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'अमेरिका में हिन्दू यूनिवर्सिटी समय की मांग, गीता और वैदिक ज्ञान से भारत बनेगा विश्व गुरु'

👤 manish kumar | Updated on:8 Dec 2019 9:52 AM GMT

अमेरिका में हिन्दू यूनिवर्सिटी समय की मांग, गीता और वैदिक ज्ञान से भारत बनेगा विश्व गुरु

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लॉस एंजेल्स, । अमेरिका में अग्रणी विधि वेत्ता और पद्म भूषण प्रो. वेद प्रकाश नंदा और स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान (एस-व्यासा, बेंगलुरु) के उपकुलपति एवं योग थेरेपिस्ट डॉ. एचआर नागेन्द्र सहित अनेक वक्ताओं ने ज़ोर दिया है कि विश्व में धर्म के ह्रास और अनाचार की घटनाओं में वृद्धि के संदर्भ में हिन्दू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका की स्थापना समय की मांग है।

शनिवार को लॉस एंजेल्स से 30 मील दूर नोर्वाक में आयोजित सम्मेलन में उन्होंने विश्वास जताया कि गीता, भारतीय वेद और उपनिषदों के ज्ञान के प्रचार प्रसार से भारत एक बार फिर विषय गुरु का दर्जा हासिल करने में सफल होगा। इस सम्मेलन में अमेरिका के विभिन्न विश्वविध्यालयों में डाक्टर मनोहर शिंदे, गुर्दा रोग विशेषज्ञ ऊषाकांत ठाक्कर, सैन डिएगो में प्रोफ़ेसर डॉक्टर विपिन कुमार चतुर्वेदी तथा अग्रणी रिसर्च एवं शोध शास्त्री डाक्टर विमल पटेल ने इस यूनिवर्सिटी के लिए ख़ुद दिल खोल कर चंदा दिया। इनकी अपील पर सभागार में बैठे लोगों ने देखते देखते सवा चार लाख डालर ( करीब तीन करोड़ रुपये) एकत्र भी कर लिये। इससे पूर्व डॉक्टर ऊषाकांत ठाक्कर ने यूनिवर्सिटी के लिए आने वाले वर्षों में 50 लाख डॉलर का संकल्प पत्र दिया है। वाशिंगटन डीसी से नरसिंह रेड्डी अरकुला ने एक लाख डॉलर देने की घोषणा की।

इस यूनिवर्सिटी में सर्टिफ़िकेट, डिग्री और शोध छात्रों को डाक़्टरेट की डिग्री दी जाएगी। इस अवसर पर हिन्दू यूनिवर्सिटी में पिछले छह माह में दाख़िल 84 छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभव साझा किए और ज़ोर दिया कि वैदिक ज्ञान अर्जित कर वे आने वाली पीढ़ियों को अपनी गौरव गाथाओं और संस्कृति से जुड़े रहने में सहायक होंगे। इस यूनिवर्सिटी में जाम्बिया से एक मुस्लिम छात्र ने भी वैदिक ज्ञान में डिग्री लेने की इच्छा ज़ाहिर की है। देवांग शर्मा, दीक्षा, रवि चिक्रिमार, नीरजा झा और मयूर पटेल आदि छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए और कहा कि भारत से बाहर रह रहे परिवारों के बच्चों को देश की संस्कृति से जुड़े रहना बहुत ज़रूरी है और यह यूनिवर्सिटी एक उत्तम प्लेटफ़ार्म सिद्ध होगा।

हिन्दू यूनिवर्सिटी के बुनियादी ढांचे में पठन-पाठन के क्षेत्र में वैदिक संस्कृति, हिन्दू सभ्यता, वास्तु, ज्योतिष शास्त्र और हिन्दू दर्शन, संस्कृत भाषा और योग के अनेकानेक पाठ्यक्रमों में स्नातक से पीएचडी की डिग्री दी जाएंगी। इसकी फैकल्टी के लिए चुने गए 22 प्राध्यापकों में डॉक्टर शिवा एरदुल, जाय बागची, प्रो. विपिन चतुर्वेदी के नाम प्रमुख हैं। प्रो. वेद प्रकाश नंदा प्रबंध मंडल के अध्यक्ष होंगे। इस यूनिवर्सिटी में अपना पूरा जीवन झोंक देने वाले धर्मा सिविलाइज़ेशन फ़ाउंडेशन प्रेज़ीडेंट कल्याण विश्नाथन ने बताया कि छात्रों में संस्कृत और योग के प्रति उत्साह उमड़ रहा है।

इस अवसर पर सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी और कश्मीर मामलों के जानकार सुशील पंडित ने अपने वीडियो संदेशों में हिन्दू यूनिवर्सिटी की व्यावहारिकता पर ज़ोर दिया। एक रिपोर्ट में जर्मनी में दो दशक से विभिन्न धर्मों पर शोध कर रहे डॉक्टर जायदीप बागची ने वैदिक शिक्षा के लिए हिन्दू यूनिवर्सिटी की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है। उन्होंने कहा है कि जर्मनी में मैक्समूलर और इंग्लैंड में शेक्सपियर को पढ़ाया जा सकता है तो अपने देश के बारे में अपने लोगों को पढ़ने पढ़ाने के लिए कहा जाए तो इसमें क्या ग़लत है? यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अपनी दो पुस्तकों में हिन्दू धर्म के बारे में भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की है।

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