कि नेशनल असेंबली में कल सरकार की विदेश नीति और पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति की जानकारी देते हुए उन्होंने दुख जताया कि नियंत्रण रेखा और अस्थायी सीमा पर भारत के आक्रामक रूख को अमेरिका तवज्जो नहीं दे रहा है।मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच मूल अंतर भारत के बारे में विचार को लेकर है।रक्षा मंत्री ने कहा, वक्त आ गया है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच सौहार्दपूर्ण लेकिन पूरी तरह से निष्कपट वार्ता हो और हर चीज वार्ता की मेज पर हो। खान ने कहा कि वॉशिंगटन पाकिस्तान को विश्वस दिलाने का प्रयास कर रहा है कि भारत खतरा नहीं है और इसलिए इस्लामाबाद को अपने रणनीतिक रूख में बदलाव करना चाहिए।उन्होंने आरोप लगाया, लेकिन हकीकत हकीकत है। भारत की क्षमता और मंशा दानों पाकिस्तान के प्रति शत्रुतापूर्ण हैं। खान ने आरोप लगाए कि भारत ने पाकिस्तान की सीमा के साथ सेना, साजो-सामान और हथियार सब कुछ इकट्"ा कर रखा है। उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन और और नागरिकों की हत्या के मामले में 2017 सबसे खतरनाक वर्ष रहा।उन्होंने दावा किया, भारत आज काफी सैन्यीकृत एवं आक्रामक पड़ोसी है। उन्होंने कहा कि भारत की वर्तमान सरकार द्वारा लगातार शत्रुतापूर्ण और पाकिस्तान विरोधी रूख के कारण शांति की पहल का मार्ग बाधित हो गया है।
मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को कुर्बानी का बकरा बनाया जा रहा है क्योंकि अमेरिका अफगानिस्तान में ःआतंकवाद के खिलाफः युद्ध नहीं जीत पा रहा है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने संघ शासित कबायली इलाकों, कराची और बलूचिस्तान को ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब के तहत आतंकवादियों से मुक्त कराया है और देश में आतंकवादियों का सुरक्षित पनाहगार नहीं है।
उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि पाकिस्तान और इसके लोगों के बलिदान को याद करे जिन्होंने 2001 के बाद से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में योगदान किया है।
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