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सिरीसेना ने लिट्टे की विचारधारा को खत्म करने के लिए लोगों का समर्थन मांगा
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कोलंबो, (भाषा)। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरीसेना ने लिट्टे की विचारधारा खत्म करने के लिए लोगों से मदद मांगते हुए आगाह किया है कि तीन दशक चले गृहयुद्ध के समाप्त होने के नौ साल बाद भी निषक्रिय तमिल अलगाववादी समूह के एजेंट अब भी स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
सिरीसेना ने युद्ध की समाप्ति के नौ साल पूरे होने के मौके पर कोलंबो में कल आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) को सैन्य तरीके से परास्त किया जा चुका है लेकिन इसकी विचारधारा और एजेंट अब भी सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, हमने लिट्टे को सैन्य तरीके से मात दे दी है लेकिन उनकी विचारधारा अभी मरी नहीं है। लिट्टे के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क में प्रवासियों में उनके एजेंट अब भी सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, वे अब भी अपना ईलम (पृथक तमिल राष्ट्र) का सपना साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति सिरीसेना ने कहा कि लिट्टे अब भी श्रीलंकाई सरकार के लिए चुनौती है। उन्होंने लंदन में समूह के हमदर्दों द्वारा उनके खिलाफ किये गए प्रदर्शन का उल्लेख दिया। सरकार ने देश के दक्षिणी हिस्से हुए में युद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में नायक दिवस मनाया जबकि देश के उत्तरी हिस्से में तमिलों ने जान गवाने वाले अपनों को याद किया। मुलैतिवू जिले में मुल्लैवयक्काल में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में करीब 5,000 लोगों ने हिस्सा लिया। यहीं पर श्रीलंकाई सैनिकों और लिट्टे के बीच अंतिम युद्ध हुआ था। उत्तरी प्रांत के मुख्यमंत्री सी वी विग्नेश्वरन को छोड़कर किसी भी तमिल सियासतदान ने कार्यक्रम में शिरकत नहीं की थी। विग्नेश्वरन ने कहा कि आगामी सालों में 18 मई का दिन तमिल नरसंहार दिवस के तौर पर पहचाना जाएगा। सरकारी बलों ने 18 मई 2009 को लिट्टे प्रमुख वी प्रभाकरण को मार गिराया था। इसी के साथ 37 साल चला संघर्ष खत्म हो गया था, जिसमें कम से कम।,00,000 लोगों की जाने गईं।
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